आज रात लाल रंग से रौशन होगी कुतुब मीनार, पीछे है बड़ी वजह
विश्व हीमोफीलिया दिवस के मौके पर दिल्ली में कुतुब मीनार को लाल रंग से रौशन किया जाएगा। 17 अप्रैल को विश्व हीमोफीलिया दिवस मनाया जाता है। इस मौके पर जागरुकता फैलाने के लिए कुतुब मीनार को लाल रंग दिया जाएगा। इस दिवस की पूर्व संध्या पर भी कुतुब मीनार को लाल रंग से सजाया गया।
नई दिल्ली। विश्व हीमोफीलिया दिवस के मौके पर दिल्ली में कुतुब मीनार को लाल रंग से रौशन किया जाएगा। 17 अप्रैल को विश्व हीमोफीलिया दिवस मनाया जाता है। इस मौके पर जागरुकता फैलाने के लिए कुतुब मीनार को लाल रंग दिया जाएगा। इस दिवस की पूर्व संध्या पर भी कुतुब मीनार को लाल रंग से सजाया गया।
आज रात दिल्ली में स्थित कुतुब मीनार लाल रंग की रोशनी में डूब जाएगा। हीमोफीलिया एक अनुवांशिक बीमारी है जिसमें खून बहना जल्दी बंद नहीं होता है। जब कोई व्यक्ति इस बीमारी से पीड़ित होता है तो थोड़ी सी चोट लगने से खून बहना रुकता नहीं है। खून के थक्के (क्लॉट) न जम पाने के कारण जोड़ों समेत शरीर के कई हिस्सों में आंतरिक खून भी बहता है। दुर्घटना के वक्त हीमोफीलिया जानलेवा साबित हो सकता है।
एम्स दिल्ली में हीमोटलॉजी की प्रोफेसर डॉ. तुलिका सेठ ने कहा कि हीमोफीलिया में सबसे बड़ी समस्या जोड़ों से खून का स्त्राव है। 'हीमोफीलिया फेडरेशन ऑफ इंडिया पर 18,000 केस रजिस्टर्ड हैं। ये उन लोगों का रिकॉर्ड है जिन्हें हीमोफीलिया है, लेकिन कई ऐसे रिकॉर्ड हैं जो हीमोफीलिया पीड़ितों की संख्या लाखों में बताते हैं। इसका मतलब है कि कई लोगों को हीमोफीलिया का इलाज नहीं मिल पा रहा है।'
डॉ. सेठ ने हीमोफीलिया का इलाज बताते हुए कहा कि क्लॉटिंग फैक्टर देने के दो तरीके हैं। एक में बहते खून को रोकने के लिए मरीज को कुछ दिनों के अंतर पर गायब क्लॉटिंग फैक्टर दिया जाता है। वहीं दूसरे में जब-जब खून बहता है, तब मरीज को क्लॉटिंग फैक्टर दिया जाता है। ये इलाज काफी महंगा होता है और इसकी कीमत 20,000 रुपये से लेकर लाखों में होती है।
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