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योगी सरकार की धर्मांतरण पर कार्रवाई पर सवाल, अलग मामलों में अलग रवैया

सवाल उठ रहे हैं कि बरेली में हिंदू अभिुयुक्तों के ख़िलाफ़ कुछ नहीं किया गया जबकि मुरादाबाद में मुस्लिम अभियुक्त को फ़ौरन जेल भेज दिया गया.

By समीरात्मज मिश्र
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योगी सरकार की धर्मांतरण पर कार्रवाई पर सवाल, अलग मामलों में अलग रवैया

उत्तर प्रदेश में ग़ैर-क़ानूनी धर्मांतरण अध्यादेश के अमल में आते ही इस मामले में धड़ाधड़ एफ़आईआर दर्ज होने लगीं लेकिन इनमें से कई मामले संदेह के घेरे में भी आने लगे हैं.

इस अध्यादेश के तहत राज्य में पहला मामला बरेली ज़िले में दर्ज हुआ जिसमें पुलिस ने अभियुक्त को एक हफ़्ते के भीतर गिरफ़्तार करके जेल भी भेज दिया.

लेकिन इसी ज़िले में एक हफ़्ते बाद जब एक लड़की के परिजन ने एफ़आईआर दर्ज कराई तो पुलिस ने नए अध्यादेश के तहत धाराएं दर्ज करने से मना कर दिया.

हालांकि ऐसे ही एक मामले में पड़ोसी ज़िले मुरादाबाद में इसी अध्यादेश के तहत मामला दर्ज किया गया है. और उस मामले में हुई कार्रवाई को लेकर सवाल पूछे जा रहे हैं.

बरेली का मामला

बरेली ज़िले के प्रेमनगर थाने में पांच दिसंबर को प्रेमनगर के ही रहने वाले शाहिद मियाँ ने एफ़आईआर दर्ज कराई कि उनकी 22 वर्षीया बेटी को तीन लोगों ने अगवा कर लिया है.

परिजनों ने सिद्धार्थ सक्सेना उर्फ अमन, उनकी बहन चंचल और एक फ़र्म के मालिक मनोज कुमार सक्सेना पर केस दर्ज कराया है. शाहिद मियां की बेटी चंचल के साथ मनोज कुमार सक्सेना के फ़र्म में ही काम करती थीं.

बीबीसी से बातचीत में शाहिद मियां कहते हैं, "एक दिसंबर को बेटी बैंक से पैसे निकालने गई थी और उसके बाद वापस नहीं आई. बाद में उसका नंबर भी बंद हो गया. फिर हमने 5 दिसंबर को प्रेमनगर थाने में तहरीर दी की मेरी बेटी का मनोज और अमन ने अपहरण कर लिया है. पुलिस ने अगले ही दिन लड़की को बरामद तो कर लिया लेकिन हमलोगों से न तो बात कराई और न ही मिलने दिया गया. हमें डर है कि उसे कुछ हो न जाए."

इस मामले में बरेली के एसपी सिटी रवींद्र कुमार कहते हैं कि लड़की ने ख़ुद यह बात स्वीकार की है कि वो उसी लड़के के साथ रहना चाहती है.

रवींद्र कुमार कहते हैं, "मामले को दर्ज करके अगले ही दिन पुलिस ने लड़की को बरामद कर लिया. लड़की का मेडिकल टेस्ट कराने के बाद कोर्ट में उसके बयान दर्ज कराए गए. लड़का और लड़की दोनों बालिग़ हैं और लड़की ने कोर्ट में लड़के के पक्ष में बयान दिए हैं जिसके बाद कोर्ट ने लड़की को अमन के साथ उसके घर भेज दिया. धर्म परिवर्तन जैसी कोई बात नहीं है."

पुलिस का कहना है कि लड़की ने अपने बयान में कहा है कि उसने 29 सितंबर को आर्य समाज मंदिर में अमन से शादी की थी और उन्होंने यह जानकारी अपने परिवार से छिपाई थी. लड़की के पास शादी के दस्तावेज़ भी थे.

पुलिस ने इस मामले को नए अध्यादेश के तहत दर्ज नहीं किया है क्योंकि पुलिस के मुताबिक़, परिजनों ने तहरीर में इस बात का ज़िक्र नहीं किया था कि लड़की का धर्मांतरण कराया गया है जबकि लड़की के पिता शाहिद मियां कहते हैं कि उन्होंने नए क़ानून के तहत ही केस दर्ज करने को कहा था लेकिन पुलिस ने अपने हिसाब से तहरीर लिखवाई और हमारी सुनी नहीं गई.

लड़की की मां चांदनी का कहना था, "एक दिसंबर को लड़की जहां काम करती थी, वहां पैसे लेने गई थी. जब वो वापस नहीं लौटी तो हमने कंपनी के मालिक मनोज कुमार सक्सेना से पूछताछ की. वो बोले कि आप किसी से कहिए नहीं हम लड़की को आपसे मिलवा देंगे. लेकिन दो-तीन दिन बीत जाने के बाद उन्होंने फ़ोन भी बंद कर लिया. तब हमने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई. पुलिस वालों के सामने लड़की बहुत रो रही थी और हमारे साथ चलने को तैयार थी लेकिन पुलिस वालों ने उसे हमारे साथ आने नहीं दिया."

मुरादाबाद का मामला

ऐसे ही एक अन्य मामले में रविवार को मुरादाबाद ज़िले में 22 वर्षीय एक युवक राशिद अली को कांठ क्षेत्र में उस वक्त गिरफ़्तार किया गया जब वह अपनी पत्नी के साथ शादी का पंजीकरण करवाने जा रहे थे.

राशिद के साथ उनके भाई सलीम को भी गिरफ़्तार कर लिया गया. पुलिस का कहना है कि लड़की के परिजनों ने शिकायत दर्ज कराई थी कि राशिद ने जबरन धर्मांतरण करके उनकी बेटी के साथ शादी की है.

योगी सरकार की धर्मांतरण पर कार्रवाई पर सवाल, अलग मामलों में अलग रवैया

लेकिन पत्रकारों के साथ बातचीत में युवती ने साफ़तौर पर कहा था कि उन्होंने राशिद के साथ गत 24 जुलाई को ही शादी की थी और अब उसका रजिस्ट्रेशन कराने जा रहे थे.

मुरादाबाद के पुलिस अधीक्षक प्रभाकर चौधरी ने बीबीसी को बताया, "लड़की की माँ ने आरोप लगाया है कि राशिद ने उनकी बेटी के साथ शादी करने के लिए धोखाधड़ी की और उसका धर्मांतरण करा रहा है. उनकी शिकायत के आधार पर मुक़दमा दर्ज किया गया और गिरफ़्तारी की गई. लड़की को पुलिस संरक्षण में उनकी मां के पास भेज दिया गया है."

दरअसल, बिजनौर की रहने वाली युवती देहरादून में पढ़ाई कर रही थी और वो वहीं राशिद के संपर्क में आई. राशिद मुरादाबाद ज़िले के कांठ के निवासी हैं.

लड़की का कहना है कि उन लोगों ने शादी पहले ही कर ली थी और अब शादी का रजिस्ट्रेशन कराने आए थे.

स्थानीय लोगों ने बताया कि बजरंग दल के कुछ लोगों ने इस मामले में काफ़ी हंगामा किया और पुलिस पर दबाव बनाया कि वो ग़ैर-क़ानूनी धर्मांतरण अध्यादेश के तहत मुक़दमा दर्ज करके अभियुक्त को गिरफ़्तार करे.

इसी दबाव के चलते आनन-फ़ानन में यह कार्रवाई की गई. हालांकि पुलिस ने इस बात से यह कहकर इनक़ार किया है कि उसने लड़की की मां की शिकायत के आधार पर एफ़आईआर दर्ज की.

बरेली और मुरादाबाद के इन दोनों ही मामलों में लड़की की ओर से कोई शिकायत नहीं की गई, बल्कि परिजनों की ओर से की गई.

लेकिन एक मामले में पुलिस ने लड़की के बयान के आधार पर उसके पति के पास रहने की छूट दे दी जबकि दूसरे मामले में लड़की के यह स्वीकार करने के बावजूद कि उसने स्वेच्छा से शादी की है, लड़के को गिरफ़्तार कर लिया.

दोनों मामलों को लेकर इसलिए भी सवाल उठ रहे हैं क्योंकि बरेली में अभियुक्त हिन्दू हैं और उनके ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई नहीं हुई जबकि मुरादाबाद वाले मामले में अभियुक्त को तुरंत गिरफ़्तार कर जेल भेज दिया गया क्योंकि वो मुस्लिम है.

ये भी सवाल उठ रहा है कि इस मामले में न तो लड़की की बात सुनी गई और न ही लड़के की, जबकि दोनों ही बालिग़ हैं.

BBC Hindi
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English summary
Question on Yogi government's action on conversion, different attitude in different cases
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