पुजारी और पुलिस के बीच झगड़े में बंद हुआ पुरी का जगन्नाथ मंदिर
पुरी। ओडिशा के पुरी में 12वीं सदी के जगन्नाथ मंदिर में शुक्रवार को सैकड़ों भक्तों को घंटों इंतजार के बाद निराश होकर वापस लौटना पड़ा। क्योंकि पंडा और पुलिस के बीच हुई हाथापाई के बाद पंडों ने मंदिर के फाटक खोलने से इंकार कर दिया है। दरअसल श्रीमंदिर परिसर के भीतर ही पंडा और पुलिस के बीच मारपीट की घटना गुरूवार रात की है। इस मारपीट में एक पंडा घायल हो गया था। दोनों तरफ से सिंहद्वार थाने में रिपोर्ट दर्ज करा दी गई है। पुलिस कांस्टेबल विश्वजीत परीजा और सेवायत भवानी शंकर महापात्र के बीच मारपीट के बीच मारपीट हुई थी।
अधिकारियों ने आरोप लगाया है कि मंदिर के पंडा भवानी शंकर महापात्र गुरुवार शाम को मंदिर के अंदर तीन भक्तों को ले जाने की कोशिश कर रहे थे। मुख्य गेट पर पुलिस ने उन्हें रोका क्योंकि उन्हें संदेह था कि वे हिंदू नहीं हैं। मंदिर में केवल हिंदू ही प्रवेश कर सकते हैं। 1984 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को पुजारियों ने मंदिर में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी थी क्योंकि उन्होंने एक पारसी से शादी की थी। 2006 में एक स्विस नागरिक एलिजाबेथ जिगलर ने मंदिर को दान में 1.78 करोड़ रुपये दान किए थे। इसके बावजूद भी उन्हें मंदिर में नहीं जाने दिया गया क्योंकि, वे ईसाई थे।
गुरुवार को जब पुलिस कांस्टेबल विश्वजीत परीजा ने पंडा को रोका तो शंकर महापात्र ने कहा कि ये भक्त बंगाली हैं, इस बात को लेकर दोनों में हाथापाई हुई। महापात्र ने कहा कि मंदिर में पुलिसकर्मियों ने अनावश्यक रूप से बहस की और उनके साथ बदसलूकी करने की कोशिश की। पर्यटक सभी बंगाल से थे, लेकिन पुलिस ने अंदर जाने की अनुमति नहीं दी। मंदिर प्रशासन हमारे अधिकारों का अतिक्रमण कर रहा है। इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
इस घटना के बाद, महापात्र और पुलिस कांस्टेबल दोनों ने सिंहद्वार पुलिस स्टेशन में दो अलग-अलग एफआईआर दर्ज कराईं हैं। मामले को सुलझाने के लिए मंदिर प्रशासन और सेवायतों के बीच सुलह की कोशिश की गई लेकिन यह सफल नहीं हो सकी। सेवायत कांस्टेबल की गिरफ्तारी और निलंबन की मांग को लेकर अड़े हैं। वहीं मंदिर बंद होने के कारण हजारों भक्त बिना दर्शन के वापस लौट रहे हैं।
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