खालिस्तानी आतंकी हरमिंदर सिंह मिंटू की पटियाला जेल में मौत
पंजाब की नाभा जेल से फरार होने वाले खालिस्तान लिबरेशन फोर्स (KLF) के आतंकी हरमिंदर सिंह मिंटू ने खुलासा किया था कि वह जेल ब्रेक से कुछ दिन पहले पाकिस्तानी आतंकी हैंडलर हरमीत के संपर्क में था
नई दिल्ली। खालिस्तानी आतंकी हरमिंदर सिहं मिंटू की पटियाला में दिल का दौरा पड़ने से मौत की खबर है। मिंटू के शव को पटियाला के रजिन्दरा अस्पताल में रखा गया है। पुलिस की तरफ से अस्पताल के बाहर भारी पुलिस फोर्स तैनात की गई है। वह इन दिनों पटियाला जेल में बंद था। 11 अप्रैल को ही दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने पंजाब की नाभा जेल से भागने वाले आरोपी हरमिंदर सिंह मिंटू को 3 महीने की सजा सुनाई थी। खालिस्तान लिबरेशन फोर्स के खूंखार आतंकी सरगना हरमिंदर सिंह मिंटू को नवंबर, 2016 में दिल्ली से पकड़ा गया था। दिल्ली पुलिस की स्पेशल टीम ने हरमिंदर सिंह मिंटू को धर दबोचा था। गिरफ्तारी के बाद मामले की सुनवाई दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में चल रही थी, जिसमें हरमिंदर सिंह मिंटू को 3 महीने की सजा सुनाई गई थी।
पंजाब की नाभा जेल से फरार होने वाले खालिस्तान लिबरेशन फोर्स (KLF) के आतंकी हरमिंदर सिंह मिंटू ने खुलासा किया था कि वह जेल ब्रेक से कुछ दिन पहले पाकिस्तानी आतंकी हैंडलर हरमीत के संपर्क में था। उसने उससे इंटरनेट के जरिए चैट किया था। मिंटू ने यह भी कबूल किया है कि नाभा जेल ब्रेक का मास्टरमाइंड वही है और उसी ने साजिश को अंजाम तक पहुंचाया। इसमें कई लोगों ने उसकी मदद की।
नाभा
जेल
कांड
से
एक
बार
फिर
वह
सुर्खियों
में
था
आपको
बता
दें
कि
कई
बड़ी
आतंकी
वारदातों
में
शामिल
रहे
मिंटू
को
साल
2008
में
सिरसा
स्थित
डेरा
सच्चा
सौदा
के
प्रमुख
गुरमीत
राम
रहीम
सिंह
पर
हुए
हमले
और
तीन
शिवसेना
नेताओं
पर
हुए
हमले
की
साजिश
रचने
का
आरोप
था।
साल
2010
में
हलवाड़ा
एयरफोर्स
स्टेशन
में
विस्फोटक
मिलने
सहित
10
मामलों
के
सिलसिले
में
मिंटू
को
दिल्ली
एयरपोर्ट
से
गिरफ्तार
किया
गया
था।
नाभा
जेल
कांड
से
एक
बार
फिर
वह
सुर्खियों
में
था।
वह
जेल
से
फरार
हो
गया
था।
दिल्ली
और
पंजाब
पुलिस
के
एक
ज्वॉइंट
ऑपरेशन
के
दौरान
उसे
दिल्ली
के
निजामुद्दीन
रेलवे
स्टेशन
से
गिरफ्तार
कर
लिया
गया
था।
मिंटू
रहा
था
बब्बर
खालसा
का
सदस्य
हरमिंदर
सिंह
मिंटू
पहले
आतंकी
संगठन
बब्बर
खालसा
का
सदस्य
था।
1986
में
अरूर
सिंह
और
सुखविंदर
सिंह
बब्बर
ने
जब
खालिस्तान
लिबरेशन
फोर्स
(केएलएफ)
बनाई
तो
वह
उससे
जुड़
गया।
इसके
बाद
खालिस्तान
आंदोलन
में
शामिल
रहे
चार
बड़े
संगठन
भी
1995
में
केएलएफ
से
जुड़
गए
और
फिर
मिंटू
खालिस्तान
लिबरेशन
फोर्स
का
मुखिया
बन
गया।
इसके
बाद
उसने
कभी
पीछे
मुड़कर
नहीं
देखा।
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