शाहीन बाग को मिला पंजाब के किसानों का समर्थन, प्रदर्शन में शामिल होंगे 800 किसान
नई दिल्ली। दिल्ली के शाहीन बाग इलाके में पिछले 52 दिनों से नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और एनआरसी के खिलाफ चल रहे विरोध प्रदर्शन को अब किसानों ने अपना समर्थन दिया है। शाहीन बाग में प्रदर्शन कर रही महिलाओं को समर्थन देने के लिए पंजाब के 800 किसानों का एक जत्था दिल्ली के रवाना हो चुका है। जल्द ही वह शाहीन में महिलाओं के आंदोलन में शामिल होगा। यह पहली बार नहीं है जब पंजाब से लोग दिल्ली आकर आंदोलन में शामिल हुए है।
सोमवार को पंजाब किसान यूनियन के कार्यकर्ता भठिंडा के मनसा से दिल्ली के लिए रवाना हो गए। किसानों का एक दूसरा ग्रुप भी मंगलवार को राजधानी के लिए रवाना होगा। ये लोग 8 फरवरी अगले चार दिनों तक दिल्ली में रहने वाले हैं। उनका कहना है कि हमारा विरोध-प्रदर्शन तब तक जारी रहेगा जब तक कानून वापस नहीं हो जाता है। हम इसके लिए संघर्ष करते रहेगे। बताया जा रहा है कि, ये सभी किसानों बसों में सवार होकर दिल्ली पहुंच रहे हैं।
टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी खबर के मुताबिक, संगरूर के मालेरकोटला शहर में 16 फरवरी को होने वाले एक विरोध प्रदर्शन के लिए किसान संगठनों ने समर्थन दिया है। वहीं 12 फरवरी से मानसा में एक अनिश्चितकालीन विरोध प्रदर्शन शुरू होने की उम्मीद है।पंजाब किसान यूनियन के अध्यक्ष रुल्डू सिंह मनसा ने बताया, हम लोग सीएए, एनआरसी और एनपीआर के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के लिए शाहीनबाग के लिए निकल चुके हैं।
मंगलवार को सैकड़ों किसान संगरूर से बसों में सवार होकर शाहीन बाग पहुंचेगे। किसान संगठन बीकेयू (एकता) के महासचिव सुखदेव सिंह कोकरी ने कहा कि, हम 8 फरवरी तक विरोध-प्रदर्शन करने वालों के लिए लंगर आयोजित करने को अपने साथ में राशन भी लेकर जा रहे हैं। हमें लगता है कि अपने मुस्लिम भाई-बहनों के लिए खड़े होना हमारा नैतिक जिम्मेदारी है। इसमें सबको साथ आना चाहिए।
पंजाब लोक संपर्क मंच के संयोजक अमोलक सिंह ने कहा कि मालरकोटला में 16 फरवरी से बिल के विरोध में समर्थन जुटाने के लिए मालवा क्षेत्र के जिलों में बैठकें आयोजित की जा रही हैं। उन्होंने कहा, हम चाहते हैं कि यह विरोध प्रदर्शन पंजाब के इतिहास में सबसे बड़ा हो। इसके लिए किसान और मजदूर संगठन ओवरटाइम काम कर रहे हैं। सीएए, एनआरसी और एनपीआर के खिलाफ पंजाबी और उर्दू में नारे लगाए जा रहे हैं।
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