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शहादत को सैल्यूट: जहां पढ़े थे पंजाब के ये चार शहीद जवान, सीएम अमरिंदर ने बदला उन स्कूलों का नाम

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चंडीगढ़। पंजाब सरकार ने पंजाब के उन चार सैनिकों को श्रद्धांजलि देने का फैसला किया है, जिन्होंने पूर्वी लद्दाख क्षेत्र के गलवान घाटी में भारतीय सेना और चीनी सेना के बीच आमने-सामने की लड़ाई में सर्वोच्च बलिदान दिया था। पंजाब शिक्षा विभाग ने उनके पैतृक गांवों में के सरकारी स्कूलों का नाम बदलने का फैसला किया है। पंजाब शिक्षा विभाग ने पहले ही संबंधित जिलों के जिला शिक्षा अधिकारियों को आदेश भेज दिया है।

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पंजाब सरकार का शहादत को सैल्यूट

पंजाब सरकार का शहादत को सैल्यूट

नायब सूबेदार मनदीप सिंह, नायब सूबेदार सतनाम सिंह, सिपाही गुरतेज सिंह और सिपाही गुरबिंदर सिंह उन 20 सैनिकों में शामिल थे, जिन्होंने गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ हुई झड़प में जान गँवा दी थी। शिक्षा विभाग के सहायक डायरेक्टर के जारी पत्र के अनुसार मानसा के गांव बीरेवाला डोगरा के सरकारी मिडल स्कूल का नाम अब शहीद गुरतेज सिंह सरकारी मिडल स्कूल बीरेवाला डोगरा, संगरूर के गांव तोलावाल के सरकारी हाई स्कूल का नाम शहीद सिपाही गुरबिंदर सिंह सरकारी हाई स्कूल तोलावाल कर दिया गया है।

जिस स्कूल में पढ़े वो अब उनके नामों से जाने जाएंगे

जिस स्कूल में पढ़े वो अब उनके नामों से जाने जाएंगे

पटियाला के गांव सील के सरकारी प्राइमरी स्कूल का नाम अब शहीद नायक सूबेदार मनदीप सिंह सरकारी प्राइमरी स्कूल सील, गुरदासपुर के गांव भोजराज के सरकारी मिडल स्कूल का नाम अब शहीद नायक सूबेदार सतनाम सिंह सरकारी मिडल स्कूल भोज राज कर दिया गया है। इसके अलावा पंजाब सरकार ने चीन की सीमा पर भी शहीद सैनिक चार पंजाबी शहीद सैनिकों के परिवारों को 50-50 लाख रुपये व एक परिवार के सदस्य को नौकरी देने की घोषणा की है।

शहीद जवानों में संगरूर के गुरबिंदर सिंह उम्र में सबसे छोटे

शहीद जवानों में संगरूर के गुरबिंदर सिंह उम्र में सबसे छोटे

पंजाब के शहीद जवानों में संगरूर के गुरबिंदर सिंह उम्र में सबसे छोटे थे। उन्‍होंने महज ढाई साल की सेवा के बाद 22 साल की उम्र में शहादत पाई। आठ माह पहले ही गुरबिंदर की मंगनी हुई थी। उसने परिवार से कहा था कि जल्द लौटकर शादी करूंगा। वह कुछ महीने पहले ही गांव आए थे। 18 दिन पहले गुरविंदर ने घर पर फोन कर बताया था वह एक चोटी पर तैनात हैं। वहीं शहीद गुरतेज सिंह मानसा के गांव वीरे वाला डोकरा के रहनेवाले थे। गुरतेज सिंह ढाई साल की सेवा के बाद मात्र 23 साल की उम्र में शहीद हो गए। गुरतेज ने 20 दिन पहले घर पर फोन किया था। गुरतेज सिंह भारत-चीन सीमा पर तनाव के कारण शादी समारोह में शामिल नहीं हो पाए थे।

7 दिनों बाद चीन ने माना गलवान घाटी में मारे गए उसके कम से कम 20 सैनिक7 दिनों बाद चीन ने माना गलवान घाटी में मारे गए उसके कम से कम 20 सैनिक

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English summary
Punjab govt decides to give tribute to four soldiers from Punjab who martyr in Galwan Valley
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