देश की भूख मिटाने के लिये खुद प्यासा तड़पने को तैयार पंजाब
नई दिल्ली (विवेक शुक्ला)। किसी की भूख मिटाने के लिये खुद भूखा रहना तो सुना था, लेकिन खुद प्यासा तड़पना! यह बात कुछ हजम नहीं हुई...। हेडलाइन पढ़ने के बाद शायद आपके दिमाग में भी यह बात आयी होगी, लेकिन यह बात एक कड़वा सत्य है। जी हां देश के अलग-अलग राज्यों तक अनाज पहुंचाने के लिये पंजाब को खुद प्यासा तड़पना पड़ रहा है और यह सब स्वेच्छा से हो रहा है।
स्पष्ट शब्दों में कहें तो देश भर में चावल के रूप में अनाज पहुंचाने के लिये पंजाब में वृहद स्तर पर धान की खेती होती है और धान की खेती की वजह से ही पंजाब का भू-जल स्तर तेजी से गिर रहा है। अफसोस की बात यह है कि गिरते भूजल की चिंता अमेरिका को है पर यहा रह रहे अकालियों (सत्ताधारी पार्टी) को नहीं।
हालात इतने खराब हो चुके हैं कि अमेरिका के एक पर्यावरण संस्थान ने भी पंजाब में भू-जल के गिरते स्तर पर चिंता जताई है। उसका कहना है कि समूचे उत्तर भारत में हालात खराब है, पर पंजाब हालात बदत्तर हो रहे हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर पंजाब के भू-जल स्तर को गिरने से नहीं रोका गया, तो पूरे राज्य में पानी के लिये त्राहि-त्राहि मच सकती है। यही नहीं देश के कृषि उत्पादन पर भी इसका बड़ा असर पड़ेगा।
क्या है भू-जल
भूजल उस पानी को कहा जाता है जो बारिश और अन्य स्रोत्रों के कारण ज़मीन में चला जाता है और जमा होता रहता है । देर से ही सही, पर पंजाब सरकार को भी अब इस बाबत सुध आई है। पंजाब के सिंचाई मंत्री शरणजीत सिंह ढिल्लों ने गंगा परियोजना की तरह राज्य के लिए पैकेज की सही मांग केंद्रीय मंत्री उमा भारती के समक्ष रखी है। जिस राज्य का नाम ही पांच नदियों के कारण पंजाब पड़ा हो, वहां तो नदियों व भूजल की सुध ली ही जानी चाहिए। यह तब और आवश्यक हो जाता है जब राज्य में नदियों व भूजल स्तर की हालत दिनोंदिन खराब होती जा रही हो।
पंजाब यूनिवर्सिटी से जुड़े डा. बलबीर सिंह ने कहा कि ब्यास व सतलुज नदियां अब प्रदूषण का शिकार हैं। पंजाब सरकार से पूछा जाना चाहिए कि उसने भूजल स्तर को गिरने से रोकने के लिए क्या किया। पंजाब में भू-जल का स्तर गिरने के बावजूद किसान बड़े पैमाने पर धान की फसल उगा रहे हैं। सबको पता है कि धान की खेती में पानी की बहुत जरूरत होती। धान की फसल तो कायदे से बिहार और बंगाल जैसे राज्यों में की जानी चाहिए जहां पर खूब नदियां हैं।
कृषि पत्रकार बोले मोदी सरकार को करना चाहिये हस्तक्षेप
कृषि पत्रकार अशोक भी. शर्मा ने कहा कि पंजाब में नदियों व भूजल का दोहन कृषि के लिए कुछ इस तरह से होता रहा कि आज गंभीर स्थिति पैदा होने लगी है। कृषि उत्पादन में तो पंजाब नाम कमाता गया लेकिन पानी का संकट पैदा होने लग गया है। पंजाब के वरिष्ठ पत्रकार केवल तिवारी कहते हैं कि समय रहते पंजाब को बचाने की आवश्यकता है। इसके लिए राज्य व केंद्र सरकार को गंभीरता से प्रयास करने होंगे।
इस बीच, केंद्र में मोदी सरकार आते ही पंजाब को भी उम्मीद है कि यहां की नदियों व जल के संरक्षण को लेकर भी समय रहते योजना बननी चाहिए। इसके लिए पंजाब ने पैकेज की मांग की है। अशोक बी. शर्मा का कहना है कि उत्तर भारत में भूजल स्तर तेज़ी से गिरता जा रहा है और लाखों लोगों के लिए इसके गंभीर परिणाम होंगे ।
पानी की ज्यादा खपत
पंजाब और दूसरे भारत के सूबों को लेकर शोधकर्ताओं का कहना है कि सिंचाई और दूसरे मकसदों के लिए के लिए पानी की खपत सरकारी अनुमान से कहीं ज़्यादा तेज़ी से बढ़ी है। इस कारण कृषि उत्पादन ठप्प हो सकता है और पीने के पानी की भारी किल्लत हो सकती है।
राजस्थान, पंजाब और हरियाणा में बहुत ज़्यादा पानी बर्बाद हुआ है। वैज्ञानिकों ने इन बदलावों को समझने के लिए उपग्रह से मिले आकड़ों का इस्तेमाल किया है। पानी के गिरते स्तर का कारण मौसम में बदलाव नहीं है क्योंकि जिस दौरान ये शोध किया गया था उस दौरान बारिश में कमी दर्ज नहीं की गई थी। जानकारों का कहना है कि उत्तर भारत के सभी सूबों मे धान की खेती पर तुरंत रोक लगनी चाहिए।