पंजाब: केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ सीएम अमरिंदर लेकर आए विधानसभा में प्रस्ताव
नई दिल्ली। संसद के मानसून सत्र में दोनों सदनों से पारित केंद्र सरकार के कृषि कानूनों को आज (मंगलवार) पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने विधानसभा में खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा कि नए कानून किसानों और भूमिहीन श्रमिकों के हितों के खिलाफ हैं। बता दें कि पंजाब विधानसभा में आज कृषि कानूनों के खिलाफ कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार ने एक प्रस्ताव पेश किया। इस दौरान सीएम ने कहा कि यह प्रस्ताव कृषि अध्यादेशों और बिजली अधिनियम में संशोधन के खिलाफ सरकार की चिंताओं को लेकर है।
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पंजाब विधानसभा का सेशन आज दूसरे दिन मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने कहा, 3 प्रस्तावित कृषि बिलों (संशोधन) विधेयक, 2020 के साथ फार्म विधियां स्पष्ट रूप से किसानों और भूमिहीन श्रमिकों के हितों के खिलाफ हैं और टाइम-टेस्टेड कृषि मार्केटिंग प्रणाली न केवल पंजाब में बल्कि हरियाणा और पश्चिमी यूपी में स्थापित है। मुख्यमंत्री ने विधानसभा को बताया, 'प्रस्ताव में कहा गया है कि कृषि कानून संविधान (एंट्री 14 लिस्ट- II) के खिलाफ हैं, जिसमें कृषि को एक राज्य विषय के रूप में उल्लेख किया गया है और ये विधान संविधान के कार्यों के अनुसार राज्यों के कार्यों और शक्तियों का अतिक्रमण करने के लिए एक सीधा हमला है। इस बीच राज्य के वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल ने भी विशेष विधानसभा सत्र के दौरान सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 में संशोधन के लिए एक विधेयक पेश किया।
बता दें कि केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों को लेकर जहां हरियाणा और पंजाब में किसान सड़कों पर हैं, तो वहीं पंजाब की कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार भी अब विपक्ष के निशाने पर आ गई है। दरअसल कैप्टन अमरिंदर सिंह ने हाल में ऐलान किया था कि वो केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ राज्य विधानसभा में एक ऐसा विधेयक लेकर आएंगे, जिससे किसानों के हित प्रभावित ना हों। अब पंजाब में विपक्षी पार्टियों ने मांग की है कि राज्य सरकार के प्रस्तावित विधेयक का ड्राफ्ट पहले उन्हें दिखाया जाए। राज्य सरकार की तरफ से ड्राफ्ट की कॉपी साझा ना किए जाने के विरोध में सोमवार को आम आदमी पार्टी के विधायकों ने विधानसभा परिसर में ही सोकर रात गुजारी।
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