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बिना मिट्टी के घर की छत पर फल-सब्ज़ी उगा रही हैं पुणे की ये महिला, जानिए कैसे

बिना मिट्टी के घर की छत पर फल-सब्ज़ी उगा रही हैं पुणे की ये महिला, जानिए कैसे

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मुंबई। बिना मिट्टी और जमीन के खेती करने की कल्‍पना शायद ही किसी ने की होगी, लेकिन पुणे के एक महिला ने ये संभव कर दिखाया। इन्‍होंने शहर में अपने घर की छत पर ऐसी सुंदर प्राकृतिक दुनिया बसाई है,जिसे देखकर हर कोई दंग रह जाता हैं। पुणे की नीला रेनाविकर पंचपोर एक कॉस्ट अकाउंटेंट हैं, मैराथन रनर भी हैं और वो पिछले दस सालों से बिना मिट्टी के पौधे और सब्ज़ियां और जड़ी बूटियां सभी कुछ अपने घर के टेरिस गार्डेन में उगाती हैं। आइए जानते हैं आखिर बिना मिट्टी के कैसे वो सब्जी समेज अन्‍य चीजों की खेती कर पा रही हैं।

छत के गार्डेन में उगा रहीं फल सब्जियां

छत के गार्डेन में उगा रहीं फल सब्जियां

नीला रेनाविकार पंचपर पुणे स्थित अपने घर पर 450 वर्ग फीट के टैरेस गार्डन में फूल के पौधों, साग-सब्जियों, फलों, और विभिन्न किस्मों की जड़ी-बूटियों की कई किस्मों को बिना मिट्टी के उगाती हैं। सबसे अहम बात ये है कि वो इन पौधों को उगाने के लिए मिट्टी या किसी तरह के मिक्स का इस्तेमाल नहीं करती हैं। पौधों के लिए वो स्‍वयं कम्पोस्ट या खाद वो तैयार करती हैॅ इस खाद को वो सूखे पत्ते, रसोई के कचरे और गोबर से तैयार करती हैं। नीला बताती हैं कि बिना मिट्टी की ये खाद पत्तों के कारण नमी अधिक देर तक बनी रहती है। इससे पौधे की सेहत अच्‍छी रहती है और केचुए के लिए भी बढ़िया वातावरण तैयार होता है। नीला के अनुसार, वो किसी स्पेशल तकनीक का इस्तेमाल नहीं करती, उनके काम में सिर्फ़ मेहनत और समय देना होता है।

 नीला को बिना मिट्टी के खेती करने का ऐसे आया विचार

नीला को बिना मिट्टी के खेती करने का ऐसे आया विचार

नीला बताती है कि मैं हमेशा अपने आप को एक पर्यावरण के प्रति लगाव था और मैं पर्यावरण को लेकर सोचती थी। मेरे किचन में भी आम लोगों के किचन जैसा कचरा उत्पन्न होता था और मुझे नहीं पता था कि इसके बारे में क्या करना है। इसलिए, मैंने अपने अपार्टमेंट में उन दोस्तों से संपर्क किया जो खाद बनाने का अभ्यास कर रहे थे। उनसे, मैंने सीखा कि घरेलू कचरे को कैसे अलग किया जाए और मैंने खाद तैयार करना शुरू किया।

इंटरनेट से मिट्टी रहित बागवानी सीखा

इंटरनेट से मिट्टी रहित बागवानी सीखा

इसके बाद नीला ने इंटरनेट से मिट्टी रहित बागवानी की मूल बातें सीखीं। उन्होंने यह समझने के लिए कई वीडियो देखे कि कैसे एक पौधे के लिए निर्माण किया जाए, कैसे मिट्टी के पौधों को पानी दिया जाए और किस तरह के उर्वरकों का उपयोग किया जाए। फिर, वह खाद तैयार करने के लिए आगे बढ़ी। इसके लिए, उसने सूखी पत्तियों को इकट्ठा किया और उन्हें एक खाद बिन में डाल दिया। उसने पुणे में एक स्थानीय खेत से ताजा गाय का गोबर खरीदा, और यह स्टार्टर बन गया जिसे उसने सूखे पत्तों में मिलाया।"इस कम्पोस्ट को उन्होंने एक बालटी में डाला और उसमें खीरे के बीज लगाए, उसे नियमित रूप से पानी देती रहीं और 40 दिन बाद उसमें दो खीरे उगे। इस छोटी सी जीत के बाद उन्होंने उन्होंने मिर्च, टमाटर और आलू भी उगाये। हर बार जब मैंने सफलतापूर्वक एक पौधा उगाया, तो उसने मुझे और प्रयोग करने के लिए प्रेरित किया।"

मिट्टी रहित बागवानी के हैं ये फायदे

मिट्टी रहित बागवानी के हैं ये फायदे

नीला के अनुसार, Soilless Gardening (बिना मिट्टी की खेती) के तीन प्रमुख लाभ हैं। एक तो कीड़े नहीं लगते, दूसरा वीड या फालतू घास नहीं होती, तीसरा मिट्टी वाली खेती में पौधे पोषण और पानी ढूंढते हैं जो यहां आसानी से मिल जाता है।। यह बदले में कीटनाशकों और उर्वरकों की आवश्यकता को कम करता है। पारंपरिक मिट्टी आधारित खेती में, एक पौधा अपनी अधिकांश ऊर्जा पानी और पोषण की तलाश में जड़ प्रणाली का विस्तार करता है। लेकिन, मिट्टी रहित खेती में ये सभी सीधे जड़ों में उपलब्ध हैं।

नीला लोगों को भी सिखा रहीं बिना मिट्टी के खेती करना

नीला लोगों को भी सिखा रहीं बिना मिट्टी के खेती करना

आपको बता दें नीला ने अपना ये ज्ञान अपने तक ही नहीं सीमित रखा उन्‍होंने अपने दोस्तों के साथ एक फेसबुक ग्रुप बनाया इस ग्रुप में गार्डनिंग से जुड़े टिप्स और ट्रिक्स शेयर करती रहती हैं। कोई भी बागवानी प्रेमी इस फेसबुक ग्रुप से जुड़ सकता है वर्तमान समय में नीला से 30000 लोग जुड़ चुके हैं।

रिसाइकलिंग करके पुराने डब्बों में उगा रही पौधे

रिसाइकलिंग करके पुराने डब्बों में उगा रही पौधे

दस साल से छत के गार्डेंन में बिना मिट्टी की खेती करने वाली नीला इसमें वेस्‍ट सामानों को रिसाइक्लिंग जमकर करती हैं। वो पुराने डब्बों, प्लास्टिक के बर्तनों में पौधे उगाती हैं। वो पुराने डिब्बे पौधे उगाने के लिए अपने दोस्‍तों और पड़ोसियों से भी लेने में हिचकिचाती नहीं हैं। नीला के इस नायाब गार्डेन में लगभग 100 डिब्बे और बोलते हैं जिनमें खूबसूरत फूलों के पौधे हरियाली बढ़ा रहे हैं। नीला हर हफ्ते अपने इस गार्डेन से सब्जियां और फल तोड़ कर अपने दोस्‍तों और पड़ोंसियों में बांटती हैं। इन सब्जियों और फलों का आकार और चमक देखकर कोई यकीन ही नहीं करता कि ये बिना मिट्टी में उगाए गए होंगे।

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English summary
Pune's Nila Renavikar Panchpor is growing fruit-vegetables on its roof without soil
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