हैंड ट्रांसप्लांट ऑपरेशन के बाद जादुई तरीके से बदला लड़की के हाथों का रंग, डॉक्टर भी हैरान
नई दिल्ली। पुणे की रहने वाली 21 साल की श्रेया की जिंदगी उस वक्त बदल गई जब उनकी हैंड ट्रांसप्लांट सर्जरी सफल हुई। ऑपरेशन के बाद भी उनकी हैंडरैइटिंग बिल्कुल वैसी ही है जैसी पहले थी। लेकिन जिस चीज ने डॉक्टरों को सबसे ज्यादा हैरान किया है, वो है श्रेया के हाथों का रंग। ये हाथ कभी 20 साल के केरल के रहने वाले एक लड़के के हुआ करते थे, जिसकी अगस्त 2017 में मौत हो गई। जब श्रेया को ये हाथ लगाए गए तब हाथों का रंग उनके स्किन टोन के जैसा नहीं था।
धीरे-धीरे हाथों का रंग बदला
लेकिन ऑपरेशन के बाद धीरे-धीरे हाथों का रंग बदलने लगा और अब वो श्रेया के स्किन टोन जैसा ही हो गया है। सर्जरी के बाद श्रेया अब पूरी तरह सही से काम कर पा रही हैं और अच्छे से लिख भी पा रही हैं। वह एशिया की पहली ऐसी लड़की हैं जिनके हाथ सफल तौर पर इंटर-जेंडर ट्रांसप्लांट किए गए हैं। अपनी सफल सर्जरी के बाद से श्रेया काफी खुश हैं। दरअसल सितंबर, 2016 में एक हादसे के दौरान श्रेया के दोनों हाथों को काटना पड़ा था।
डॉक्टर कर रहे हैं शोध
हाथों का रंग बदलने पर वह कहती हैं, 'मुझे नहीं पता कि ये बदलाव कैसे हुआ। लेकिन ऐसा लगता है कि अब ये मेरे ही हाथ हैं। ऑपरेशन के बाद त्वचा का रंग काफी डार्क था, ऐसा नहीं है कि मैं कभी इसे लेकर चिंतित थी, लेकिन अब ये मेरी त्वचा के रंग जैसा ही हो गया है।' श्रेया का ये ऑपरेशन कोच्चि के अमृता इस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (AIMS) में किया गया है। अब यहां के डॉक्टर शोध कर रहे हैं कि महिला हॉर्मोन इस तरह के बदलावों को क्या झेल पाएंगे।
स्किन टोन में बदलाव का कोई रिकॉर्ड नहीं
हैरानी की बात तो ये है कि दुनियाभर में 200 से भी कम हाथ ट्रांसप्लांट किए गए हैं लेकिन वैज्ञानिक तौर पर किसी भी तरह के स्किन टोन में बदलाव का कोई रिकॉर्ड नहीं है। यहां तक कि डॉक्टरों का भी यही कहना है कि ये उन्होंने ऐसा पहला केस देखा है। संस्थान में प्लास्टिक सर्जरी डिपार्टमेंट के हेड डॉ. सुब्रमन्या अय्यर ने कहा, 'हम साइंटिफिक जर्नल में हाथ ट्रांसप्लांट के दो मामले पब्लिश करना चाहते हैं। इसमें अभी समय लगेगा। हमने अभी श्रेया के हाथों के रंग में बदलाव को रिकॉर्ड किया है लेकिन उंगलियों और हाथ की बनावट में बदलाव को समझने के लिए थोड़ा और शोध करना होगा।'
इंटर-जेंडर हैंड ट्रांसप्लांट पर ज्यादा शोध नहीं हुआ
डॉ. सुब्रमन्या अय्यर ने कहा, 'एक अफगान सैनिक का भी डबल-हैंड ट्रांसप्लांट हुआ था और उसे एक पुरुष के ही हाथ लगाए गए थे। तो उसके स्किन टोन में थोड़ा बदलाव देखा गया था। लेकिन उसकी बीते हफ्ते अफगानिस्तान में मौत हो गई। हम ज्यादा पता नहीं लगा पाए।' इस ऑपरेशन में टीम का हिस्सा रहे प्लास्टिक सर्जन डॉक्टर मोहित शर्मा ने कहा, इंटर-जेंडर हैंड ट्रांसप्लांट पर ज्यादा शोध नहीं हुआ है।
'कोई वैज्ञानिक शोध नहीं'
डॉक्टर मोहित ने कहा, 'केवल पश्चिम में ही महिला से पुरुष में हैंड ट्रांसप्लांट का एक केस सामने आया था। लेकिन इसपर कोई वैज्ञानिक शोध नहीं है कि उसके बाद क्या हुआ। ऐसा हो सकता है कि मेलानिन-उत्पादक कोशिकाएं धीरे-धीरे डोनर के सेल को बदल देती हैं।' बता दें श्रेया के हाथों का ना पहले रंग बल्कि कलाई के आकार और कोशिकाओं में भी काफी फर्क था। लेकिन अब उनके हाथों के रंग के साथ-साथ उसका आकार भी बदलने लगा है। जब श्रेया का एक्सिडेंट हुआ तब वह 19 साल की थीं। वह पुणे से मनीपाल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, कर्नाटक के लिए बस से सफर कर रही थीं, सभी बस पलट गई थी।
हादसे से टूटी नहीं थीं श्रेया
श्रेया जैसै-तैसे बस से बाहर तो निकल गईं, लेकिन उनके हाथों में तब कोई हरकत नहीं थी। लेकिन इससे वह टूटी नहीं बल्कि हादसे के चार महीने बाद उन्होंने अमृता इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में होने वाले हैंड ट्रांसप्लांट के बारे में पढ़ा। प्रोथेस्टिक हाथों का इस्तेमाल करने की कोशिश भी की लेकिन बाद में ट्रांसप्लांट कराने का ठान लिया। उन्होंने इस बारे में अपने परिवार को बताया। 13 घंटे चले ऑपरेशन के बाद श्रेया को हाथ मिल गए और आज वह काफी खुश भी हैं।
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