इतिहास में पहली बार कोर्ट में व्हाट्सएप वीडियो कॉलिंग के जरिया दिया गया तलाक
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पुणे। दिन पर दिन सोशल मीडिया का असर प्रत्येक क्षेत्र में दिखाई दे रहा है। ऐसे में न्यायप्रणाली कैसे पीछे रह सकती है। पुणे के बारामती कोर्ट में इतिहास में पहली बार व्हाट्अएप वीडियो कॉलिंग के जरिए तलाक पर निर्णय दिया गया। जर्मनी में कार्यरत पति से संपर्क करके भारत में रह रही पत्नी को व्हाट्सएप कॉलिंग के जरिए तलाक देने में बारामती कोर्ट ने सफल आदेश दिया। यह आदेश वरिष्ठ स्तर दिवाणी न्यायाधीश महेंद्र बडे ने दिए हैं।
पति के जर्मनी से ना पाने के कारण लेना पड़ा व्हाट्सएप का सहारा
एक हाइप्रोफाइल सोसायटी के दंपति के बीच काफी दिनों से खटास चल रही थी, नौकरी के सिलसिले में पति को जर्मनी जाना पड़ा था, तब से पति पत्नी के बीच हमेशा अनबन बन रहती थी। इस जोड़े ने आपसी सहमति से बारामती कोर्ट में 27 जून 2017 को तलाक के लिए केस दाखिल किया था। केस दाखिल करने के बाद पति नौकरी के सिलसिले में जर्मनी वापस चला गया था। इसलिए जर्मनी से फिर से बारामती आना पति के लिए संभव नहीं था। जिसकी वजह से तलाक देने में कोर्ट को काफी दिक्कतें आ रही थी।
आपसी सहमति से कोर्ट ने कराया तलाक
पति-पत्नी को तलाक लेने से पहले 6 महीने का समय दिया गया था, लेकिन 6 महीने का वक्त गुजर जाने के बाद भी पति-पत्नी आपसी सहमति से तलाक लेने के मांग दंपति ने कोर्ट से की थी। पति को भारत आना संभव नहीं था इस वजह से तलाक पर कोई फैसला देने में कोर्ट को दिक्कत आ रही थी। इसलिए इस केस की पैरवी कर रहे एडवोकेट प्रसाद खारतुडे ने वीडियो कॉलिंग द्वारा पति से तलाक को लेकर जवाब मांगने की अनुमित कोर्ट से मांगी थी। जिसे कोर्ट ने अनुमति दे दी थी। पत्नी को पति को वॉडियो कॉलिंग कर तलाक देने की अनुमति दी गई।
इतिहास में पहली बार दिया गया ऐसा फैसला
वीडियो कॉलिंग द्वारा पहले कोर्ट ने पति और पत्नी की पहचान की थी। इस समय जज ने केस से संबंधित पति को पूछा था कि आप कहां हो? कोर्ट में क्यों उपस्थित नहीं हुए? क्या फिर से साथ रहने की इच्छा है क्या? यह सवाल पूछे गए थे। पति ने व्हाट्सएप कॉलिंग द्वारा कोर्ट में बताया कि वह जर्मनी में है और नौकरी की वजह से भारत में वापस नहीं आ सकता। पति-पत्नी ने आपस में तलाक लेने की इच्छा जाहिर करने की वजह से कोर्ट ने उनकी सहमति को कोर्ट का ठप्पा लगाकर, व्हाट्सअप कॉलिंग द्वारा तलाक पर निर्णय सुनाया। बारामती कोर्ट के इतिहास में पहली बार वॉटसअप के वीडियो कॉलिंग का इस्तेमाल करके दोनों पति-पत्नी को न्याय मिला। दोनों पति-पत्नी दो साल से अलग अलग रह रहे थे।