'YSMS' के चलते खुफिया पकड़ से बच गया आतंकी डार, एजेंसियों के हाथ लगा बड़ा सुराग!
पुलवामा हमले में सुरक्षा एजेंसियों के हाथ लगा बड़ा सुराग, सर्विलांस की पकड़ से कैसे बचा आतंकी डार?
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नई दिल्ली। जम्मू कश्मीर के पुलवामा में बीते शुक्रवार को हुए आत्मघाती हमले में सीआरपीएफ के 40 जवानों के शहीद होने के बाद जांच एजेंसियां अब इस बात की जांच में जुट गई हैं कि आखिर कैसे एक आतंकी इतनी बड़ी मात्रा में आरडीएक्स लेकर घाटी में छुपा रहा। सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि इतने बड़े हमले को लेकर निर्देश लेने के लिए आतंकी आदिल अहमद डार जैश-ए-मोहम्मद के अपने आकाओं से जरूर संपर्क में रहा होगा, तो वह सुरक्षा एजेंसियों के सर्विलांस की पकड़ में क्यों नहीं आया। पुलवामा हमले की जांच कर रही एजेंसियों के हाथ इस संबंध में एक बड़ा सुराग लगा है। दरअसल आतंकी डार ने जैश के अपने आकाओं से बात करने के लिए एक अलग तरह की तकनीक का इस्तेमाल किया था।
सर्विलांस के कैसे बचा आतंकी डार
टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक, सुरक्षाबलों और खुफिया एजेंसियों को शक है कि जम्मू कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हमला करने वाले फिदायीन आतंकी आदिल अहमद डार ने जैश-ए-मोहम्मद के अपने आकाओं से पीयर-टू-पीयर सॉफ्टवेयर सर्विस- 'YSMS' या फिर ऐसे ही किसी मोबाइल एप के जरिए दिसंबर 2018 तक हमले के संबंध में निर्देश लिए। आतंकी डार ने इस दौरान सर्विलांस की निगरानी से बचने के लिए पूरी तरह से मोबाइल फोन का इस्तेमाल करने से परहेज किया। YSMS मैसेज की एक कॉपी भी इंटेलिजेंस सूत्रों के हाथ लगी है और माना जा रहा है कि ये वो मैसेज हैं, जो पुलवामा हमले के बाद जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों के बीच एक्सचेंज किए गए। इंटेलिजेंस सूत्रों के हाथ जो मैसेज लगे हैं, उनमें से एक में लिखा है- 'मुजाहिदीन जिश मोहम्मद का अंतिम संस्कार सफल'। दूसरे मैसेज में लिखा है- 'उन्मादी हमले में भारतीय सैनिक मारे गए और दर्जनों गाड़ियां तबाह हो गई'।
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कैसे काम करता है YSMS सॉफ्टवेयर?
YSMS एक ऐसी सर्विस है, जो एन्क्रिप्टेड टेक्स्ट मैसेज भेजने के लिए अल्ट्रा हाई रेडियो फ्रिक्वेंसी मॉडल पर काम करती है। इस बात को ऐसे समझिए कि जैसे रेडियो सेट को एक ऐसे मोबाइल फोन से जोड़ दिया जाता है, जिसके अंदर कोई सिम कार्ड नहीं होता। यह रेडियो सेट वाईफाई क्षमता वाले एक छोटे ट्रांसमीटर की तरह काम करता है। मोबाइल को कनेक्ट करने के लिए वाईफाई का इस्तेमाल किया जाता है। इस सिस्टम में बेहतर कम्युनिकेशन के लिए मैसेज रिसीव करने वाले को भेजने वाले के फोन के सीधे संपर्क में होना चाहिए। YSMS एप्लिकेशन डार्क वेब पर 2012 से उपलब्ध है, लेकिन पाकिस्तान में आतंकी संगठनों ने अब इसका एक नया वर्जन डेवलेप किया है। नए वर्जन में फ्रिक्वेंसी का इस तरह इस्तेमाल किया जाता है, ताकि वो किसी भी मॉनिटरिंग डिवाइस की पकड़ में ना आए।
हमले का मास्टरमाइंड गाजी अब्दुल राशिद ढेर
आपको बता दें कि सोमवार सुबह को ही जम्मू कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले का बदला लेते हुए भारतीय सुरक्षा बलों ने हमले के मास्टरमाइंड माने जा रहे गाजी अब्दुल राशिद को मुठभेड़ में ढेर कर दिया। गाजी अब्दुल राशिद के अलावा जैश-ए-मोहम्मद का एक और आतंकी कामरान भी इस मुठभेड़ में मारा गया है। बीते शुक्रवार को तड़के 3 बजे 2500 से ज्यादा सीआरपीएफ जवानों को लिए 78 गाड़ियों का काफिला जम्मू से श्रीनगर जाने के लिए निकला और दोपहर तक दक्षिणी कश्मीर पहुंचा। जवानों का काफिला श्रीनगर से महज 30 किलोमीटर ही दूर था, कि तभी फिदायीन आतंकी आदिल अहमद डार आरडीएक्स से भरी हुई गाड़ी हाईवे पर लेकर आया और जवानों की बस से गाड़ी को टकरा दिया। तेज धमाका हुआ और बस के परखच्चे उड़ गए। साथ चल रहे सीआरपीएफ के बाकी जवान कुछ समझ पाते, तब तक इस आतंकी हमले में उनके 40 साथी जवान शहीद हो चुके थे। धमाका इतना भीषण था कि बस के टुकड़ों के साथ सीआरपीएफ के शहीद जवानों के शव एक किलोमीटर के दायरे में बिखर गए।
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