पुलवामा आतंकी हमले की 5 छिपी बातें, CRPF पर किया गया 'लोन वुल्फ' अटैक
जम्मू कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर आतंकी हमले के बाद 5 बड़ी बातें सामने आ रही हैं।
नई दिल्ली। जम्मू कश्मीर के पुलवामा (pulwama terror attack) में सीआरपीएफ (CRPF) के 40 जवानों की शहादत के बाद इस आतंकी हमले को लेकर कई बड़ी और छिपी हुई बातें सामने आ रही हैं। उरी हमले के बाद आतंकवादियों का यह दूसरा बड़ा हमला है, जिसमें देश के 6 राज्यों के 40 सीआरपीएफ जवान शहीद हुए हैं। उरी हमले में सेना के 19 जवान शहीद हुए थे। इस तरह से यह उरी से भी बड़ा हमला है। इस आतंकी हमले के बाद भारत ने जहां पाकिस्तान के प्रति सख्त रवैया अपनाते हुए उससे मोस्ट फेवर्ड नेशन (most favoured nation) का दर्जा वापस ले लिया है, तो वहीं अमेरिका, रूस और इजरायल जैसे दिग्गज देशों ने भी आंतक के खिलाफ लड़ाई में भारत के साथ खड़े होने का ऐलान किया है। सूत्रों के मुताबिक पुलवामा हमले को लेकर शुरुआती जांच में पांच गहरी बातें निकलकर सामने आ रही हैं।
पीओके से पूरी प्लानिंग के साथ किया हमला
सूत्रों के मुताबिक पुलवामा आतंकी हमले की साजिश उरी हमले की तरह पीओके में बैठकर रची गई। जैश-ए-मोहम्मद (jaish e mohammed) के सरगना अजहर मसूद ने पीओके में बैठकर स्थानीय आतंकियों के साथ इस हमले की योजना को अंजाम दिया। इसके बाद आतंकियों ने सीआरपीएफ के काफिले को लेकर हाईवे की रेकी की। सूत्रों का कहना है कि सीआरपीएफ का काफिला कितने बजे गुजरेगा, उसमें कितने वाहन और जवान होंगे, यह सारी जानकारियां आतंकियों के पास पहले से थी। इसके बाद जैश ने आदिल अहमद डार को एक आत्मघाती हमलावर के तौर पर तैयार किया और इस हमले को अंजाम दिया।
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हमले के लिए CRPF के काफिले को ही क्यों चुना?
पुलवामा हमले की शुरुआती जांच में जो बड़ी बात निकलकर सामने आ रही है, वो यही है कि आतंकियों ने एक पुख्ता साजिश रचकर सीआरपीएफ पर यह हमला किया। सूत्रों के मुताबिक आतंकियों के निशाने पर पहले भारतीय सेना के जवान थे, लेकिन बाद में सीआरपीएफ के इस काफिले को हमले के लिए चुना गया। आतंकियों को सीआरपीएफ के इस बड़े मूवमेंट की जानकारी पहले से थी और वो चाहते थे कि उनके हमले में ज्यादा से ज्यादा नुकसान हो।
पहले से तय कर रखी थी हमले की जगह
सीआरपीएफ के काफिले पर हमले के लिए आतंकियों ने पहले से ही अपने लिए एक जगह चुन रखी थी। दरअसल, इसके पीछे भी आतंकियों की मंशा ज्यादा से ज्यादा नुकसान पहुंचाने की थी। सीआरपीएफ का काफिला जम्मू से तड़के 3 बजकर 30 मिनट पर श्रीनगर जाने के लिए निकला। सूत्रों के मुताबिक, आतंकियों ने पुलवामा में हमले के लिए जिस जगह को चुना, वहां चढ़ाई पर एक मोड़ था। यहां से गुजरते हुए काफिले की गाड़ियां कुछ धीमी होंगी, इसका आतंकियों को पता था। दोपहर को करीब 3 बजे जैसे ही सीआरपीएफ का काफिला यहां से गुजरा, फिदायीन आतंकी ने अपने खतरनाक मंसूबे को अंजाम दे दिया।
सीआरपीएफ पर किया गया 'लोन वुल्फ' अटैक
सीआरपीएफ के इस काफिले पर हमले को एक ही आतंकी ने आत्मघाती हमलावर के तौर पर अंजाम दिया। सीआरपीएफ के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि हमले की शुरुआती जांच में एक ही आतंकी के शामिल होने के संकेत मिल रहे हैं। उन्होंने बताया कि यह 'लोन वुल्फ' अटैक था, जिसे फिदायीन आतंकी आदिल अहमद डार ने अकेले ही किया। पुलवामा में हमले के लिए पहले से तय मोड़ पर जैसे ही आगे चल रहीं काफिले की दो गाड़ियां निकलीं, फिदायीन आतंकी ने अपनी गाड़ी ओवरटेक कर काफिले की तीसरी बस से विस्फोट से भरी जा टकराई।
कई महीने से जमा किया जा रहा था RDX
पुलवामा आतंकी हमले में पहले आईईडी के प्रयोग की बात सामने आई, लेकिन अब जांच में सामने आया है कि हमले में 80 किलो आरडीएक्स का इस्तेमाल किया गया। यहां सवाल यह भी है कि इस हमले के लिए इतनी बड़ी मात्रा में आरडीएक्स कैसे जमा किया गया। सूत्रों की मानें तो शुरुआती जांच में यह बात सामने आई है कि पुलवामा आतंकी हमले को जिस बड़े स्तर पर अंजाम दिया गया है, उसके लिए छोटी-छोटी मात्रा में पिछले कई महीनों से आरडीएक्स जम्मू कश्मीर में जमा किया जा रहा था।
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