Pulwama Attack: जब एक साल पहले CRPF काफिले पर हुए हमले में शहीद हो गए थे 40 जवान, जानिए क्या हुआ था उस दिन
नई दिल्ली। ठीक एक साल पहले देश में जब सर्दियां अलविदा कहने को तैयार थीं और यंगस्टर्स वैलेंटाइन डे की मस्ती में सरोबार थे, तो उसी पल दोपहर करीब 3:30 बजे जम्मू कश्मीर के पुलवामा से दिल तोड़ने वाली खबर आई। जम्मू कश्मीर नेशनल हाइवे पर सेंट्रल रिजर्व पुलिस फोर्स (सीआरपीएफ) के काफिले को दक्षिण कश्मीर के पुलवामा में निशाना बनाया गया। एक आत्मघाती हमला और 40 जवानों की शहादत की उस घटना ने दिल तोड़कर रख दिया। जैश-ए-मोहम्मद ने सीआरपीएफ जवानों से भरी दो बसों पर हमला बोला था। हमले को जैश के सुसाइड बॉम्बर ने अंजाम दिया था। आज इस हमले को एक बरस हो गए हैं। इस मौके पर जानिए कि आखिर उस दिन कैसे एक हमले ने सुरक्षा एजेंसियों की नींद उड़ाकर रख दी थी।
अचानक हुआ जोरदार ब्लास्ट
14 फरवरी 2019 को पुलवामा अवंतिपोरा से जब सीआरपीएफ का काफिला गुजर रहा था तो ठीक उसी समय एक जोरदार ब्लास्ट हुआ। शुरुआत में इसे एक आईईडी ब्लास्ट माना गया था लेकिन कुछ घंटों बाद इस बात की पुष्टि हो गई कि यह एक सुसाइड ब्लास्ट था और इसमें आरडीएक्स का प्रयोग हुआ था। हमले में 40 जवान शहीद हो गए थे। जिस काफिले को निशाना बनाया गया था उसमें 2500 जवान शामिल थे। हमले की जिम्मेदारी कुछ घंटों बाद ही जैश-ए-मोहम्मद ने ले ली थी। इस हमले ने सुरक्षा एजेंसियों की नींद उड़ाकर रख दी थी और 17 साल पहले हुए एक हमले की याद ताजा कर दी थी।जो जवान हमले में शहीद हुए थे और जो काफिले में शामिल थे वे सभी भारी बर्फबारी की वजह से करीब एक हफ्ते तक जम्मू में ही फंसे रह गए थे।
छुट्टी से वापस लौटे थे जवान
बर्फबारी की वजह से जो जवान श्रीनगर जाने वाले थे उनकी संख्या में इजाफा हो गया और काफिले में जवानों की संख्या भी बढ़ गई। कई जवान छुट्टी पूरी करके ड्यूटी पर वापस लौटे थे। जवानों का काफिला जम्मू स्थित चेनानी रामा ट्रांसिट कैंप से श्रीनगर के लिए निकले थे। तड़के चले जवानों को सूर्यास्त से पहले पहुंचना था। 78 बसों में 2500 जवानों को लेकर काफिला जम्मू से रवाना हुआ था। जम्मू में सीआरपीएफ के प्रवक्ता आशीष कुमार झा ने मीडिया से बात की और कि ये जवान अपनी छुट्टी से लौटे थे। सभी जवानों को श्रीनगर के बख्शी स्टेडियम स्थित ट्रांसिट कैंप में पहुंचना था।
सुबह से सफर कर रहे थे जवान
सफर करीब 320 किलोमीटर लंबा था और सुबह 3:30 बजे से जवान सफर कर रहे थे। हमले के बाद सीआरपीएफ अधिकारी की ओर से इस हमले के बारे में जानकारी दी गई। उन्होंने उस समय बताया था कि काफिले में करीब 70 बसें थीं और इसमें से एक बस हमले की चपेट में आ गई। काफिला जम्मू से श्रीनगर की तरफ जा रहा था। चौंकाने वाली बात यह थी कि आतंकी संगठन जैश ने टेक्स्ट मैसेज भेज कर हमले की जिम्मेदारी ली गई है। जैश ने यह मैसेज कश्मीर की न्यूज एजेंसी जीएनएस को भेजा था। बाद में स्पष्ट हो गया था कि इस हमले में दो बसों को निशाना बनाया गया है जो जवानों को लेकर जा रही थी। जैश के आतंकी आतिफ अहमद डार ने इस हमले को अंजाम दिया था।
पहले से हाइवे पर रेडी था हमलावर
पुलवामा के अवंतिपोरा से जब सीआरपीएफ जवानों को लेकर बस गुजर रही थी ठीक उसी समय एक कार बस से जा टकराई थी। यह कार पहले से ही हाइवे पर खड़ी थी। जैसे ही बस यहां पर पहुंची जोरदार धमाका हुआ। जवानों को लेकर बस जम्मू से श्रीनगर जा रही थी। जिस जगह पर हमला हुआ था वहां से श्रीनगर की दूरी बस करीब 33 किलोमीटर थी और काफिले को पहुंचने में बस घंटे का ही समय बचा था। धमाका इतना जोरदार था कि जवानों के शरीर के चिथड़े तक उड़ गए थे। इस हमले को जैश की ओर से लिया गया बदला माना गया था। हमले से दो दिन पहले पुलवामा के ही रात्नीपोरा इलाके में हुए एनकाउंटर में सुरक्षाबलों ने जैश के एक आतंकी को ढेर कर दिया था।
उरी के बाद सबसे बड़ा हमला
साल 2016 में हुए उरी आतंकी हमले के बाद सुरक्षाबल एक और बुरे आतंकी हमले का निशाना बने थे। इस हमले में 45 से ज्यादा जवान घायल हो गए थे। केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार के पहले कार्यकाल के पांच वर्षों में यह 18वां आतंकी हमला था। पुलवामा हमले को जैश के आतंकी आदिल अहमद डार उर्फ वकास ने अंजाम दिया था आदिल की उम्र करीब 23 साल थी और वह पुलवामा के काकापोरा का रहने वाला था। आदिल साल 2018 में ही जैश से जुड़ा था। जैश ने हमले के बाद आदिल का अपना कमांडो बताया था और कहा था कि उसने बड़ी ही बहादुरी से अपना मिशन पूरा किया।