ये सबूत बताते हैं कि पाकिस्तानी आर्मी की जूती हैं इमरान खान
नई दिल्ली: पुलवामा में सीआरपीएफ काफिले पर हमले के पांच दिन बाद पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान की नींद खुली भी तो उनके पास कहने के लिए कुछ खास नहीं था। वे एक तरह से एक रटी-रटाई स्क्रिप्ट पढ़ने आए थे, जो शायद अंतरराष्ट्रीय दबाव के बीच पाकिस्तानी सेना के अफसरों और आईएसआई ने तैयार की थी। यही कारण है कि लगभग 6 मिनट के उनके रिकॉर्डेड बयान में भी 20 कट होने की बात कही जा रही है। कुल मिलाकर उनके छोटे से बयान में ऐसा कुछ भी अलग नहीं था, जिससे भारत को कुछ भी भरोसा मिल सके। यूं कह लीजिए कि एक तरह से पाकिस्तान ने अपना वही इतिहास दोहराया है, जो वहां पर पहले की कथित चुनी हुई सरकारें अपनाती रही हैं।
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फिर से सबूत देने का ढोंग
इमरान खान ने भारत पर सीधा आरोप लगाया है कि उसने बिना किसी सबूत के उसके ऊपर आरोप लगा दिया है। उनके शब्दों में "आपने (भारत सरकार) पाकिस्तान सरकार पर बिना किसी सबूत के आरोप लगाया है।" जबकि, उन्होंने अपने बयान में एकबार भी जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मौलाना मसूद अजहर का जिक्र नहीं किया, जो पुलवामा हमले के लिए जिम्मेदारी है। वह लगातार पाकिस्तानी सेना की सरपरस्ती में बेखौफ होकर भारत विरोधी गतिविधियों को अंजाम दे रहा है। 1993 के मुंबई बम धमाके से लेकर, 2008 के मुंबई हमले, उरी, पठानकोट से लेकर पुलवामा हमले के गुनहगार सभी पाकिस्तान में मौजूद हैं, लेकिन वो हरबार सबूत की मांग करके सच्चाई को झुठलाने की कोशिश कर रहा है।
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विक्टिम कार्ड खेलने की चाल
आतंकवाद के मसले पर जब भी पाकिस्तान बेनकाब होने लगता है, वह विक्टिम कार्ड खेलना शुरू कर देता है। इमरान खान की बातों में वही सबकुछ दिखा। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान भी आतंकवाद का शिकार है और आतंकवादी घटनाओं में वहां भी हजारों जानें जा चुकी हैं। इमरान खान ने कहा कि "यह एक नया पाकिस्तान है.....हम स्थायित्व चाहते हैं। भारत पर हमला करके हमें फायदा नहीं होगा।" उन्होंने कहा कि "पाकिस्तान को इससे क्या फायदा है? क्यों पाकिस्तान करेगा इस स्टेज पर जब पाकिस्तान स्थायित्व की तरफ जा रहा है?" उन्होंने कहा कि ये उनके हित में है कि पाकिस्तान की जमीं से कोई हिंसा न फैलाई जाए। उन्होंने कहा कि अगर किसी पाकिस्तानी के खिलाफ सबूत मिलेगा तो उसपर कार्रवाई करेंगे। सवाल उठता है कि क्या पाकिस्तान ने आजतक मुंबई हमलों के गुनहगार हाफिज सईद, मुंबई धमाकों के गुनहगार दाऊद इब्राहिम या भारत में दहशतगर्दी का दूसरा नाम बन चुके मौलाना मसूद अजहर के खिलाफ कभी कोई कार्रवाई की? क्या उनमें जैश-ए-मोहम्मद के उस सरगाना पर कार्रवाई का दम है, जिसने उन्हें चुनाव जिताने में मदद की थी।
उल्टे भारत को धमकाने की चाल
चोरी के तरीकों से ही सही पाकिस्तान आज परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र बन चुका है। वह जब भी भारत के गुस्से का शिकार बनने लगता है, परमाणु हमले की धमकियां देना शुरू कर देता है। लगभग उसी अंदाज में इमरान खान ने एकबार फिर से भारत को धमकी दे दी है। भारत सरकार द्वारा पुलवामा के गुनहगारों को सजा देने के लिए सेना को खुली छूट दिए जाने के जवाब में उन्होंने भारत पर जवाबी कार्रवाई की बात कही है। इमरान खान ने कहा है कि "अगर आप (भारत सरकार) सोचते हैं कि आप हमपर हमला करेंगे और हम उसका जवाब नहीं देंगे, तो हम उसके खिलाफ जवाबी कार्रवाई करेंगे।" पाकिस्तान समझता है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उसकी छवि एक गैर-जिम्मेदार राष्ट्र की है। अगर भारत पाकिस्तान में छिपे बैठे आतंकियों के खिलाफ ठोस कार्रवाई शुरू करता है, तो पाकिस्तानी सेना उसे दो देशों के बीच जंग का शक्ल दे सकती है। लिहाजा अंतरराष्ट्रीय समुदाय परमाणु जंग के खतरे को देखते हुए हर स्थिति में बीच-बचाव करके पाकिस्तान को एकबार फिर से बच निकलने का रास्ता निकालना शुरू कर देगा। पहले कई मौकों पर पाकिस्तान की यह चाल कामयाब भी रही है।
कश्मीर राग
इसी बहाने इमरान खान ने बहुत ही चालाकी से एकबार फिर से कश्मीर मुद्दे को उठाने की भी कोशिश की है। तथ्य यह है कि पुलवामा हमले का आत्मघाती हमलावर आदिल डार कश्मीरी था। इसी के चलते इमरान खान ने एकबार फिर से सभी मसलों को बातचीत से सुलझाए जाने की बात दोहराने की कोशिश की है। पाकिस्तान की आदत है कि वह कश्मीर मसले को हर हाल जिंदा रखना चाहता है। इसलिए वो एक तरफ से घाटी के बचे-खुचे आतंकियों को सक्रिय मदद पहुंचाता है और दूसरी तरफ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वहां की हालात का रोना रोता है। पुलवामा हमले को सुसाइड अटैक से अंजाम दिया गया। इसको छोड़ दें तो हाल के महीनों में वहां आतंकी गतिविधियों पर काफी हद तक लगाम लगी हैं, इसमें कोई संदेह नहीं है। यही नहीं घुसपैठ में भी कमी आई है, इसलिए पाकिस्तान इसे फिर से सुलगाना चाह रहा है।
यही नहीं, इमरान खान ने पुलवामा हमले को भारत में होने वाले आम चुनाव से जोड़कर भी अपनी मंशा जाहिर कर दी है। उन्होंने कहा है कि भारत में चुनाव का साल है, इसलिए वहां की मीडिया और नेता पाकिस्तान पर हमले को तूल दे रहे हैं।