पुलवामा हमला: अफगानिस्तान से US आर्मी के लौटने से कश्मीर में आतंकी करेंगे खून खराबा
नई दिल्ली। जम्मू कश्मीर के पुलवामा में गु्रुवार को दशकों बाद दिल दहला देने वाला आतंकी हमला हुआ, जिसमें सेना के 40 से अधिक जवानों की मौत हो गई। इस हमले के कुछ घंटों के बाद ही पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने इसकी जिम्मेदारी ले ली। पुलवामा जिले के अवंतिपोरा में गुरुवार को जब सेना के काफिला पर हमला हुआ, उसी दिन तालिबान ने अमेरिका के साथ वार्ता की घोषणा कर दी। अफगानिस्तान मुद्दे पर पाकिस्तान में तालिबान और अमेरिका बात करने की योजना बना रहे हैं। हालांकि, अभी तक अमेरिका ने इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है। डिफेंस एक्सपर्ट मानते हैं कि तालिबान से बात करना और अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की घर वापसी दोनों ही भारत के लिए चिंता का विषय है।
पुलवामा हमले से दो दिन पहले रेडिफ डॉट कॉम में लिखे एक आर्टिकल में रिटायर्ड कर्नल अनिल ए अठाले ने कश्मीर और भारत के बाकि हिस्सों पर आतंकी हमले को लेकर सतर्क रहने के लिए चेताया था। अठाले लिखते हैं, 'अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना के लौटने से भारत ने जिस तरह से अफगान पुननिर्माण के लिए जो अरबों डॉलर खर्च किये हैं, यह हमें कहां लाकर खड़ा कर देगा?' इस परिदृश्य में अफगानिस्तान, पाकिस्तान में तालिबान के शासन और वहां के बेरोजगार जिहादियों का पालन पोषण निश्चित रूप से भारत और कश्मीर के लिए होगा। देश के चुनावी अभियान में राष्ट्रीय सुरक्षा, रक्षा तैयारियों से जुड़े खतरों और भारत पर अफगान की स्थिति के सुधार के लिए क्या रणनीति होगी, इसका कहीं उल्लेख नहीं मिलता है।
सेना से रिटायर्ड कर्नल अठाले आज से 10 साल पहले भी देश की सुरक्षा पर चिंता व्यक्त करते हुए चेताया था कि कैसे तालिबान पाकिस्तान पर ओवरटेक कर हमारे दरवाजे पर आकर खड़ा हो जाएगा। अठाले अपने आर्टिकल में लिखते हैं कि अफगानिस्तान से संभावित अमेरिकी वापसी को तालिबान निश्चित रूप से अपनी जीत के रूप में देख रहा है। कश्मीर और भारत में एक बार फिर 1990 के दशक की तरह हालात हो जाएंगे, जहां आतंकवाद सीना तानकर चुनौती दे रहा होगा। रिटायर्ड कर्नल आगे लिखते हैं कि इस वक्त पाकिस्तान के लिए दो छोर (भारत-अफगानिस्तान) से युद्ध जैसी परिस्थितियां हैं, लेकिन एक बार जब पाकिस्तान फ्रेंडली तालिबान ने काबुल में अपने पैर जमा लिये, तो फिर इस्लामाबाद का पूरा फोकस कश्मीर में खून खराबे पर होगा।
अठाले चेतावनी देते हुए अपने आर्टिकल में लिखते हैं कि जैसे ही एक बार अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिक पूरी तरह से निकल जाएगी, उसके बाद भारत के सामने असली चुनौती आकर खड़ी होगी। इससे दक्षिण एशिया में सबसे बड़ा खतरा और नुकसान अगर किसी देश को होगा तो वह भारत है। भारत के सामने आकर खड़े आतंकवाद से निपटने के लिए चीन भी डील करने से पहले सोचेगा, क्योंकि वह ऐसा कोई कदम नहीं उठाना चाहता जिससे कि उनके शिनझियांग प्रांत में विद्रोह की स्थिति पैदा हो। अफगानिस्तान की जमीन से अमेरिकी सेना के लौटने से रूस क्या करेगा, इस पर नजर रहेगी।
बता दें कि पुलवामा के अवंतिपोरा में सीआरपीएफ के हमले के लगभग 24 घंटों के बाद भी अभी तक न तो पाकिस्तान के पीएम इमरान खान और न ही उनकी सत्तारूढ़ पार्टी पीटीआई ने कोई बयान दिया है। भारत ने पुलवामा हमले के लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराया है, लेकिन उनके विदेश मंत्रालय ने इन आरोपों का खंडन कर दिया है। सीसीएस की मीटिंग के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चेतावनी देते हुए कहा है कि यह हरकत करके दुश्मनों ने बहुत बड़ी गलती की है और इसका परिणाम उन्हें भुगतना होगा।