POK: जनता महंगाई से बेहाल, पाक पीएम कर रहे सरकारी खर्च पर जलसा
बेंगलुरु। पाकिस्तान की आवाम मंहगाई के चलते त्राहि त्राहि कर रही हैं और पाक पीएम इमरान खान उनकी चिंता छोड़ कश्मीर का राग अलाप रहे हैं। वो भारत के खिलाफ बयानबाजी और आतंकी साजिश रचने में मशरुफ हैं। मंहगाई से जूझ रही जनता को राहत देने के बजाय सरकारी खर्च पर इमरान खान ने 13 सितंबर को पीओके के मुजफ्फराबाद में सरकारी खर्च पर बड़ा जलसा करने का ऐलान कर चुके हैं।
इस जलसे का मकसद केवल इतना ही कि वह एक बार फिर दिखावा करना चाहते हैं कि वह अनुच्छेद-370 हटाए जाने के बाद कश्मीर की जनता के साथ हैं। ऐसे में पाक के लोग सवाल उठा रहे हैं कि पाकिस्तानी आवाम को नजरअंदाज कर कश्मीरी लोगों के समर्थन में सरकारी खर्च पर जलसे का मतलब क्या है?
जलसे में कश्मीर पर 'पॉलिसी स्टेटमेंट' पेश होगा
बता दें शुक्रवार को पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) के मुजफ्फरराबाद में शुक्रवार को पाकिस्तान सरकार विशाल रैली कर जनसभा का आयोजन कर रही हैं । बाकौल पाकिस्तान विदेश कार्यालय इस रैली में पाक पीएम इमरान कश्मीर पर 'पॉलिसी स्टेटमेंट' पेश करेंगे ।
पाकिस्तान ने कहा कि वह कश्मीर पर किसी भी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को तैयार है। पाकिस्तानी विदेश कार्यालय के प्रवक्ता मोहम्मद फैसल ने गुरुवार को मीडिया से साप्ताहिक मुलाकात के दौरान कहा कि पाकिस्तान कश्मीर मुद्दे को सुलझाने के लिए किसी भी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता मानने को तैयार है। उन्होंने कहा कि समझौता अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत होनी चाहिए। फैसल ने कहा, '(कश्मीर पर) मध्यस्थता की पेशकश हुई थी, लेकिन भारत तैयार नहीं है। हम इसके लिए तैयार हैं। हमारे सोची-समझी नीति है कि बातचीत के जरिए सारी समस्याएं सुलझाई जा सकती हैं।' उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री इमरान खान मुजफ्फराबाद की रैली में कश्मीर पर एक पॉलिसी स्टेटमेंट का खुलासा करेंगे।
इमरान को सता रहा पीओके हाथ से खिसकने का डर
गौरतलब हैं कि पीओके में यह रैली करने के पीछे पाक की इमरान सरकार का यह डर भी है कि कहीं उनके हाथ से पीओके भी न निकल जाएं। क्योंकि विगत शनिवार से सोमवार तक लगातार पीओके में कई स्थानों पर हजारों की संख्या में पीओकी की जनता ने पाक सरकार के खिलाफ बगावत का ऐलान करके सड़कों पर उतर आए थे। उनका आरोप था कि पाक की सेना और पुलिस उन पर जुर्म ढा रही है। वहीं पाक सरकार पीओके की खनिज संपदा से लाभ कमा रहे लेकिन वहां की आवाम की उसे दोयम दर्जे की जिंदगी बितानी पड़ रही है। वह पाक सरकार और सेना के खिलाफ नारे लगाए थे ये तो दहशगर्दी है, इसके पीछे वर्दी है। पाक से चाहिए आजादी अजादी के नारे बुलंद किए थे। यह जनसभा कर पाक सरकार अपना बल दिखाकर उनकी आवाज को कुचलना चाहती हैं।
इस्लामाबाद में इमरान की पिछली फ्लॉप जनसभा
अभी कुछ दिन पहले भी इस्लामाबाद में दोपहर 12 बजे इमरान सरकार ने कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के विरोध में सभा आयोजित की थी। जिसकी 12 मिनट में ही हवा निकल गयी थी। यहीं नहीं पाक में भुखमरी से मर रही जनता ने उनके खिलाफ नारे लगाना शुरु कर दिया था। वो भी सभा सरकारी खर्चे पर आयोजित की गयी थी। यहीं नहीं वहां की जनता ने पाक सरकार की एक एक नाकामी की पोल पूरी दुनिया के सामने खोल कर रख दी थी।
क्या सचमुच आ गए घास खाने के दिन
जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 खत्म किए जाने के बाद भारत के साथ पाक को दुश्मनी बहुत मंहगी पड़ रही हैं। पहले ही आर्थिक बदहाली की मार झेल रहे पाकिस्तान में अब लोगों को खाने-पीने की चीजों के लाले पड़ने लगे हैं। पाकिस्तान में खाने-पीने की चीजों की इतनी ज्यादा कमी हो चुकी है वहां मोहर्रम के दूध 140 रुपये लीटर तक बिका। दूध ही नहीं पाकिस्तान में खाने-पीने की अन्य चीजें और यहां तक कि दवाईयों के दाम भी बेतहासा बढ़ चुके हैं। यही वजह है कि खुद भारत संग व्यापार बंद करने की घोषणा करने वाले पाकिस्तान ने दो दिन पहले अपने आप ही गुपचुप तरीके से भारत से दवाईयों का आयात शुरू कर दिया है। इसी तरह अन्य खानें की वस्तुएं और पेट्रोल समेत अन्य सभी सामान के दाम आकाश छू रहे हैं। आलम ये है कि वहां के लोग अब पाक सरकार से सवाल करने लगे हैं कि क्या हम अब घास की रोटी खाएं ? दूध ही नहीं पाकिस्तान में खाने-पीने की अन्य चीजें और यहां तक कि दवाईयों के दाम भी बेतहासा बढ़ चुके हैं। यही वजह है कि खुद भारत संग व्यापार बंद करने की घोषणा करने वाले पाकिस्तान ने दो दिन पहले अपने आप ही गुपचुप तरीके से भारत से दवाईयों का आयात शुरू कर दिया है।
पाकिस्तान की आवाम ने इनकी हां में हां मिलाई थीं
गौरतलब हैं कि भारत ने 1974 में पोखरण में पहले परमाणु बम का परीक्षण किया था। तब पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो ने कहा था, 'हम घास की रोटी खाएंगे, लेकिन परमाणु बम जरूर बनाएंगे।' भुट्टो के इसी बयान का संज्ञान लेकर पाकिस्तान के नागरिक अपनी सरकार से सवाल पूछ रहे हैं कि अब क्या घास की ही रोटी खानी पड़ेगी। सोशल मीडिया पर लोग कमेंट कर रहे हैं कि भुट्टो ने कहा था अगर जरूरत पड़ी तो हम घास की रोटी खाएंगे, तब पाकिस्तान की आवाम ने उनकी हां में हां मिलाई थी। अब उस वादे को पूरा करने का समय आ गया है। वहीं कुछ लोग मजाकिया अंदाज में कह रहे हैं कि रोटी, नान और दूध की बढ़ती कीमतें तब तक कोई मायने नहीं रखतीं, जब तक कि घास उससे सस्ती है।
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