वित्त मंत्री ने कहा, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने 10,361.75 करोड़ रुपए ऋण को मंजूरी दी, लेकिन?
नयी दिल्ली। वित्त मंत्रालय ने बुधवार को बताया कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) ने कोरोना वायरस महामारी के चलते लागू लॉकडाउन से बुरी तरह प्रभावित एमएसएमई क्षेत्र को इस महीने के पहले दो दिन में तीन लाख करोड़ रुपए की आपातकालीन ऋण गारंटी योजना (ईसीएलजीएस) के तहत 3,893 करोड़ रुपए का कर्ज दिया। वहीं, पीएसबी ने एक जून से 100 फीसदी ईसीएलजीएस के तहत 10,361.75 करोड़ रुपए के कर्ज को मंजूरी दी है।
As of 1st June 2020, Public Sector Banks (PSBs) have sanctioned loans worth Rs 10,361.75 crores under the 100% Emergency Credit Line Guarantee Scheme: Office of Finance Minister Nirmala Sitharaman pic.twitter.com/qLvSiPU1Js
— ANI (@ANI) June 3, 2020
गौरतलब है यह योजना पिछले महीने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा घोषित 20 लाख करोड़ रुपए के आत्मनिर्भर भारत अभियान राहत पैकेज का सबसे बड़ा राजकोषीय घटक है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने एक ट्वीट में किया।
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केंद्रीय वित्त मंत्री ने अपने ट्वीट में लिखा, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने 100 फीसदी आपातकालीन ऋण गारंटी योजना के तहत 10,361.75 करोड़ रुपये के ऋण को मंजूरी दे दी है। इसमें से 3,892.78 करोड़ रुपए पहले ही जारी किए जा चुके हैं।
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उधर, भारतीय स्टेट बैंक के चेयरमैन रजनीश कुमार का कहना है कि लॉकडाउन स्थिति में ग्राहक जोखिम उठाने से कतरा रहे हैं। उनका कहना है कि बैंक लोन लेने को तैयार हैं, लेकिन लोन लेने से घबरा रहे हैं। SBI के चेयरमैन ने बताया कि सरकार की ओर से MSME सेक्टर को 3 लाख करोड़ का लोन की गारंटी दी गई है। सरकार ने इस योजना के लिए अप्रत्यक्ष रूप से सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में 30,000 करोड़ रुपए दिए हैं।
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ECLGS के तहत से 9.25 फीसदी की रियायती दर पर ऋण की मंजूरी
इस मामले पर वित्तीय सेवा विभाग ने कहा है कि सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग (एमएसएमई) अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं और आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत सरकार उनके विकास के लिए प्रतिबद्ध है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 21 मई को एमएसएमई क्षेत्र के लिए ईसीएलजीएस के माध्यम से 9.25 फीसदी की रियायती दर पर तीन लाख करोड़ रुपए तक के अतिरिक्त वित्त पोषण को मंजूरी दी थी।
हमारे पास फंड है, लेकिन कर्ज की मांग नहीं हैः एसबीआई चेयरमैन
एसबीआई के चेयरमैन रजनीश कुमार का कहना है कि बैंक के पास फंड है, लेकिन बाजार में कर्ज की मांग नहीं है। जब बैंकों के पास कर्जदारों की कमी है तो ऐसे में बैंकों को अपना पैसा रिजर्व बैंक में रखना होता है। उनके पास इसके अलावा कोई विकल्प नहीं है। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के कारण लोगों के सामने नकदी संकट उत्पन्न हो गई है, जिसके कारण बैंक और केंद्र सरकार लोगों को लोन बांटने पर जोर दे रहे हैं।
ECLGS के तहत बैंकों ने 10,361.75 करोड़ रुपये के कर्ज को मंजूरी दी
पीएसबी ने एक जून से 100 फीसदी ईसीएलजीएस के तहत 10,361.75 करोड़ रुपए के कर्ज को मंजूरी दी। यह योजना पिछले महीने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा घोषित 20 लाख करोड़ रुपए के आत्मनिर्भर भारत अभियान राहत पैकेज का सबसे बड़ा राजकोषीय घटक है। वित्त मंत्री ने एक ट्वीट में कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने 100 फीसदी आपातकालीन ऋण गारंटी योजना के तहत 10,361.75 करोड़ रुपए के ऋण को मंजूरी दे दी है, जिसमें से 3,892.78 करोड़ रुपये पहले ही जारी किए जा चुके हैं।
मोरेटोरियम (EMI भुगतान टालने का विक्लप) के लिए भी खास उत्साह नहीं
SBI चेयरमैन ने कहा कि कर्जदारों ने मोरेटोरियम (EMI भुगतान टालने का विकल्प) के लिए भी कुछ खास उत्साह नहीं दिखाया। SBI के चेयरमैन द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक बैंक के सिर्फ 20 फीसदी कर्जदारों ने ही मोरेटोरियम का ऑप्शन चुना है।आरबीआई ने दो बार रेपो रेट में कटौती कर दी, ताकि लोगों को अधिक से अधिक लाभ मिल सके, लेकिन इन सब प्रयासों के बावजूद लोग कर्ज लेने से कतरा रहे हैं।