खामोश हो गई कलम...वरिष्ठ पत्रकार-लेखक खुशवंत सिंह का निधन
उन्होंने अपना पूरा जीवन लिखने में बिता दिया। अनका अंतिम संस्कार आज शाम 4 बजे दिल्ली में किया जाएगा। खुशवंत सिंह की मौत की खबर से लोगों में शोक की लहर दौड़ पड़ी है।
खुशवंत सिंह का पत्रकारिता में अहम योगदान रहा है। वो 'योजना, नेशनल हेराल्ड, हिन्दुस्तान टाइम्स और 'दि इलेस्ट्रेटेड विकली ऑफ़ इंडिया' के संपादक रहे थे। उन्हें शुरुआत से ही लिखते का शौक रहा था। ख़ुशवंत को सबसे पहली ख़्याति भारत-पाकिस्तान के बंटवारे पर आधारित उपन्यास ''ट्रेन टू पाकिस्तान' से मिली थी। उन्होंने 'हिस्ट्री ऑफ़ सिख' नाम से सिख धर्म का इतिहास भी लिखा जिसे काफ़ी सराहा गया।
उम्र के अंतिम पड़ाव में आने के बाद भी वो लेखते रहे। पिछले साल उनकी किताब 'खुशवंतनामा: दि लेसन्स ऑफ़ माई लाइफ़' प्रकाशित हुई थी। वे विभिन्न अख़बारों में नियमित स्तम्भ भी लिखते रहे थे।
वो राजनीति में भी सक्रिय रहे थे। वे 1980 से 1986 तक राज्य सभा के सांसद थे। भारत सरकार ने उन्हें 2007 में पदम विभूषण और 1974 में पदम भूषण पुरस्कार दिया गया था।खुशवंत सिंह का जन्म 2 फरवरी 1915 में हुआ। उनके पिता सर शोभा सिंह लुटियन कू दिल्ली में एक प्रतिष्ठित बिल्डर का काम करते थे। खुशवंत सिंह ने अपनी स्नातक की पढ़ाई गवर्नमेंट कॉलेज, लाहौर में पूरी की और उसके बाद, लंदन, ब्रिटेन में किंग्स कॉलेज में कानून में आगे की पढ़ाई शुरू की।