लोकसभा चुनाव 2019: ठाणे लोकसभा सीट के बारे में जानिए
नई दिल्ली: महाराष्ट्र के ठाणे लोकसभा सीट से मौजूदा सांसद शिवसेना पार्टी के राजन बाबुराव विचरे हैं। विचरे शिवसेना के वरिष्ठ नेताओं में से एक हैं। ठाणे लोकसभा सीट के अंतर्गत आने वाली विधानसभा सीटों की बात करें तो छह में से 2 शिवसेना के पास हैं, 3 भाजपा के पास और 1 शरद पवार की एनसीपी के पास। यह संसदीय सीट मुंबई से सटी हुई है। ठाणे मुख्य रूप से विभिन्न उद्योगों के लिये जाना जाता है। यहां पर तमाम फैक्ट्रियां हैं जहां लेबर क्लास ज्यादा है। यहां पर निजी कंपनियों में काम करने वाले वोटर सबसे ज्यादा हैं। यानी मिडिल क्लास वोटर। अब इस मिडिल क्लास को पिछले पांच सालों में विचरे ने क्या दिया यह भी एक बड़ा सवाल है।
राजन बाबुराव विचरे का लोकसभा में प्रदर्शन
आपको बता दें कि के विकास के लिये आवंटित 25 करोड़ की सांसद निधि में से, विचरे ने दिसम्बर 2018 तक 24 करोड़ रुपए विकास कार्यों में खर्च किये। जोकि एक अच्छा रिकॉर्ड है।पिछले पांच सालों में संसद के अंदर उनकी परफॉरमेंस भी काफी अच्छी रही। 2014 से अब तक विचरे ने सदन में 77 फीसदी उपस्थिति दर्ज करायी। 2015 के मॉनसून सत्र व शीतकालीन सत्र और 2016 के बजट सत्र और शीकालीन सत्र में वे 100 फीसदी उपस्थित रहे। यानी उन्होंने संसद सत्र के दौरान एक भी दिन मिस नहीं किया। 2014 से अब तक विचरे ने कुल 50 चर्चाओं में हिस्सा लिया, जोबकि राष्ट्रीय औसत 63.8 है। लेकिन हां प्रश्न पूछने के मामले में बाबूराव काफी आगे रहे। उन्होंने 16वीं लोकसभा में दिसम्बर 2018 तक 471 प्रश्न पूछे। जोकि एक अच्छा रिकॉर्ड है। पूरे देश की बात करें तो सभी सांसदों ने इस लोकसभा में औसतन 273 प्रश्न पूछे। खास बात तो यह है कि ठाणे सांसद ने सबसे ज्यादा 42 प्रश्न रेल मंत्रालय से किये और 41 प्रश्न स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय से। हां यह जरूर है कि वे सदन में कोई भी प्राइवेट मेंबर बिल नहीं लाये।
चुनावी समीकरणों की बात करें तो फिलहाल शिवसेना एनडीए का भाग है, लेकिन जिस तरह से शिवसेना और भाजपा के बीच वैचारिक मतभेद आये दिन उभर कर सामने आते रहते हैं। उस तरह अगर 2019 के चुनावों में भाजपा और शिवसेना के बीच सीटों के बंटवारे पर कोई भी तकरार हुई, तो उसका असर ठाणे सीट पर जरूर पड़ेगा। क्योंकि भले ही फौरी तौर पर यहां भाजपा का वर्चस्व जरूर दिखाई दे रहा हो, लेकिन इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि एनसीपी की पैठ भी यहां काफी मजबूत है।
इतिहास के पन्ने पलटें तो 1980 के बाद से यह सीट 3 बार भाजपा के पास और 1 बार कांग्रेस के पास रही है। वहीं शिवसेना ने इस सीट पर 6 बार जीत दर्ज की, और एनसीपी ने 1 बार। इसमें कोई दो राय नहीं कि यहां पर एनसीपी की जड़ें मजबूत हैं, क्योंकि 2009 में एनसीपी यहां से जीती थी, जबकि 2004 और 2014 में एनसीपी दूसरे स्थान पर रही थी। यही नहीं 2008 में हुए उपचुनावों में भी एनसीपी दूसरे नंबर पर ही थी। यानी कुल मिलाकर बाबूराव विचरे अपने गढ़ में पूरी तरह तभी सेफ हैं, जब भाजपा उनके साथ है।