लोकसभा चुनाव 2019- सारण लोकसभा सीट के बारे में जानिए
नई दिल्ली: बिहार की सारण लोकसभा सीट से भाजपा के राजीव प्रताप रूडी सांसद हैं। उन्होंने 2014 के लोकसभा चुनाव में राबड़ी देवी को हराया था। जेडीयू उम्मीदवार तीसरे नम्बर पर रहा था। राबड़ी देवी से पहले लालू प्रसाद सारन लोकसभा सीट से सांसद हुआ करते थे।परिसीमन से पहले यही सीट छपरा के नाम से जानी जाती थी। सारण से पहले सांसद हुए सत्येन्द्र प्रसाद सिंह जो बाद में बिहार के मुख्यमंत्री भी बने।
सारण लोकसभा सीट का इतिहास
सारण की धरती जय प्रकाश नारायण की भी धरती है। जेपी का जन्म स्थान अब यूपी के बलिया का हिस्सा हो चुका है। जेपी ने देश में सम्पूर्ण क्रांति का बिगुल फूंका था। यह धरती लोकप्रिय क्रांतिकारी भोजपुरी गायक भिखारी ठाकुर के नाम से भी जानी जाती है। हमेशा से ही सारण राजनीतिक रूप से वीआईपी क्षेत्र बना रहा है। साल 1977 में लालू प्रसाद पहली बार सारण लोकसभा सीट से ही चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे थे। फिर 1989, 2004 और 2009 में लालू प्रसाद यहां से सांसद चुने गये। 1989, 1991 और 1996 में सारण से जनता दल के उम्मीदवारों ने जीत हासिल की थी।
सारण सीट पर बीजेपी भी बहुत मजबूत रही है। इसकी वजह है यहां राजपूत वोटरों का बाहुल्य। राजपूत वोटरों की संख्या इलाके में यादवों के बाद दूसरे नम्बर पर है। यादवों की तादाद साढ़े तीन लाख के आसपास है तो राजपूतों की 3 लाख के करीब। वर्तमान बीजेपी सांसद राजीव प्रताप रूडी भी इसी समुदाय से आते हैं। सारन लोकसभा क्षेत्र में विधानसभा की 6 सीटें हैं। इनमें से चार पर आरजेडी का कब्जा जबकि बीजेपी ने दो सीटें जीती हैं। जिन चार सीटों पर आरजेडी का कब्जा है उनमें मरहौरा, गरखा, परसा और सोनपुर शामिल हैं। बीजेपी के पास छपरा की सीट है जहां उसने आरजेडी को 7.35 फीसदी के अंतर से हराया था। बीजेपी के पास जो दूसरी सीट है वह है अमनौर। यहां बीजेपी ने जेडीयू पर जीत दर्ज की थी। अब दोनों ही एनडीए में हैं। एक-दूसरे के सहयोगी हैं।
राजीव प्रताप रूडी का लोकसभा में प्रदर्शन
राजीव प्रताप रूडी 2004 से 2017 तक मोदी कैबिनेट का हिस्सा रहे। उसके बाद वे सांसद के तौर पर संसद में सक्रिय रहे। 200 से ज्यादा बार डिबेट में उन्होंने हिस्सा लिया। 131 सवाल उन्होंने सदन में पूछे। 9 सरकारी बिल लेकर संसद में प्रस्तुत हुए। 6 प्राइवेट बिल भी उनके नाम है। वे चार कमेटियों के सदस्य हैं। इनमें शामिल हैं हाऊस कमेटी, फिनांस कमेटी, जल संसाधन और एस्टीमेट कमेटी।
गौरतलब है कि साल 2015 में विधानसभा चुनाव के बाद से प्रदेश का जो राजनीतिक समीकरण बदला है उसे देखते हुए विधानसभा चुनाव में इन नतीजों के मायने भी बदल चुके हैं। ऐसे में चार सीटों पर काबिज होने के बावजूद आरजेडी के लिए बीजेपी-जेडीयू गठजोड़ को तोड़ पाना मुश्किल होगा। सारण सीट से 2019 में राजीव प्रताप रूडी को चुनौती देने के लिए इस बार तेज प्रताप यादव ने कमर कसी है। अगर तेज प्रताप लोकसभा चुनाव लड़ते हैं तो लड़ाई तगड़ी होगी। चूकि बीजेपी और जेडीयू अब एक खेमे में हैं इसलिए इसका फायदा तो निश्चित रूप से राजीव प्रताप रूडी से मिलेगा, लेकिन मुकाबला कांटे का रहने वाला है।