लोकसभा चुनाव 2019: सागर लोकसभा सीट के बारे में जानिए
नई दिल्ली: मध्य प्रदेश के बुदेंलखंड अंचल के तहत आने वाली सागर संसदीय क्षेत्र से लगातार 6 बार से भाजपा जीत रही है, भाजपा नेता लक्ष्मीनारायण यादव यहां से मौजूदा सांसद हैं, उन्होंने साल 2014 के चुनावों में कांग्रेस के उम्मीदवार गोविंद सिंह राजपूत को 1,207,35 वोटों से हराया था। मध्य प्रदेश के सागर जिले को भारत का Heart of city कहा जाता है, ये राज्य के मशहूर शहरों में से एक है, इतिहास की बात करें तो यह क्षेत्र कभी गुहा मानव की क्रीड़ा स्थली था तो वहीं पौराणिक साक्ष्यों से ऐसे संकेत मिलते हैं कि इस जिले का भूभाग रामायण और महाभारत काल में विदिशा और दशार्ण जनपदों में शामिल था। यहां की जनसंख्या 23 लाख 13 हजार 901 है, जिसमें से 72 प्रतिशत लोग गांवों में और 27 प्रतिशत लोग शहरों में निवास करते हैं, ग्रामीण क्षेत्रों में लोग मुख्य रूप से कृषि एवं मजदूरी करते हैं लेकिन शहर में बड़ी संख्या में लोग बीड़ी और अगरबत्ती बनाने का काम भी करते हैं। सागर लोकसभा क्षेत्र में पांच विधानसभा सीटें आती हैं।
साल 1951 में ये सीट अस्तित्व मे आई थी तब यहां कांग्रेस का कब्जा था, तब यह सीट आरक्षित वर्ग के लिए रिजर्व थी, 1967 के चुनाव में यहां से भारतीय जन संघ ने जीत दर्ज की तो वहीं 1971 में यहां से कांग्रेस जीती लेकिन 77 के चुनाव में उसे भारतीय लोकदल से शिकस्त हासिल हुई, साल 1980 के चुनाव में कांग्रेस की यहां वापसी हुई और 1984 में भी उसका राज यहां रहा लेकिन 1989 के चुनाव में यहां भाजपा ने जीत के साथ खाता खोला और शंकर लाल खटीक यहां से सांसद बने, साल 1991 के चुनाव में एक बार फिर से यहां कांग्रेस को सफलता मिली लेकिन साल 1996 के चुनाव में भाजपा ने कांग्रेस से अपनी हार का बदला ले लिया और वीरेंद्र कुमार खटीक यहां से सांसद चुने गए, वो लगातार चार बार इस सीट से एमपी रहे, साल 2009 के चुनाव में यहां से भाजपा नेता भूपेंद्र सिंह और साल 2014 के चुनाव में भाजपा के ही टिकट पर लक्ष्मी नारायण सिंह यहां के सांसद की कुर्सी पर विराजमान हुए। एक तरह से ये सीट बीजेपी की पारंपरिक सीट बन गई है।
यहां के मौजूदा सांसद लक्ष्मीनारायण यादव वर्ष 1977 से प्रदेश की राजनीति में सक्रिय हैं। 1977 में जनता पार्टी के टिकट पर उन्होंने सुरखी से विधानसभा चुनाव जीता और प्रदेश के शिक्षा मंत्री बने। वर्ष 1980 में गुना लोकसभा क्षेत्र से माधवराव सिंधिया के खिलाफ चुनाव लड़े, लेकिन हार का सामना करना पड़ा। वर्ष 1984 के विधानसभा चुनाव में लोकदल से चुनाव लड़े, लेकिन उन्हें कांग्रेस के वरिष्ठ नेता स्व. विठ्ठलभाई पटेल से हार का सामना करना पड़ा, बाद में यादव कांग्रेस में शामिल हो गए लेकिन 2008 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने उन्हें टिकट नहीं दिया तो नाराज होकर उन्होने भाजपा ज्वाइन कर ली और उसके बाद उन्होंने सागर से बीजेपी के टिकट पर साल 2014 का चुनाव लड़ा और लोकसभा पहुंचे।
सागर के जातीय समीकरण की बात करें तो यहां ठाकुर और जैन समुदाय का अच्छा ख़ासा प्रभाव है, पिछले चुनावों में देखा गया है कि जैन समुदाय बीजेपी के पक्ष में खड़ा रहा है और इसके अलावा यादव, मुस्लिम, ओबीसी और पिछड़ा वर्ग का वोट भी यहां निर्णायक होता है।