लोकसभा चुनाव 2019 : पुणे लोकसभा सीट के बारे में जानिए
नई दिल्ली: महाराष्ट्र की पुणे लोकसभा सीट से मौजूदा सांसद भाजपा के अनिल शिरोले उर्फ पद्माकर गुलाबराव शिरोले हैं। उन्होंने इस सीट पर साल 2014 के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी विश्वजीत कदम को 3 लाख से ज्यादा वोटों से हराया था। अनिल शिरोले को तब 569, 825 वोट मिले थे, जबकि विश्वजीत कदम को मात्र 254, 056 वोटों पर संतोष करना पड़ा था। साल 2014 के चुनाव में इस सीट पर नंबर 2 पर कांग्रेस, नंबर 3 पर MNS और नंबर 4 पर आप थी। साल 2014 के चुनाव में यहां कुल मतदाताओं की संख्या 18,35,836 थी, जिनमें से मात्र 9,93,274 लोगों ने अपने मतों का प्रयोग किया था, जिसमें पुरुषों की संख्या 5,33,686 और महिलाओं की संख्या 4,59,588 थी।
पुणे लोकसभा सीट का इतिहास
पुणे लोकसभा सीट के अंर्तगत विधानसभा की 6 सीटें आती हैं। यहां पहली बार आम चुनाव 1951 में हुआ था, जिसे कि कांग्रेस ने जीता था, साल 1957 के चुनाव में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी यहां की विजेता बनी थी, 1967 में समयुक्ता सोशलिस्ट पार्टी ने यहां अपने झंडे गाड़े, हालांकि 1971 का चुनाव यहां कांग्रेस ने जीता लेकिन 1977 के चुनाव में यहां भारतीय लोकदल ने विजय हासिल की। साल 1980 और 1984 दोनों के चुनाव में यहां पर कांग्रेस का ही राज रहा तो वहीं साल 1991 का चुनाव यहां पर भाजपा ने जीता लेकिन 1996 में यहां कांग्रेस की वापसी हुई और 1998 में भी उसका राज यहां पर रहा, साल 1999 के चुनाव में यहां फिर से भाजपा जीती लेकिन साल 2004 और साल 2009 दोनों ही चुनावों में यहां पर कांग्रेस का राज रहा लेकिन साल 2014 के चुनाव में यहां कमल खिला और अनिल शिरोले यहां से जीतकर लोकसभा पहुंचे।
पुणे लोकसभा सीट, परिचय-प्रमुख बातें-
महाराष्ट्र के प्रमुख शहरों में से एक पुणे मुला और मूठा इन दो नदियों के किनारे बसा है। पुणे भारत का छठवां सबसे बड़ा शहर और महाराष्ट्र का दूसरा सबसे बड़ा शहर है। सार्वजनिक सुख-सुविधा और विकास के हिसाब से पुणे का नंबर महाराष्ट्र में मुंबई के बाद आता है। अनेक नामांकित शिक्षणसंस्थायें होने के कारण इस शहर को 'पूरब का ऑक्सफोर्ड' भी कहा जाता है। पुणे में अनेक प्रौद्योगिकी और ऑटोमोबाईल उपक्रम हैं, इसलिए पुणे भारत का 'डेट्राइट' भी कहलाता है, यह आईटी हब भी है, महाराष्ट्र की 'सांस्कृतिक राजधानी' कहे जाने वाले पुणे की आबादी 27,69,013 है, जिसमें से 1.4 प्रतिशत लोग गांवों में रहते हैं और 98 प्रतिशत लोग शहरों में निवास करते हैं, यहां 13 प्रतिशत SC और 1 प्रतिशत लोग ST वर्ग के हैं।
पद्माकर गुलाबराव शिरोले का लोकसभा में प्रदर्शन
अनिल शिरोले उर्फ पद्माकर गुलाबराव शिरोले पुणे महानगर पालिका के पहले कॉर्पोरेटर के पद पर रह चुके हैं , दिसंबर 2018 की रिपोर्ट के मुताबिक इनकी लोकसभा में उपस्थिति 94 प्रतिशत रही और इस दौरान इन्होंने 14 डिबेट में हिस्सा लिया और 183 प्रश्व पूछे हैं। पुणे को कांग्रेस का गढ़ कहा जाता था लेकिन साल 2014 के चुनाव में उसे यहां पर उसको करारी शिकस्त झेलनी पड़ी, 16वीं लोकसभा के चुनाव में मोदी की सुनामी का ऐसा असर महाराष्ट्र में होगा यह शायद किसी ने सोचा भी नहीं था, लेकिन क्या इस बार भी भारतीय जनता पार्टी का जादू यहां चलेगा, यह एक बड़ा सवाल है, जिसका जवाब जानने के लिए हमें चुनावी नतीजों तक का इंतजार कराना होगा, देखते हैं इस बार पुणेवासी अपनी सत्ता किसको सौंपते हैं।
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