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लोकसभा चुनाव 2019: पाटन लोकसभा सीट के बारे में जानिए

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नई दिल्ली: गुजरात की पाटन लोकसभा सीट से सांसद भाजपा के लीलाधर भाई खोडाजी वाघेला हैं। 90 के दशक में इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी पूरी तरह हावी रही, लेकिन 1999 के बाद से कांग्रेस ने यहां पर पैर जमा लिये और तब से लेकर अब तक निरंतर भाजपा को टक्कर देती आ रही है। 2019 के आम चुनावों में भी कांग्रेस यहां पर भाजपा के लिये बड़ी चुनौती बन सकती है। खैर भाजपा के लिये चुनौतियां कितनी आसान होंगी, यह निर्भर करेगा यहां से सांसद लीलाधर भाई खोडाजी वाघेला पर। और तो और उनके काम पर जो उन्‍होंने पिछले पांच सालों में किया।

profile of Patan lok sabha constituency

पाटन सीट पर 88 प्रतिशत मतदाता हिन्‍दू हैं जबकि 11 प्रतिशत मुसलमान। बात अगर 2014 के चुनावों की करें तो 1,628,641 मतदाताओं का नाम सूची में था, जिनमें से 955,799 लोगों ने मतदान किया। जिनमें 5.2 लाख पुरुष और 4.2 लाख महिलाएं शामिल थीं। और कुल वोट प्रतिशत 59 प्रतिशत था। इस चुनाव में वाघेला ने कांग्रेस नेता राठौड़ भावसिंहभाई दयाभाई को 138719 वोटों के अंतर से हराया था।

पाठन कपड़ा उद्योग के लिये जाना जाता है और यहां की साडि़यां देश-विदेश में सप्‍लाई होती है। पाटन सिल्‍क और पाटन कॉटन के कपड़े दुनिया भर में मशहूर हैं। यानी कि कुल मिलाकर पाठन का भविष्‍य बिजनेस मैन व कामगारों के हाथ में है। अब इस जनता के लिये लीलाधर खोडाजी ने पिछले पांच सालों में 25 करोड़ की सांसद निधि को विकास कार्यों में अच्‍छी तरह से इस्‍तेमाल किया। दिसम्‍बर 2018 तक आपकी सांसद निधि में केवल 71 लाख रुपए बचे।

लीलाधर खोडाजी का लोकसभा में प्रदर्शन

पिछले पांच सालों में लीलाधर खोडाजी जमीन पर भले ही बहुत सक्रिय नेता रहे, लेकिन सदन में उनकी परफॉरमेंस अच्‍छी नहीं रही। उन्‍होंने मई 2014 से दिसम्‍बर 2018 तक 78 फीसदी उपस्थिति दर्ज की। यानी संसद वे लगातार जाते रहे, लेकिन प्रश्‍न पूछने के मामले में पीछे रह गये। पांच साल में उन्‍होंने मात्र 11 सवाल सदन में उठाये। खास बात यह है कि संसद में लंबे समय तक रहते हुए भी उन्‍होंने किसी भी परिचर्चा यानी डिबेट में हिस्‍सा नहीं लिया। जबकि राष्‍ट्रीय औसत 63.8 और राज्‍य का औसत 39.2 डिबेट है।

इतिहास के पन्‍ने पलटें तो पाटन सीट में 1952 से लेकर 1989 तक कांग्रेस पार्टी दबदबा कायम रहा। हालांकि बीच-बीच में स्‍वतंत्र पार्टी और जनता दल के खाते में भी यह सीट गई। महेश कनोडिया इस सीट पर सबसे लंबे समय तक रहने वाले सांसद रहे हैं। उन्‍होंने 1991, 1996 और 1998 में लगातार तीन बार जीत दर्ज की और 18 सालों तक यहां से सांसद रहे। उनकी जीत का रथ कांग्रेस के प्रवीण राष्‍ट्रपाल ने 1999 में रोक दिया, पर 2004 में वे फिर से यहां से जीते। 2009 में यह सीट वापस कांग्रेस के पास चली गई, लेकिन 2014 में चली मोदी की लहर ने इस सीट को वापस भाजपा की झोली में डाल दिया।

2019 के चुनाव में यहां पर कांटे की टक्कर दिखाई दे सकती है क्योंकि 2004 से लेकर 2014 तक कांग्रेस का वोट प्रतिशत लगातार 40 प्रतिशत से अधिक बना हुआ है, जो कभी भी 50 के पार हो सकता है। 50 के पार यानी भाजपा की हार।

English summary
profile of Patan lok sabha constituency
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