लोकसभा चुनाव 2019: पंचमहल लोकसभा सीट के बारे में जानिए
नई दिल्ली: गुजरात की पंचमहल लोकसभा सीट से मौजूदा सांसद भाजपा के प्रभात सिंह चौहान हैं। उन्होंने साल 2014 के चुनाव में इस सीट पर कांग्रेस नेता के रामसिंह परमार को 170, 596 वोटों से पराजित किया था। प्रभात सिंह चौहान को यहां पर 508, 204 वोट हासिल हुए थे तो वहीं कांग्रेस नेता परमार को 337, 678 वोटों पर संतोष करना पड़ा था। इस सीट पर बसपा प्रत्याशी को 159,56 वोट मिले थे और उसे इस चुनावी जंग में तीसरा स्थान हासिल हुआ था। साल 1997 में पंचमहल का बंटवारा हुआ और इसके कुछ हिस्सों को अलग करके दाहोद जिला बनाया गया। पंचमहल लोकसभा सीट के अस्तित्व में आने के बाद इस सीट पर आम चुनाव साल 2009 में हुए जिसे कि भाजपा के प्रभात सिंह चौहान ने जीता और उनका राज साल 2014 में भी यहां बरकरार रहा।
गुजरात के पूर्वी हिस्से में स्थित पंचमहल एक ऐतिहासिक स्थल है, इस जिले का मुख्यालय गोधरा में स्थित है। पंच महल उन पांच तालुका को कहते हैं, जो महाराजा जीवाजीराव सिंधिया द्वारा अंग्रेजों को स्थानांतरित कर दिए गए थे। ये थे गोधरा, दाहोद, हलोल, कलोल, झालोद। पंचमहल का इतिहास यहां के प्रसिद्ध चंपानेर के इर्द गिर्द घूमता है। माना जाता है कि यह ऐतिहासिक स्थल 7वीं शताब्दी के दौरान चवदा राजवंश के राजा, वनराज चवदा के प्रांत में विकसित हुआ था। 13वीं शताब्दी के दौरान इस स्थल को चौहानों ने अपने कब्जे में ले लिया था। चौहानों ने यहां 1484 तक राज किया। जिसके बाद पंचमहल, गुजरात के सुल्तान महमूद बेगड़ा के अधीन हो गया और तब से ही ये गुजरात का हिस्सा है। बहुत सारी ऐतिहासिक इमारतों को समेटे इस शहर की आबादी 24,08,808 है, जिसमें से 85.80% लोग गांवों में और 14.20% लोग शहरों मे रहा करते हैं, यहां 5.17% लोग अनुसूचित वर्ग के और 14.59% लोग अनुसूचित जनजाति वर्ग के हैं। यहां 92 प्रतिशत लोग हिंदू धर्म में और 6 प्रतिशत लोग इस्लाम धर्म में यकीन रखते हैं। यह जिला लाख से बने ब्रेसलेट, चूड़ियों और खिलौनों के लिए भी काफी मशहूर है और यहां मक्का, बाजरा, चावल, दाल और तिलहन का उत्पादन भी बहुतायत में होता है।
दिसंबर 2018 की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 5 सालों के दौरान प्रभात सिंह चौहान की लोकसभा में उपस्थिति 91 प्रतिशत रही है और इस दौरान इन्होने 3 डिबेट में हिस्सा लिया है और 9 प्रश्न पूछे हैं। साल 2014 के चुनाव में इस सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या 15,76,667 थी, जिसमें से मात्र 9,33,461 लोगों ने अपने मतों का प्रयोग किया था, जिनेमें पुरुषों की संख्या 5,16,017 और महिलाओं की संख्या 4,17,444 थी। गुजरात जैसे राज्य का अमूल्य हिस्सा होने बावजूद इस क्षेत्र में पानी की बहुत कमी है, लोग खेती के लिए बारिश पर निर्भर हैं, सिंचाई के साधनों का इतना विकास नहीं हुआ है, हर दूसरे साल सूखे की स्थिति होती है, रोजगार की भी कमी है जिसके चलते युवाओं को जीविका के लिए जिले से बाहर का रूख करना पड़ता है, जो कि यहां के मुख्य चुनावी मुद्दे हैं।
2014 में भाजपा ने गुजरात में सभी 26 सीटें जीती थीं, ये अपने आप में एक बहुत बड़ा रिकार्ड है, क्या ये रिकार्ड इस बार भी कायम रहेगा, यही सवाल अब हर किसी के जेहन में घूम रहा है, जिसके जवाब के लिए हमें चुनावी नतीजों का इंतजार करना होगा, देखते हैं कि विकास के नाम पर वोट मांगने वाली भाजपा को यहां की जनता क्या फैसला सुनाती है।