लोकसभा चुनाव 2019: पालघर लोकसभा सीट के बारे में जानिए
नई दिल्ली: महाराष्ट्र के पालघर लोकसभा सीट से मौजूदा सांसद भाजपा के राजेंद्र गावित हैं। साल 2014 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर भाजपा नेता चिंतामन वनगा सांसद चुने गए थे लेकिन उनके निधन के बाद साल 2018 में इस सीट पर उपचुनाव हुए और राजेंद्र गावित सांसद बने। गौरतलब है कि साल 2014 का चुनाव भाजपा और शिवसेना ने मिलकर लड़ा था लेकिन इस सीट पर जब उपचुनाव हुए तो दोनों ही पार्टियों में इस सीट के उम्मीदवार को लेकर विवाद हो गया और इसलिए दोनों ने अलग-अलग उम्मीदवार यहां खड़े किए। दरअसल पालघर सीट पर शिवसेना ने भाजपा के दिवंगत सांसद चिंतामन वनगा के बेटे श्रीनिवास वनगा को उम्मीदवार बनाया था तो वहीं बीजेपी ने कांग्रेस छोड़कर पार्टी में शामिल हुए राजेंद्र गावित को उम्मीदवार बनाया था, जिसमें राजेंद्र गावित ने यह चुनाव 29,572 वोटों से जीत लिया और शिवसेना को निराशा हाथ लगी।
पालघर लोकसभा सीट का इतिहास
साल 2009 में यहां पर पहली बार आम चुनाव हुए थे, जिसमें बहुजन विकास आघाडी की जीत हुई थी और बलिराम जाधव यहां से सांसद चुने गए थे, साल 2014 का चुनाव यहां से बीजेपी के चिंतामन वनगा ने 2,39,520 वोटों से जीता था , उस साल यहां पर नंबर 2 पर बीवीए थी, चिंतामन वनगा 1996 और 1999 में डहाणू से भी बीजेपी के सांसद रह चुके थे, 2009 में उन्होंने नई बनी सीट पालघर से चुनाव लड़ा था, लेकिन बलिराम जाधव से वो करीब 13 हजार वोटों से चुनाव हार गए थे लेकिन 2014 में चिंतामन वनगा ने बलिराम जाधव से अपनी हार का बदला ले लिया था, हालांकि उनके निधन के बाद इस सीट पर उपचुनाव हुए जिसमें एक बार फिर से भाजपा का ही परचम लहराया और राजेंद्र गावित यहां से जीतकर लोकसभा पहुंचे।
पालघर, परिचय-प्रमुख बातें-
कोंकण डिवीजन के अंर्तगत आने वाला पालघर राजधानी मुंबई से 87 किमी की दूरी पर स्थित है, यहां की जनसंख्या 28 लाख 98 हजार 979 है, जिसमें से 45 प्रतिशत लोग गांवों में और 54 प्रतिशत लोग शहरों में रहते हैं, यहां 35 प्रतिशत आबादी ST वर्ग की और 2 प्रतिशत लोग SC समुदाय के हैं। पालघर लोकसभा 2008 में अस्तित्व में आई थी, इससे पहले सीट का नाम डहाणू था, 1996 और 1999 में इस सीट से बीजेपी ने दो बार चुनाव जीता था, दोनों ही बार इस सीट से बीजेपी के चिंतामन वनगा ने ही जीत दर्ज की थी, कांग्रेस के दिग्गज नेता दामोदर शिंगड़ा इस सीट से पांच बार सांसद रहे थे। 2008 में परिसीमन के बाद इस सीट का नाम बदलकर पालघर कर दिया गया, अब इस लोकसभा सीट में कुल छह विधानसभा सीटें हैं, जिनके नाम हैं डहाणू, विक्रमगड, पालघर, बोईसर, नालासोपारा और वसई, इन छह में से चार सीटें आदिवासी समुदाय के लिए सुरक्षित हैं इसलिए पालघर लोकसभा सीट भी आदिवासी के लिए आरक्षित है।
आपको बता दे कि राजेंद्र गावित पहले कांग्रेस में थे, वो कांग्रेस सरकार में राज्यमंत्री भी रह चुके थे और पालघर से विधायक थे, 2014 में उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा का चुनाव लड़ने के लिए पर्चा दाखिल कर दिया था लेकिन ऐन वक्त पर कांग्रेस ने बहुजन विकास आघाड़ी पार्टी को समर्थन देने का ऐलान कर दिया,कांग्रेस के इस कदम से गावित ने नाराज होकर पार्टी छोड़ दी और बीजेपी ज्वाइन कर लिया और उपचुनाव में भाजपा ने यहां गावित को ही उम्मीदवार बना दिया, जिसमें वो विजयी हुए, बताते चलें कि 2014 का चुनाव कांग्रेस और एनसीपी ने गठबंधन के तहत लड़ा था। गावित की वजह से शिवसेना और भाजपा की तकरार खुलकर सामने आ गई और दोनों चुनावी मैदान में एक-दूसरे के आमने सामने खड़े हो गए, जिसमें शिवसेना को नुकसान हुआ। अब देखना है कि 2019 के चुनाव में किसे सफलता मिलती है।