Profile of Sadhvi Pragya Thakur: शानदार लाइफस्टाइल छोड़ बनीं थी साध्वी
नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव के मद्देनजर मध्य प्रदेश के लिए बीजेपी ने एक और लिस्ट में जारी कर दी है। साध्वी प्रज्ञा ठाकुर भोपाल से बीजेपी उम्मीदवार होंगी। बुधवार को ही साध्वी प्रज्ञा ने बीजेपी ज्वॉइन की थी। साध्वी प्रज्ञा को भोपाल से बीजेपी उम्मीदवार बनाए जाने की अटकलें काफी दिनों से चल रही थीं। महाराष्ट्र के मालेगांव बम ब्लास्ट केस में आरोपी बनाए जाने के बाद सुर्ख़ियों में आईं साध्वी प्रज्ञा ठाकुर अपने बयानों से हमेशा चर्चा में रहीं हैं। हालांकि उस केस में बरी होने के बाद उन्हें रिहा कर दिया गया था।
प्रज्ञा के भाषण से खड़े हो जाते थे लोगों के रौंगटे
साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर का जन्म मध्य प्रदेश के भिंड जिले के कछवाहा गांव में हुआ था। प्रज्ञा के पिता का नाम चंद्रपाल सिंह है जो एक आर्युवेदिक डॉक्टर थे। वो लहार कस्बे के गल्ला मंडी रोड पर रहते थे और यहीं पर एक क्लीनिक चलाते थे। प्रज्ञा बचपन से ही काफी तेज तर्रार थीं। चुकि चंद्रपाल सिंह खुद राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़े थे इसलिए प्रज्ञा को हिन्दूवादी शिक्षा घर से ही मिली। प्रज्ञा सिंह ठाकुर कॉलेज के दिनों में ही अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़ गईं। अपने बोलने की कला के चलते ही साध्वी ने बहुत जल्द को देखते हुए जल्द परिषद के सक्रिय कार्यकर्ता के रूप में पहचान बना ली। साध्वी प्रज्ञा के भाषण देने की कला के सभी कायल थे। कहते हैं कि प्रज्ञा जब भीड़ को संबोधित करती थीं तो लोगों के रौंगटे खड़े हो जाते थे। शुरुआती समय में पज्ञा के भाषणों का प्रभाव भोपाल, देवास, जबलपुर और इंदौर पर खूब पड़ा।
बिंदास जिंदगी छोड़ साध्वी बन गईं प्रज्ञा
प्रज्ञा की पहचान अब राष्ट्रीय स्तर पर होने लगी थी। उन्हें भरपूर राजनीतिक माइलेज मिलने लगा था। लेकिन अचानक प्रज्ञा ने परिषद छोड़ दिया और साध्वी का रूप धारण कर लिया। साध्वी का चोला पहनने के बाद प्रज्ञा कई संतों के संपर्क में आईं और प्रवचन करना शुरु कर दिया। साध्वी धीरे-धीरे मध्य प्रदेश को छोड़ती गईं और सूरत को अपनी कार्यस्थली बना लिया। साध्वी की आर्थिक स्थिति जैसे-जैसे मजबूत होती गई उन्होंने सूरत में अपना आश्रम बनवा लिया। प्रज्ञा ने अपने परिजनों को भी इसी आश्रम में बुला लिया और उनके साथ रहले लगी।
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प्रज्ञा को दिल दे बैठे थे बीजेपी नेता सुनील जोशी
प्रज्ञा अब गांग-गांव जाकर हिंदुत्व का प्रचार करने लगी थीं। उनको सुनने के लिए लोगों की काफी भीड़ भी एकत्र होने लगी थी। तभी चुनावी सीजन आ गया और भाजपा ने साध्वी प्रज्ञा को अपना स्टार प्रचारक बना दिया। प्रज्ञा के कार्यक्रमों को सफल बनाने की जिम्मेदारी भारतीय जनता युवा मोर्चा की थी। इसी दौरान प्रज्ञा के भाषण से प्रभावित होकर तत्कालीन बीजेपी एमएलए सुनील जोशी उन्हें दिल बैठे। सुनील जोशी ने साध्वी प्रज्ञा के सामने शादी का प्रस्ताव रख दिया लेकिन प्रज्ञा ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया। प्रज्ञा ने कहा कि वह देश सेवा के लिए बनी हैं और इसी के लिए उन्होंने अपने बिंदास लाइफ से सन्यास लिया। जानकारी के मुताबिक मालेगांव ब्लास्ट में जब प्रज्ञा को गिरफ्तार किया गया था तो सुनील जोशी काफी गुस्से में आ गए थे और इसके विरोध में पूरे देश में प्रदर्शन का प्लान बना लिया था। हालांकि भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने इसकी मंजूरी नहीं दी और ऐसा हो नहीं पाया।
2008 में गिरफ्तार हुईं थीं प्रज्ञा
प्रज्ञा ठाकुर को 23 अक्टूबर 2008 को गिरफ्तार किया गया था। साध्वी पर मालेगांव ब्लास्ट के साथ ही साथ सुनील जोशी की हत्या का भी आरोप है। जानकारों की मानें तो प्रज्ञा ने सुनील जोशी की हत्या इस लिए कर दी थी क्योंकि उन्हें डर था कि कहीं वो मालेगांव ब्लास्ट का राज ना खोल दें। NIA की जांच में भी ये बात सामने आया कि सुनील का प्रज्ञा के प्रति आकर्षण ही उनकी हत्या का कारण बना।
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