लोकसभा चुनाव 2019: पुरुलिया लोकसभा सीट के बारे में जानिए
नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल की पुरुलिया लोकसभा सीट की से तृणमूल कांग्रेस के नेता डा. मृगांक महतो सांसद हैं। साल 2014 में एआईएफबी के नराहरी महतो को हराकर डा. मृगांक संसद पहुंचे थे। उन्होंने नराहरी को 1 लाख 53 हजार वोटों के अंतर से हराया। साल 2014 मे संसदीय क्षेत्र की कुल जनसंख्या 2,244,195 है। इनमें से 1,471,933 लोगों का नाम मतदाता सूची में था। 2014 में इस सीट पर कुल 82 फीसदी वोट पड़े। वोट डालने वाले लोगों में 627,033 पुरुष और 577,642 महिलाएं शामिल थीं। पुरुलिया का नाम आते ही आज भी लोगों के ज़हन में 17 दिसंबर 1995 का वो दिन आ जाता है, जब इसी जगह पर एन्टोनोव विमान से हथियार गिराये गये थे। वो भी छोटे-मोटे हथियार नहीं बल्कि सैंकड़ों एके-47 राइफलें और कारतूस यहां पर गिराये गये थे। मकसद था बंगाल में अशांति फैलाने का।
पेशे से चिकित्सक डा. मृगांक संसद पहुंचने के बाद बहुत ज्यादा सक्रिय सांसद नहीं रहे। मई 2014 से लेकर दिसंबर 2018 तक उन्होंने मात्र 5 परिचर्चओं में हिस्सा लिया। उन्होंने एक भी प्राइवेट मेंबर बिल प्रस्तुत नहीं किया। और पूरे साढ़े चार साल में मात्र 8 सवाल पूछे। जबकि राज्य का औसत 32.2 डिबेट, 0.3 बिल और 88 प्रश्नों का है। वहीं राष्ट्रीय औसत की बात करें तो देश के सभी सांसदों का डिबेट का औसत 63.8 रहा, जबकि प्राइवेट मेंबर बिल 2 और प्रश्नों का राष्ट्रीय औसत 273 का रहा। उपस्थिति के मामले में डा. मृगांक का रिकॉर्ड थोड़ा बेहतर रहा। राज्य का औसत जहां 65% रहा, वहीं डा. महतो ने 71 फीसदी उपस्थिति दर्ज की। जमीन पर विकास कार्यों के मामले में डा. महतो का प्रदर्शन ठीक ठाक रहा। 2014 से फरवरी 2019 तक डा. महतो ने अपनी सांसद निधि का भरपूर प्रयोग किया। फिलहाल उनकी सांसद निधि में 4.51 करोड़ रुपए शेष बचे हैं।
2011 की जनगणना के मुताबिक यहां पर 83.4 प्रतिशत हिन्दू हैं और 7.12 मुसलमान। वहीं संसदीय क्षेत्र की कुल जनसंख्या में 19.8 फीसदी लोग अनुसूचित जाति के हैं जबकि 15.61 प्रतिशत अनुसूचित जन जाति के। अगर इतिहास की बात करें तो ऐसा लगता है कि लेफ्ट विंग की सबसे बड़ी पार्टी सीपीआईएम ने हमेशा से यह सीट फॉरवर्ड ब्लॉक के लिये छोड़ रखी है। 1977 से लेकर 2009 तक यहां पर पांच बार फॉरवर्ड ब्लॉक के नेता सांसद रहे, जबकि पांच बार ही ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक के नेता सांसद रहे। सबसे लंबी पारी खेलने वाले नेता चितरंजन महाता रहे। वे 1977 से लेकर 1996 तक यहां से सांसद रहे। उन्होंने कुल पांच टर्म पूरे किये। अब अगर वोटबैंक की बात करें तो 2014 के परिणाम तृणमूल के पक्ष में रहे, लेकिन फॉरवर्ड ब्लॉक और कांग्रेस को बराबर का टेंशन दे गये। जी हां दोनों का ही वोट प्रतिशत 26 और 21 फीसदी रहा। दोनों को 18 से 20 फीसदी वोटों की हानि हुई। वहीं भाजपा इस सीट पर 7 फसदी वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रही, लेकिन भाजपा के लिये अच्छी बात नहीं थी, क्योंकि दोनों के वोटशेयर में 18 से 20 फीसदी तक गिरावट आयी थी। अब खोए हुए वोटशेयर को दोबारा पाने के लिये दोनों पार्टियों को जमकर मेहनत करनी पड़ेगी। कुल मिलाकर यह चुनाव यहां पर दिलचस्प होने वाला है।
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