जानिए कौन हैं नए सेना प्रमुख जनरल मुकुंद नरवाणे, जिन्होंने चीन से कहा- अब भारत की सेना 62 वाली नहीं
नई दिल्ली। जनरल मनोज मुकुंद नरवाणे देश के नए सेना प्रमुख हैं। मंगलवार को साउथ ब्लॉक में उन्होंने पूर्व सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत से देश के 28वें सेना प्रमुख का जिम्मा संभाला। जनरल नरवाणे, सेना प्रमुख बनने से पहले उप-सेना प्रमुख के तौर पर अपनी जिम्मेदारियां दे रहे थे। जनरल नरवाणे को चीन से जुड़े मामलों का विशेषज्ञ माना जाता है। जनरल नरवाणे के नाम को लेकर पिछले कई माह से कयास लगाए जा रहे थे। नरवाणे करीब तीन तीन वर्षों तक इस पद पर रहेंगे।
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ईस्टर्न आर्मी कमांड के रहे मुखिया
59 वर्षीय नरवाणे को चीन के मामलों का विशेषज्ञ माना जाता है। इसके अलावा उनके पास जम्मू कश्मीर और नॉर्थ-ईस्ट में काउंटर इनसर्जेंसी ऑपरेशंस को लीड करने का भी अच्छा-खासा अनुभव है। वर्तमान में वह उप-सेना प्रमुख हैं और इससे पहले वह कोलकाता स्थित ईस्टर्न आर्मी कमांड के मुखिया रह चुके हैं। इस कमांड पर ही पूर्वी क्षेत्र से लगी भारत-चीन की सीमा की सुरक्षा जिम्मेदारी है। कश्मीर और नॉर्थ ईस्ट में सुरक्षा की चुनौतियों पर खरे उतरने वाले नरवाणे का चीन को जवाब देने का अनुभव राष्ट्रीय सुरक्षा नीति तैयार करने में काफी मदद कर सकता है।
डोकलाम विवाद पर चीन को धमकाया
जनरल नरवाणे ने साल 2017 में डोकलाम विवाद पर बड़ा बयान दिया था। उन्होंने कहा था, 'भारतीय सेना अब 1962 वाली सेना नहीं है और अगर चीन कहता है कि इतिहास को मत भूलो, तो हम उन्हें भी यही बात कहना चाहेंगे।' लेफ्टिनेंट जनरल नरवाणे ने कहा था कि डोकलाम संकट के समय चीन पूरी तरह से तैयार ही नहीं था। नरवाणे ने चीन को धमकी भी दी थी और कहा था कि अगर चीन ने अगर 100 बार सीमा लांघी है तो भारत ने दोगुनी संख्या से यही काम किया है। जनरल नरवाणे के मुताबबक भारत अब डोकलाम जैसे किसी भी खतरने से निबटने के लिए पूरी तरह से सक्षम है। इंडियन आर्मी में नरवाणे इस समय सबसे सीनियर ऑफिसर हैं।
लेकिन सामने हैं कुछ चुनौतियां
महाराष्ट्र के एक परिवार में जन्में नरवाणे ऐसे समय में सेना की कमान संभाल रहे हैं जब आजादी के बाद सेना अपने सबसे बड़े पुर्नगठन के दौर से गुजर रही है। जनरल नरवाणे के सामने सबसे बड़ी चुनौती होगी कि वह सेना के आधुनिकीकरण के लिए जारी कार्यक्रमों को आगे बढ़ाते रहें और इसके लिए पर्याप्त फंड मिलता रहे। तीनों सेनाएं इस समय फंड की कमी से जूझ रही हैं। अपने 39 साल के मिलिट्री करियर में नरवाणे ने राष्ट्रीय राइफल्स बटालियन को कमांड किया है।
श्रीलंका में भी रहे हैं पोस्टेड
नरवाणे ने इंफ्रेंट्री ब्रिगेड को तैयार किया, एक स्ट्राइक कोर की अगुवाई की और साथ ही आर्मी ट्रेनिंग कमांड के मुखिया भी रह चुके हैं। नेशनल डिफेंस एकेडमी (एनडीए) के पूर्व छात्र रहे नरवाणे श्रीलंका में भारतीय शांति दल का हिस्सा भी रह चुके हैं। इसके अलावा उनके पास म्यांमार में बतौर डिफेंस अटैश भी सेवाएं देने का अनुभव है। जून 1980 को लेफ्टिनेंट जनरल नरवाणे बतौर ऑफिसर सिख लाइट इनफेंट्री में कमीशंड हुए थे। वीना नरवाणे से उनकी शादी हुई और वह दो बेटियों के पिता हैं।