Profile of Naveen Patnaik: 5वीं बार ओडिशा के सीएम बने नवीन पटनायक के नाम है एक अनोखा रिकॉर्ड
नई दिल्ली। बीजू जनता दल के प्रमुख नवीन पटनायक ने बुधवार को पांचवीं बार ओडिशा के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। एक सार्वजनिक समारोह में नवीन पटनायक ने पद और गोपनीयता की शपथ ली। वे पांचवीं बार सीएम बने 72 साल के नवीन पटनायक लंबे समय तक मुख्यमंत्री पद पर बने रहने वाले नेताओं में से एक हैं। सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट के पवन कुमार चामलिंग के नाम सबसे लंबे समय तक (करीब 25 साल) सीएम रहने का रिकॉर्ड है। जबकि ज्योति बसु भी साल 1977 से लेकर 2000 (करीब 23 साल) तक पश्चिम बंगाल के सीएम रहे। नवीन पटनायक के नाम ओडिशा के इतिहास में सबसे लंबे समय तक सीएम बने रहने का रिकॉर्ड है।
पांचवीं बार ओडिशा के सीएम बने नवीन पटनायक
16 अक्टूबर 1946 को जन्मे नवीन पटनायक ने 1997 में अपने पिता और दो बार ओडिशा के मुख्यमंत्री रहे बीजू पटनायक के निधन के बाद राजनीति में कदम रखा था। उनकी शिक्षा दून स्कूल में हुई और बाद में उन्होंने किरोड़ीमल विश्वविद्यालय, दिल्ली से कला में स्नातक की शिक्षा पूरी की। वे युवावस्था में अक्सर अपने राज्य से बाहर रहे लेकिन पिता के निधन के बाद ओडिशा लौटे और राजनीति में कदम रखा। अपने पिता बीजू पटनायक के नाम पर ही उन्होंने बीजू जनता दल की स्थापना की थी।
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अटल सरकार में रहे खनन मंत्री
बीजू जनता दल ने उसके बाद के विधानसभा चुनावों में जीत दर्ज की और भाजपा के साथ मिलकर बनी सरकार में नवीन पटनायक पहली बार मुख्यमंत्री बने। 5 मार्च 2000 को पटनायक ओडिशा के मुख्यमंत्री बने थे। नवीन पटनायक अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में खनन मंत्री के पद पर भी रहे। विधानसभा चुनावों में जीत के बाद कैबिनेट मंत्री के पद से उन्होंने इस्तीफा दे दिया था और ओडिशा के सीएम बने।
कंधमाल में दंगे के बाद बीजेपी-बीजद के रिश्तों में आई थी खटास
वे ओडिशा में अस्का संसदीय क्षेत्र से उपचुनाव में जीत दर्ज कर संसद पहुंचे थे। साल 2004 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी नीत एनडीए को हार का सामना करना पड़ा था, हालांकि, नवीन पटनायक के नेतृत्व वाला गठबंधन ओडिशा विधानसभा चुनावों में जीत दर्ज करने में कामयाब रहा और पटनायक एक बार फिर मुख्यमंत्री बने। इस कार्यकाल में बीजेपी और बीजद के बीच कई मौकों पर टकराव देखने को मिला खासकर,2007-2008 में स्वामी लक्ष्मणानंद सरस्वती की हत्या के बाद।
बीजेपी से अलग होकर भी बीजद ने हासिल किया बहुमत
2009 में ओडिशा में लोकसभा और विधानसभा चुनावों में, भाजपा से नाता तोड़ने के बाद नवीन पटनायक एनडीए से बाहर निकल गए और वाम मोर्चा व कुछ क्षेत्रीय दलों द्वारा गठित तीसरे मोर्चे में शामिल हो गए। पटनायक ने साल 2007 के दौरान कंधमाल ईसाई दंगों में भाजपा की संदिग्ध भूमिका की कड़ी आलोचना करने के बाद उनसे अलग होने का फैसला किया। 2009 के विधानसभा चुनाव में भी बीजद को भारी जीत हासिल हुई। लोकसभा चुनाव में भी बीजद ने 21 में से 14 सीटों पर जीत हासिल की जबकि 147 में से 103 विधानसभा सीटों पर जीत दर्ज कर नवीन पटनायक तीसरी बार सीएम बने।
मोदी लहर में भी बजा ओडिशा में बीजद का डंका
साल 2014 में एक बार फिर नवीन पटनायक के नेतृत्व में बीजद ने पिछली सफलता को दोहराया और विधानसभा चुनावों में 117 सीटों पर जीत हासिल की। इसके बाद नवीन पटनायक चौथी बार ओडिशा के सीएम बने। 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजद ने 21 में से 20 सीटों पर तब जबरदस्त जीत हासिल की, जब देश में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी ने प्रचंड जीत दर्ज की थी। लंबे समय तक राज्य से बाहर रहे पटनायक को उड़िया बोलने और लिखने में दिक्कत आती है। वे किसी राज्य के ऐसे पहले मुख्यमंत्री हैं जो वहां की क्षेत्रीय भाषा नहीं बोलते हैं। इस कारण अक्सर उनको विपक्ष की आलोचनाओं का सामना करना पड़ता है। हालांकि वे हिंदी, फ्रेंच, पंजाबी और इंग्लिश पर अच्छी पकड़ रखते हैं। वह रोमन वर्णमाला में लिखे ओडिया भाषण देते हैं।