लोकसभा चुनाव 2019: नागालैंड लोकसभा सीट के बारे में जानिए
नागालैंड लोकसभा सीट के राजनीतिक समीकरणों की विस्तार से जानकारी।
नई दिल्ली। नागालैंड राज्य की इकलौती लोकसभा सीट 'नागालैंड' से इस वक्त नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोगेसिव पार्टी (एनडीपीपी) के तोखेहो येपथोमी सांसद हैं। तोखेहो येपथोमी ने साल 2018 में हुए उपचुनाव में एनपीएफ उम्मीदवार सी अपोक जमीर को 173746 मतों के भारी अंतर से हराया था। येपथोमी को इस उपचुनाव में 594205 वोट मिले थे, जबकि एनपीएफ प्रत्याशी सी अपोक जमीर को 420459 वोट मिले। 2018 के उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी, एनडीपीपी और पीपल्स डेमोक्रेटिक अलायंस (पीडीए) ने मिलकर इस सीट पर पूर्व मंत्री तोखेहो येपथेमी को कैंडिडेट बनाया। एनपीएफ प्रत्याशी सी अपोक जमीर को कांग्रेस का भी समर्थन हासिल था। इस लोकसभा चुनाव में नागालैंड सीट पर जबरदस्त 85.16 फीसदी मतदान हुआ और कुल 10 लाख 14 हजार 664 मतदाताओं ने अपने मत का इस्तेमाल किया।
हालांकि नागालैंड लोकसभा सीट पर इससे पहले भी भारी मतदान होता रहा है। 2014 के लोकसभा चुनाव में यहां 87.82 फीसदी मतदान हुआ था। 2014 में एनपीएफ के नेफ्यू रियो ने 713372 वोट हासिल कर जीत दर्ज की थी। नेफ्यू चार लाख मतों के भारी अंतर से विजयी हुए थे। 1967 में नागालैंड लोकसभा सीट पर पहली बार चुनाव हुए और नगालैंड नेशनलिस्ट ऑर्गनाइजेशन के एससी जमीर यहां से सांसद चुने गए। उस समय एससी जमीर निर्विरोध सांसद चुने गए थे। इसके बाद यह सीट अलग-अलग राजनीतिक पार्टियों के पास रही। 2018 से पहले तक इस सीट पर 13 बार चुनाव हो चुके हैं, जिनमें से यहां पांच बार कांग्रेस को जीत हासिल हुई है। 1967 से लेकर अभी तक एनपीएफ को यहां तीन बार जीत हासिल हुई है। 2014 से 2018 तक यहां एनपीएफ के नेफ्यू रियो सांसद रहे। नागालैंड लोकसभा सीट पर कुल 1182948 मतदाता हैं, जिनमें से 600490 पुरुष और 582458 महिला वोटर हैं।
कैबिनेट मंत्री भी रह चुके हैं येपथोमी
अब बात करते हैं नागालैंड लोकसभा सीट से सांसद तोखेहो येपथोमी के बारे में। यह सीट एनपीएफ के नेता नेफ्यू रियो के सीएम बन जाने के बाद खाली हुई थी। विधानसभा के लिए चुने जाने के बाद उन्होंने लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोगेसिव पार्टी (एनडीपीपी) के नेता येपथोमी इससे पहले पूर्व की नागालैंड सरकार में कैबिनेट मंत्री भी रह चुके हैं। साल 1995 से लेकर 2008 के बीच उन्होंने एससी जमीर और नेफ्यू रियो सरकार में पीडब्ल्यू और ट्रांसपोर्ट मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाली। 2010 से 2015 तक वो प्रदेश की विधानसभा में कांग्रेस विधायक दल के नेता और विपक्ष के नेता भी चुने गए। मेघालय के शिलॉन्ग की उत्तर-पूर्वी हिल्स यूनिवर्सिटी से स्नातक तोखेहो येपथोमी के ऊपर कोई आपराधिक मामला दर्ज नहीं है। 2018 के उपचुनाव में उन्हें मिली जीत का श्रेय केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू को भी दिया जाता है
सबसे बड़ी समस्या अंतरजातीय संघर्ष
नागालैंड में कुल 60 विधानसभा सीटें हैं। 2003 तक यहां भारतीय जनता पार्टी का कोई वजूद नहीं था। हालांकि धीरे-धीरे भाजपा ने यहां खुद को मजबूत करना शुरू किया। 2003 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा और एनपीएफ मिलकर चुनाव मैदान में उतरे और 38 सीटों पर जीत हासिल की। इस गठबंधन के नेता के तौर पर नेफ्यू रियो को मुख्यमंत्री चुना गया। नागालैंड की सामाजिस संरचना की अगर बात करें तो यहां सबसे बड़ी समस्या अंतरजातीय संघर्ष की है। इस राज्य में कई अलग-अलग जनजाति के लोग रहते हैं, जिनके बीच उनके नियमों में टकराव, रहन-सहन और दूसरे मुद्दों को लेकर अक्सर संघर्ष होते रहते हैं। पिछले दिनों भी नागालैंड हिंसा की चपेट में रहा।