लोकसभा चुनाव 2019: बेलगाम लोकसभा सीट के बारे में जानिए
नई दिल्ली। कर्नाटक की बेलगाम लोकसभा सीट पर 2004 से लगातार भारतीय जनता पार्टी का कब्जा है। भाजपा के अंगाड़ी सुरेश यहां से लगातार तीन बार से चुनाव जीत रहे हैं। 2014 में सुरेश ने कांग्रेस के लक्ष्मी हेबलकर को यहां से 75,860 वोटों से हराकर इलेक्शन जीता था। इस सीट पर बीते कई चुनाव से अमूमन कांग्रेस और भाजपा के बीच ही मुख्य मुकाबला देखने को मिलता रहा है। 1980 के बाद से भाजपा यहां चार बार तो कांग्रेस को पांच बार जीत मिली है।
2014 में भाजपा के सुरेश को यहां 54 फीसदी जबकि कांग्रेस के लक्ष्मी को 44 फीसदी वोट मिले थे। सुरेश को 5,54,417 तो लक्ष्मी को 4,78,557 वोट मिले। भाजपा सांसद सुरेश के लोकसभा में प्रदर्शन की बात करें तो इस लोकसभा में सुरेश की हाजिरी 91 फीसदी रही है। उन्होंने 37 डिबेट में हिस्सा लिया है और 26 सवाल पूछे हैं।
बेलगाम सीट की बात की जाए तो यहां की कुल आबादी 22,19,346 है। इसमें 60 फीसदी ग्रामीण और 40 प्रतिशत शहरी है। यहां कुल मतदाता 15,81,017 हैं। जिसमें 8,07,598 पुरुष और 7,73,419 महिलाएं हैं। 2014 में यहां 68 फीसदी मतदान हुआ था। बेलगाम लोकसभा सीट के अंदर आठ विधानसभा सीटें आती है।
बेलगाम सीट पर 90 के दशक तक कांग्रेस का कब्जा रहा, इसके बाद से यहां पर बाजपा काफी मजबूत है। यहां पहली बार 1996 के चुनावों में कांग्रेस को हार का मुंह देखना पड़ा था और जनता दल के के. एस. हेमप्पा ने जीत हासिल की थी। इसके बाद 1998 में चुनावों में बीजेपी के बी.आर. पाटिल ने जीत हासिल की। 1999 में कांग्रेस के ए.वी. पाटिल जीत गए। इसके बाद साल 2004, 2009 और 2014 के चुनावों में बीजेपी के सुरेश अंगाडी ने जीत हासिल की।
बेंगलुरू से 506 किमी की दूरी पर पश्चिमी घाट के उत्तरी हिस्से में बसा बेलगाम, कर्नाटक के चुनिंदा खास शहरों में गिना जाता है। ये अपनी ऐतिहासिक धरोहरों के साथ-साथ सांस्कृतिक और प्राकृतिक रूप से भी काफी मायने रखता है। बेलगाम को 12वीं शताब्दी के दौरान रट्ट राजवंश ने बसाया था, उस दौरान की कई निशानियां और इमारतें आज भी यहां हैं। जिन्हें देखने के लिए विश्व भर से पर्यटकों आते हैं।
बताया जाता है कि इस शहर का मूल नाम 'वेणुग्राम' था। जिसका मतलब बांस का गांव होता है। बेलगाम कई शक्तिशाली राजवंशों के हाथों से होकर गुजरा है, जिनमें यादव राजवंश, खिलजी, विजयनगर साम्राज्य, बहमनी सुल्तान, आदिल शाह राजवंश आदि शामिल हैं। इसके बाद यहां अंग्रजों का शासन रहा। आजादी के बाद इस क्षेत्र के कई लोगों ने देश विदेश में नाम कमाया है।
बेलगाम के ऐतिहासिक बेलगाम फोर्ट को यहां के मुख्य पर्यटन आकर्षणों में गिना जाता है। अतीत से जुड़े पन्नों के अनुसार इस किले का निर्माण 1204 ईस्वी में रट्ट राजवंश के राजाओं ने कराया था। इस प्राचीन किले के अंदर मां दुर्गा और गणपति के मंदिर भी बने हुए हैं। किले की वास्तुकला चालुक्य, दक्कन और डो-सरसेनिक कला का खूबसूरत चित्रण है। मुखमंडप पर अविश्वसनीय कमल की आकृति पर्यटकों का ध्यान अपनी ओर खींचती है। किले क्षेत्र के अंदर कई हिंदू और जैन मंदिर और मस्जिद हैं।