लोकसभा चुनाव 2019: बसीरहाट लोकसभा सीट के बारे में जानिए
नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल की बसीरहाट लोकसभा सीट से तृणमूल कांग्रेस के इदरीस अली सांसद हैं। साल 2009 में यहां पर हाजी नुरुल इस्लाम जीते थे। साल 2018 में आपने बसीरहाट का नाम कई बार सुना होगा। क्योंकि पिछले कई महीनों में भारतीय जनता पार्टी और टीएमसी के कार्यकर्ताओं के बीच यहां झड़पें हुई, कई लोग घायल हुए तो कई लोगों की जान भी चली गई। दिल्ली के अखबारों की सुर्खियां से लेकर टीवी की हैडलाइन्स में कई बार बसीरहाट का नाम सामने आया।
बसीरहाट
लोकसभा
सीट
का
इतिहास
आजादी
के
बाद
से
यहां
पर
ज्यादातर
मौको
पर
सीपीआई
को
जीत
मिली
है।
पहली
बार
साल
1952
से
1962
तक
लगातार
कम्युनिस्ट
पार्टी
की
रेनू
चक्रवर्ती
जीतती
रही।
लेकिन,
साल
1962
में
यहां
से
सत्ता
बदल
गई।
इंडियन
नेशनल
कांग्रेस
के
हूमायूं
कबीर
ने
1962
में
लोकसभा
का
चुनाव
जीता।
वो
1969
तक
यहां
से
सांसद
रहे।
हालांकि,
1967
में
उन्होंने
बंगला
कांग्रेस
की
सीट
पर
चुनाव
जीता
था,
उसके
बाद
1970
में
दोबारा
बंगला
कांग्रेस
को
यहां
पर
जीत
मिली
लेकिन
इस
बार
सांसद
का
नाम
बदला
जा
चुका
था
नए
सांसद
थे
सरदार
अजमद
अली।
1971
में
चुनाव
हुए
तो
इंडियन
नेशनल
कांग्रेस
के
वापसी
हुई
और
यहां
से
सांसद
बने
एकेएम
इशाक्यो।
1977
में
देश
में
जेपी
का
बोलबाला
था
तो
भारतीय
लोक
दल
के
अलहाज
एम
के
हनन
को
यहां
से
जीत
मिली।
1980
में
चुनाव
हुए
तो
इंद्रजीत
गुप्ता
को
जीत
मिली।
जनता
ने
पार्टी
को
तो
नहीं
बदला
लेकिन
नेता
को
जरूर
बदल
दिया।
साल
1989
में
यहां
से
मनोरंजन
सुर
जीते
और
1996
तक
सांसद
रहे।
साल
1989
में
चुनाव
में
किस
पार्टी
की
तरफ
से
जीते
यह
सत्ताधारी
रही
1991
में
1961
में
यहां
से
सांसद
बने
अजय
चक्रवर्ती
2009
तक
यहां
पर
सांसद
रहे
2009
में
यहां
कांग्रेस
की
जीत
हुई।
साल 2014 में सांसद बनने के बाद से इदरीश अली ने अभी तक 24 डिबेट्स में भाग लिया है वहीं उन्होंने कोई भी प्राइवेट मेंबर बिल पास कोई भी प्राइवेट मेंबर बिल संसद के पटल पर नहीं रखा है वही जनता के हक की बात की जाए तो उन्होंने लोकसभा में अभी तक महज 17 सवाल पूछे हैं जोकि पूछे गए सवालों की औसत से कहीं ज्यादा है वही संसद में उनकी मौजूदगी 69 फ़ीसदी रही है 2014 में उन्हें चार लाख से ज्यादा वोट मिले थे 492000 वोट मिले थे इस सीट से इदरीश अली एक लाख से ज्यादा वोटों से विजई रहे थे वही इस सीट से दूसरे नंबर पर रहे थे सीपीआई के नुरूल हुडा। 2019 लोकसभा को अभी ज्यादा दिन नहीं बचे हैं। देखना होगा कि जनता अपना अगला नेता किसे चुनती है।
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