लोकसभा चुनाव 2019: बैरकपुर लोकसभा सीट के बारे में जानिए
नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल की बैरकपुर लोकसभा सीट से सांसद तृणमूल कांग्रेस के कद्दावर और लोकप्रिय नेता दिनेश त्रिवेदी हैं, उन्होंने साल 2014 के चुनाव में इस सीट पर माकपा नेता सुभाषिनी अली को 206,773 वोटों से पराजित किया था। दिनेश त्रिवेदी को यहां पर 479,206 वोट मिले थे जबकि सुभाषिनी अली को मात्र 272,433 वोटों पर संतोष करना पड़ा था। इस सीट पर नंबर 3 पर बीजेपी के प्रत्याशी रिटायर्ड पुलिस अधिकारी आरके हांडा थे, जिन्हें कि केवल 230,401 वोट मिले थे, जबकि चौथा नंबर कांग्रेस नेता तोपदार का था, जिन्हें कि मात्र 30,491 वोट ही मिल पाए थे। साल 2014 के चुनाव में इस सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या 12,87,222 थी, जिसमें से केवल 10,51,130 लोगों ने अपने मतों का प्रयोग यहां पर किया था, जिसमें पुरुषों की संख्या 5,67,820 और महिलाओं की संख्या 4,83,310 थी।
बैरकपुर
लोकसभा
सीट
का
इतिहास
साल
1952
में
यहां
पहला
आम
चुनाव
हुआ
था,
जिसे
कि
कांग्रेस
ने
जीता
था,
1957
का
चुनाव
यहां
पर
प्रजा
सोशलिस्ट
पार्टी
ने
और
साल
1962
का
चुनाव
यहां
पर
सीपीआई
ने
जीता
था।
इसके
बाद
हुए
चुनाव
में
लगातार
दो
बार
यहां
पर
मार्क्सवादी
कम्युनिस्ट
पार्टी
का
राज
रहा,
साल
1997
में
यहां
कांग्रेस
जीती
तो
1980
का
चुनाव
यहां
CPI
(M)
के
ही
नाम
रहा,
साल
1984
के
चुनाव
में
यहां
पर
कांग्रेस
की
वापसी
हुई
लेकिन
साल
1989
में
एक
बार
फिर
से
यहां
CPI
(M)
जीती
और
तब
से
लेकर
लगातार
साल
2004
तक
यह
सीट
CPI
(M)के
ही
कब्जे
में
रही
और
तड़ित
तोपदार
लगाार
6
बार
यहां
पर
सांसद
चुने
गए,
साल
2009
का
चुनाव
यहां
पर
तृणमूल
कांग्रेस
ने
जीता
और
दिनेश
त्रिवेदी
यहां
से
सांसद
चुने
गए
और
साल
2014
में
भी
यह
सीट
उन्हीं
के
ही
पास
रही
।
बैरकपुर,
परिचय-प्रमुख
बातें-
पश्चिम
बंगाल
के
मशहूर
शहरों
में
से
एक
बैरकपुर
भारतीय
स्वतंत्रता
संग्राम
के
इतिहास
का
अहम
गवाह
है।
यह
पश्चिमी
बंगाल
के
उत्तर
24
परगना
जिले
में
हुगली
नदी
के
पूर्वी
किनारे
पर
स्थित
नगर
है।
सेना
की
टुकड़ियों
के
निवास
के
कारण
इसका
नाम
'बैरकपुर'
पड़ा
,
यहां
के
आदि
निवासी
इसे
चानक
कहते
हैं।
प्रथम
भारतीय
स्वतंत्रता
संग्राम
का
सूत्रपात
इसी
स्थान
से
हुआ
था,
13
अगस्त
2016
को
स्मार्ट
गंगा
शहर
कार्यक्रम
के
तहत
कुल
10
शहरों
का
चयन
किया
गया
है,
जिसमें
बैरकपुर
भी
शामिल
है।
भारतीय
राष्ट्रीय
गीत
'वंदे
मातरम'
के
लेखक
बंकीम
चंद्र
चटर्जी
का
जन्म
24
परगना
के
नैहाटी
में
हुआ
था,
यहां
की
जनसंख्या
19,27,596
है,
जिसमें
से
16.78%
लोग
गांवों
में
और
83.22%
लोग
शहरों
में
निवास
करते
हैं,
यहां
16.14%
आबादी
एससी
वर्ग
की
और
1.44%
लोग
एसटी
वर्ग
के
हैं।
बैरकपुर
खासकर
जूट
उद्योग
के
लिए
प्रसिद्ध
है।
यहां
सात
विधानसभा
सीटें
हैं,
जिनके
नाम
हैं
अम्दांगा
,
बिजपुर
,
नैहाटी,
भाटपाड़ा
,
जगतदल
,
नौपारा
और
बैरकपुर।
गौरतलब है कि दिनेश त्रिवेदी यूपीए सरकार में रेल मंत्री भी रहे हैं, उन्होंने रेलमंत्री के पद से 18 मार्च 2012 को इस्तीफा दे दिया था, दिनेश त्रिवेदी ने तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता बनर्जी के पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री नियुक्त होने के बाद रिक्त हुए रेलमंत्री का पदभार 13 जुलाई 2011 को संभाला था, आजाद भारत के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ था कि किसी रेलमंत्री ने संसद में रेलबजट पेश करने के ठीक पांच दिन के बाद रेलमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने अपनी सांसद निधि के 25 करोड़ रुपए में से 87.87 फीसदी रकम विकास कार्यों पर खर्च कर दी है।
औद्योगिक इलाका होने की वजह से बैरकपुर संसदीय क्षेत्र में आधी से ज्यादा आबादी कामकाजी है. इसमें में भी हिंदी बोलने वालों की हिस्सेदारी तकरीबन 35 फीसदी मानी जाती है, कहा जाता है कि बैरकपुर में जूट मिलों में काम करने वाले मजदूर नेताओं की किस्मत का फैसला करते हैं, देखते हैं इस बार वो किसे यहां का सरताज चुनते हैं, कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि यहां की चुनावी जंग काफी दिलचस्प होगी, जिसमें जीतेगा वो ही जिसे जनता चुनेगी।
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