लोकसभा चुनाव 2019: बारासात लोकसभा सीट के बारे में जानिए
नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल की बारासात लोकसभा सीट से मौजूदा सांसद कांग्रसे की काकोली घोष डस्तीदार हैं। काकोली घोष को पश्चिम बंगाल महिला कांग्रेस की अध्यक्ष भी हैं। साल 2014 में उन्हें 5 लाख से ज्यादा वोट मिले और उन्होंने फॉरवर्ड ब्लॉक के मुर्जता हुसैन के 1,22,901 वोटों से हराया। इस जीत के साथ काकोली लोकसभा में पहुंची, तो वहीं, इससे पहले कई चुनाव में उन्हें हार का सामना भी करना पड़ा।
साल 2014 के बाद से उन्होंने सदन में महज 10 सवाल पूछे हैं, जो कि राष्ट्रीय औसत से बहुत कम है। अगर डिबेट्स की बात की जाए तो अभी तक वह सिर्फ 16 बार ही डिबेट्स में बैठी हुई दिखी हैं। संसद में उनकी मौजूदगी भी काफी कम रही है। अभी तक वह सिर्फ 59 फ़ीसदी ही मौजूद रही हैं। साल 1952 से लेकर 1967 तक यहां कांग्रेस का एकछत्र राज रहा और यहां से अरुण चड्डा गुहा जीतते रहे। फिर सीपीआई के राजेंद्र नाथ सेन यहां से लगातार जीत हासिल की़। लेकिन, साल 1977 में फॉरवर्ड ब्लॉक के चिता बासु की जीत हुई। साल 1984 का एक वह दौर भी आया जब कांग्रेस को यहां से जीत मिली। इंदिरा गांधी के मौत के बाद चुनाव हुए और इस लहर में सब बह गए। लेकिन, उसके बाद कांग्रेस ने कभी इस सीट पर वापसी नहीं की। ये आखिरी बार था जब कांग्रेस पार्टी का कोई नेता यहां से जीतकर लोकसभा पहुंचा हो। लगातार जीतते रहे,Forward block को 1998 में यहां हार का सामना करना पड़ा। 1998 से 2004 तक ये सीट तृणमूल कांग्रेस ने जीती। देश में अटल बिहारी वाजपेई की सरकार आई लेकिन यह सीट फॉरवर्ड ब्लॉक के डॉक्टर रंजीत कुमार पंजा ने जीत ली।लेकिन 2009 में यहां फिर से वापसी होती है जहां 2009 में फिर से वापसी होती है फॉरवर्ड ब्लॉक की 2009 में तृणमूल कांग्रेस ने सीट जीती और लगातार 10 साल से यह सीट तृणमूल कांग्रेस की कैलाली घोष के पास है, अभी देखना होगा कि साल 2019 में जनता का आशीर्वाद किस नेता को मिलता है।
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