लोकसभा चुनाव 2019: बागपत लोकसभा सीट के बारे में जानिए
नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश की बागपत लोकसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी के सत्यपाल सिंह सांसद हैं। 2014 में सत्यपाल सिंह ने सपा के गुलाम मोहम्मद को हराकर जीत हासिल की थी। बागपत के मौजूदा सांसद सत्यपाल सिंह, मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय के राज्य मंत्री भी हैं, सत्यपाल संसदीय समिति (ऑफिस ऑफ प्रॉफिट) के सदस्य भी हैं। सत्यपाल महाराष्ट्र कैडर के 1980 बैच के आईपीएस ऑफिसर रह चुके हैं और वह मुंबई, पुणे और नागपुर के पुलिस कमिश्नर भी रह चुके हैं, पिछले 5 सालों के दौरान उनकी लोकसभा में उपस्थिति 96 प्रतिशत रही और इस दौरान उन्होंने 103 डिबेट में भाग लिया और केवल 23 सवाल पूछे।
साल 2014 के चुनाव पर इस सीट पर नंबर दो पर सपा, नंबर तीन पर रालोद और नंबर चार पर बसपा थी। साल 2014 के चुनाव में 1505175 वोटरों ने हिस्सा लिया था, जिसमें 56 प्रतिशत पुरुष और 43 प्रतिशत महिलाएं शामिल थीं। सत्यपाल सिंह सांसद और गुलाम मोहम्मद के बीच जीत का अंतर मात्र 20 प्रतिशत वोटों का था।
सियासी महत्व के अलावा बागपत का इतिहास भी काफी दिलचस्प है, बागपत पांडवों द्वारा बसाया गया एक प्राचीन शहर है, बागपत उन 5 गांवों में से एक था जिसकी मांग पांडवों ने दुर्योधन से की थी और कहा था कि अगर वो ये गांव दे दे तो वो युद्द नहीं लड़ेंगे। वैसे बागपत जिला बनने से पहले मेरठ जिले का एक तहसील हुआ करता था, इसके अंतर्गत 5 विधानसभा क्षेत्र आते हैं, जिनके नाम सिवालखास, छपरौली,बरौत, बागपत और मोदीनगर है, उत्तर प्रदेश के ग्यारहवें लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र बागपत का गठन होने के बाद पहली बार यहां 1967 में लोकसभा चुनाव हुआ था, जिसमें भारतीय जन संघ के रघुवीर सिंह शास्री विजयी हुए थे।
1977 में यहां पर भारतीय लोकदल के चौधरी चरण सिंह पहली बार सांसद चुने गए, इसके बाद वो लगातार दो बार जीते लेकिन तीनों बार वो अलग-अलग पार्टी से यहां विजेता बने, 1989 और 1991 में दोनों बार जनता दल की टिकट पर यहां अजित सिंह जीते, 1998 के उप चुनाव में अजित सिंह के राजनीतिक करियर पर 1 साल का छोटा सा ब्रेक लगा पर उन्होंने 1999 में फिर से वापसी की और लगातार 3 बार जीते, उन्होंने हर बार यहां अलग पार्टी से चुनाव लड़ा है लेकिन साल 2014 में बीजेपी ने यहां अजीत सिंह की जीत को हार में बदल दिया।