लोकसभा चुनाव 2019: औरंगाबाद लोकसभा सीट के बारे में जानिए
नई दिल्ली: महाराष्ट्र की औरंगाबाद लोकसभा सीट से शिवसेना के चंद्रकांत खैरे सांसद हैं। उन्होंने साल 2014 के चुनाव में यहां पर कांग्रेस के नीतिन सुरेश पाटिल को 1,62 000 वोटों से पराजित किया था। चंद्रकांत खैरे को यहां पर 520, 902 वोट हासिल हुए थे तो वहीं नीतिन सुरेश पाटिल को 35,89, 02 वोटों पर संतोष करना पड़ा था। साल 2014 के चुनाव में इस सीट पर नंबर दो पर कांग्रेस और नंबर 3 पर बसपा थी। आपको बता दें कि साल 2014 का चुनाव बीजेपी और शिवसेना दोनों ने मिलकर लड़ा था। औरंगाबाद में 68 प्रतिशत लोग हिंदूं धर्म में औऱ 21 प्रतिशत लोग इस्लाम धर्म में यकीन करते हैं।
औरंगाबाद
लोकसभा
सीट
का
इतिहास
इस
संसदीय
क्षेत्र
में
विधानसभा
की
6
सीटें
आती
हैं,
साल
1951
में
यहां
पहली
बार
आम
चुनाव
हुए
थे
जिसे
कि
कांग्रेस
ने
जीता
था,
इसके
बाद
साल
1971
तक
यहां
पर
कांग्रेस
का
ही
राज
रहा,
साल
1977
का
चुनाव
यहां
पर
जनता
पार्टी
ने
जीता,
हालांकि
1980
में
यहां
कांग्रेस
की
वापसी
हुई
और
साल
1984
तक
उसी
का
राज
यहां
पर
रहा
लेकिन
उसकी
विजय
यात्रा
पर
विराम
लगाया
शिवसेना
ने,
जिसने
साल
1989
में
यहां
पर
पहली
जीत
दर्ज
की
और
मोरेश्वर
सावे
यहां
के
सांसद
बने,
वो
लगातार
दो
बार
इस
सीट
पर
निर्वाचित
हुए,
साल
1989
से
लेकर
1996
तक
यहां
पर
शिवसेना
का
ही
राज
रहा,
साल
1998
का
चुनाव
कांग्रेस
ने
जीता
और
रामकृष्ण
पाटिल
यहां
से
जीतकर
लोकसभा
पहुंचे,
लेकिन
इसके
बाद
1999
में
शिवसेना
ने
यहां
बंपर
जीत
दर्ज
की
और
चंद्रकांत
खैरे
यहां
सांसद
की
कुर्सी
पर
विराजमान
हुए
और
तब
से
लेकर
अब
तक
यहां
पर
शिवसेना
और
चंद्रकांत
खैरे
का
ही
राज
है।
औरंगाबाद,
परिचय-प्रमुख
बातें-
महाराष्ट्र
का
औरंगाबाद
शहर
अजंता
और
एलोरा
की
गुफाओं
की
वजह
से
काफी
मशहूर
है,
इन
गुफाओं
को
विश्व
धरोहर
(वर्ल्ड
हेरिटेज)
में
शामिल
किया
गया
है।
यह
प्रदेश
का
एक
प्रमुख
औद्योगिक
शहर
और
शिक्षा
का
केंद्र
है।
यह
एक
जिला
एवं
संभाग
मुख्यालय
भी
है।
मध्यकाल
में
औरंगाबाद
भारत
में
अपना
महत्वपूर्ण
स्थान
रखता
था।
औरंगजेब
ने
अपने
जीवन
का
उत्तरार्द्ध
यहीं
व्यतीत
किया
था
और
यहीं
औरंगजेब
की
मृत्यु
भी
हुई
थी।
औरंगजेब
की
पत्नी
रबिया
दुरानी
का
मकबरा
भी
यही
हैं
इसीलिए
इसे
'पश्चिम
का
ताजमहल'
भी
कहा
जाता
है।
यहां
की
कुल
आबादी
3,701,282
है,
जिसमें
पुरुषों
की
संख्या
1,924,469
और
महिलाओं
की
संख्या
1,776,813
है।
चंद्रकांत खैरे लगातार चार बार से इस सीट पर सांसद हैं, दिसंबर 2018 की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 5 सालों के दौरान लोकसभ में उनकी उपस्थिति 73 प्रतिशत रही है और इस दौरान उन्होंने 64 डिबेट में हिस्सा लिया है और 567 प्रश्न पूछे हैं। औरंगाबाद लोकसभा सीट शिवसेना का गढ़ बन गई है तो वहीं साल 1998 के बाद से कांग्रेस यहां जीत के लिए तरस रही है, हालांकि यहां सीधे लड़ाई शिवसेना और कांग्रेस के ही बीच में है, किसी और पार्टी असर यहां अब तक नहीं दिखा है, यहां आपको एक बात और बता दें कि इस बार का लोकसभा चुनाव कांग्रेस और एनसीपी साथ मिलकर लड़ रही हैं, ऐसी सूरत में क्या एक बार फिर से औरंगाबाद में शिवसेना का जादू चलेगा या फिर कुछ चौंकाने वाले परिणाम हमें देखने को मिलेंगे, यही सवाल हर किसी के जेहन में घूम रहा है, जिसका जवाब जानने के लिए हमें चुनावी नतीजों का इंतजार करना पड़ेगा, कुल मिलाकर ये कहा जा सकता है कि इस बार इस सीट पर मुकाबला दिलचस्प होगा, जिसमें जीत उसी की होगी जिसे जनता का साथ मिलेगा।
ये भी पढ़ें- लोकसभा चुनाव 2019: जालना लोकसभा सीट के बारे में जानिए