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लोकसभा चुनाव 2019: जानें कर्नाटक की मैसूर सीट के बारे में, जहां कभी कांग्रेस तो कभी बीजेपी को मिली सत्‍ता

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मैसूर। मैसूर, कर्नाटक राज्‍य का राजनीतिक और एतिहासिक महत्‍व रखने वाला जिला है। इसके अलावा यह इस राज्‍य का दूसरा सबसे बड़ा शहर है। बेंगलुरु से 180 किलोमीटर दूर मैसूर तमिलनाडु के बॉर्डर पर स्थित है। इसलिए यहां पर आपको विशुद्ध दक्षिण भारतीय संस्‍कृति देखने को मिलेगी। मैसूर का जिक्र 327 ईसा पूर्व में मिलता है जिस समय सिंकदर ने भारत पर आक्रमण किया था। कहते हैं कि सिंक‍दर के हमले के बाद मैसूर के उत्‍तरी हिस्‍से पर सातवाहन वंश का नियंत्रण हो गया। इस वजह से ही मैसूर के राजा को सातकर्णी भी कहते थे।

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कभी मुगलों तो कभी अंग्रेजों ने किया हमला

पांचवीं सदी में मैसूर पर चालुक्‍यों ने हमला किया और इसकी अगली सदी यानी छठी सदी में चालुक्‍य वंश के राजा नरेश पुलिकैशिन ने मैसूर को अपनी राजधानी बनाया। लेकिन चालुक्यों के राजा विक्रमादित्‍य ने मैसूर को एक अलग पहचान दी थी। मैसूर पर राजा विक्रमादित्‍य ने 1076 से 1126 तक शासन किया। 18वीं सदी में मुगल शासक हैदरअली ने मैसूर पर शासन किया। सन् 1782 तक उनका शासन रहा। उनकी मृत्‍यु के बाद उनके बेटे टीपू सुल्‍तान ने सन् 1799 तक इस शहर पर राज किया। श्रीरंगपट्टनम के युद्ध में टीपू सुल्‍तान की मौत हो गई और फिर मैसूर पर अंग्रेजों ने शासन किया। सन् 1831 में अंग्रेजों ने यहां के राजा को हटा दिया और अपना कमिश्‍नर नियुक्‍त कर दिया। सन् 1881 में राजा चामराजेंद्र यहां के महाराजा बने।

मैसूर का दशहरा वर्ल्‍ड फेमस

15 अगस्‍त 1947 को जब देश आजाद हुआ तो मैसूर को भी अलग-अलग शासन से आजादी मिल गई। राज्यों के पुनर्गठन के बाद मैसूर, कर्नाटक का हिस्‍सा बन गया। मैसूर का दशहरा दुनिया भर में मशहूर है। इस शहर में दशहरे का त्‍यौहार 10 दिनों तक मनाया जाता है। यह उत्‍सव यहां पर मां चामुंडेश्‍वरी देवी की ओर से महिषासुर के वध का प्रतीक है। पूरे माह मैसूर का महल रोशनी से नहाया होता है। कई सांस्कृतिक और धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है। उत्सव के अंतिम दिन बैंड बाजे के साथ सोने के गहनों से सजे हाथी, बड़े से सोने के सिंहासन में विराजमान मां चांमुडेश्‍वरी की प्रतिमा को पारंपरिक विधि के अनुसार बन्नी मंडप तक पहुंचाते है। करीब पांच किलोमीटर लंबी इस यात्रा के बाद रात को आतिशबाजी का कार्यक्रम होता है।

वर्तमान समय में सीट बीजेपी के पास

मैसूर से अभी बीजेपी के प्रताप सिम्‍हा सांसद हैं। 41 वर्षीय प्रताप एक जर्नलिस्‍ट भी रह चुके हैं। प्रताप ने साल 2014 में हुए लोकसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी के अदागुर एच विश्‍वनाथ को शिकस्‍त दी थी। मैसूर, कर्नाटक की ऐसी लोकसभा सीट पर जिस साल 1999 के चुनावों से अजीब ही कहानी देखने को मिलती है। यहां पर एक बार बीजेपी तो एक बार कांग्रेस का कब्‍जा रहता है। साल 2014 में बीजेपी ने यह सीट जीत तो साल 2009 में यहां पर कांग्रेस को जीत मिली थी। इससे पहले साल 2004 में यहां पर बीजेपी तो साल 1999 में कांग्रेस को जीत मिली। साल 1998 में जब चुनाव हुए तो सीट बीजेपी के हिस्‍से गई। साल 1998 से ही यहां पर बीजेपी ने चुनाव जीतने का सिलसिला शुरू किया।

कांग्रेस और बीजेपी की टक्‍कर

मैसूर में कुल मतदाता 17,23, 134 हैं जिनमें से पुरुष मतदाता 8,67,893 और महिला मतदाताओं की संख्‍या 8,55,241 है। साल 2014 में हुए चुनावों में बीजेपी के प्रताप सिम्‍हा को 5,03,908 वोट्स मिले थे। उन्‍होंने कांग्रेस पार्टी के अदागुर एच विश्‍वनाथ को 4,72,300 वोट्स से हराया था। मैसूर की कुल आबादी की अगर बात करें तो यह 22,82,627 है। जहां 49.06 प्रतिशत आबादी शहरों में रहती है तो 50.94 प्रतिशत आबादी गांवों में रहत है। अगर चुनावी नतीजों की बात करें तो यहां पर कांग्रेस हमेशा बीजेपी पर हावी रही है। अब तक हुए चुनावों में 70 प्रतिशत जीत कांग्रेस के हिस्‍से तो 30 प्रतिशत जीत बीजेपी के हिस्‍से आई है।

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English summary
Know detailed information on Mysore Lok Sabha Constituency like election equations, sitting MP, demographics, election history.
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