लोकसभा चुनाव 2019: लद्दाख लोकसभा सीट के बारे में जानिए
नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर की लद्दाख लोकसभा सीट से साल 2014 में चुनाव बौद्ध थुप्सन चेवांग ने भाजपा के टिकट पर जीता। लेकिन 2019 लोकसभा चुनाव से कुछ महीने पहले थुप्सन छवांग ने 13 दिसंबर, 2018 को सदन और पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। लोक सभा चुनाव 2014 में लद्दाख में कांग्रेस-नेशनल कान्फ्रेंस गठबंधन ने लद्दाखी बौद्ध त्सेरिंग सामफल को प्रत्याशी बनाया। लेकिन कांग्रेस के बागी उम्मीदवार गुलाम रजा भी मैदान में थे । जबकि सैयद काजिम साबरी भी निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में थे। ऐसा माना जाता है कि लद्दाख में बौद्ध और मुस्लिम मदाताओं के बीच ध्रुवीकरण होता रहा है। बौद्ध मतदाताओं का शुरू से ही विचार रहा है कि उनका हित श्रीनगर के बजाय नई दिल्ली के नेताओं के हाथों में महफूज है।
जबकि दूसरी तरफ मुस्लिम धार्मिक कारणों से घाटी के लोगों के साथ रहे हैं। इसी वजह से 2014 के लोकसभा चुनाव में लद्दाख से भारतीय जनता पार्टी ने लद्दाखी बौद्ध थुप्सन चेवांग को मैदान में उतारा और पहली बार लद्दाख में बीजेपी का परचम लहराया। यह बात अलग है कि थुप्सन चेवांग मात्र 36 वोटों से ही जीत सके । बीजेपी के चेवांग को कुल 31,111 वोट मिले जबकि निर्दलीय गुलाम रज़ा को 31,075 वोट मिले थे । इस तरह 2014 में 36 वोटों से जीत दर्ज कर चेवांग ने बीजेपी के लिए पहली बार लद्दाख में इतिहास रचा था।
लद्दाख लोकसभा सीट सीट का इतिहास
जम्मू-कश्मीर की लद्दाख लोकसभा सीट पर अधिकतर मौकों पर कांग्रेस ने ही जीत का परचम लहराया है। साल 1967, 1971, 1977, 1980, 1984, 1996, में यहां से कांग्रेस को जीत मिली। 1989, 2004, 2009 में यहां से निर्दलीय को जीत मिली। 1998, 1999 में नैशनल कांफ्रेंस यहां से जीती। 2009 में इस सीट से एक निर्दलीय गुलाम हसन खान विजयी रहे थे। 2014 के लोकसभा चुनाव में लद्दाख में कुल 166,763 मतदाता थे जिनमें 86,259 पुरुष और 80,504 महिला वोटर थीं । 2014 के लोकसभा चुनाव में कुल 118,029 वोट पड़े । इनमें कुल 58,035 पुरुष मतदाताओं और 59,994 महिला मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। 2014 में 71 मतदान प्रतिशत हुआ था
थुप्सन चेवांग का लोकसभा में प्रदर्शन
चेवांग
ने
निजी
कारणों
से
पिछले
साल
अपना
इस्तीफा
दे
दिया
है।
कहा
जा
रहा
है
कि
आध्यात्मिक
जीवन
समय
देने
और
स्वास्थ्य
संबंधी
दिक्कतों
की
वजह
से
चेवांग
(71)
ने
इस्तीफा
दिया
है।
चेवांग
दिल्ली
के
रामजस
कॉलेज
से
स्नातक
थे
और
दिल्ली
विश्वविद्यालय
से
उन्होंने
एलएलबी
की
डिग्री
हासिल
की
थी।
लोकसभा
सदस्य
के
रूप
में
उन्होंने
दो
बार
सदन
की
बहस
में
हिस्सा
लिया।
लद्दाख लोकसभा सीट, परिचय-प्रमुख बातें-
देश के सबसे ठन्डे और क्षेत्रफल के लिहाज से देश में सबसे बड़ा लोकसभा क्षेत्र लद्दाख है लेकिन जनसंख्या के हिसाब से यह देश के सबसे छोटे लोकसभा क्षेत्रों में से एक है। लद्दाख लोकसभा सीट में चार विधानसभा क्षेत्र कारगिल, जानस्कर, लेह और नोबरा आते हैं। इस सुरक्षित लोकसभा क्षेत्र में 2014 में 166,763 मतदाता थे। दुनिया के अत्यंत दुर्गम रिहायशी इलाके लद्दाख में हैं। यहां करीब आधा दर्जन ऐसे स्थान हैं जहां आज भी सड़क मार्ग से नहीं पहुंचा जा सकता है। चुनाव आयोग को कुछ केन्द्रों पर अपने मतदानकर्मियों को वायुमार्ग से भेजने की व्यवस्था करनी पड़ती है। कई मतदान केंद्रों पर 90 से भी कम मतदाता हैं।
बताया जा रहा है कि सांसद चेवांग पिछले एक साल से जोर दे रहे थे कि वह राजनीति छोड़ना चाहते हैं और आध्यात्मिक जीवन गुजारना चाहते हैं। उन्हें स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें भी थी। जबकि कुछ लोगों का कहना है कि वह राज्य में बीजेपी नेतृत्व से खफा था। यही वजह थी कि उन्होंने हाल के स्थानीय शहरी निकाय चुनावों में पार्टी के प्रचार-प्रसार भी नहीं किया था। अब देखना है कि साल 2019 में भाजपा क्या सीट पर एक बार फिर से इतिहास दोहराएगी या नहीं।