लोकसभा चुनाव 2019: कल्लकुरिची लोकसभा सीट के बारे में जानिए
नई दिल्ली: तमिलनाडु की कल्लकुरिची लोकसभा सीट से AIADMK के नेता कामराज के सांसद है। उन्होंने साल 2014 के चुनाव में इस सीट पर DMK सांसद मनीमारन आर को 223, 507 वोटों के अंतर से पराजित किया था, यहां कामराज के को 533, 383 वोट मिले थे तो वहीं मनीमारन आर को 309, 876 वोटों पर संतोष करना पड़ा था। इस सीट पर नंबर तीन पर DMDK थी, जिसके प्रत्याशी को यहां पर 164, 183 वोट मिले थे तो वहीं नंबर चार का स्थान यहां पर कांग्रेस को नसीब हुआ था, जिसके प्रत्याशी को केवल 396, 77 वोट मिले थे।
कल्लकुरिची
लोकसभा
सीट
का
इतिहास
साल
2008
के
परिसीमन
के
बाद
ये
लोकसभा
सीट
अस्तित्व
में
आई
,
यहां
पहला
आम
चुनाव
साल
2009
में
हुआ
था,
जिसे
की
DMK
ने
जीता
था
और
यहां
से
आदि
शंकर
सांसद
चुने
गए
थे,
जबकि
साल
2014
का
चुनाव
यहां
पर
AIADMK
ने
जीता
और
कामराज
के.
यहां
से
जीतकर
लोकसभा
पहुंचे।
दिसंबर
2018
की
रिपोर्ट
के
मुताबिक
सांसद
कामराज
के
की
लोकसभा
में
उपस्थिति
87
प्रतिशत
रही
है,
इस
दौरान
उन्होंने
52
डिबेट
में
हिस्सा
लिया
है
और
209
प्रश्न
पूछे
हैं
,
सदन
में
पूछे
गए
उनके
ज्यादातर
सवाल
उनके
संसदीय
क्षेत्र
के
विकास
से
ही
जुड़े
हुए
थे,
साल
2014
के
चुनाव
में
इस
सीट
पर
कुल
मतदाताओं
की
संख्या
14,12,499
थी,
जिसमें
से
केवल
11,07,241
लोगों
ने
अपने
मतों
का
प्रयोग
यहां
पर
किया
था,
जिनमें
से
पुरुषों
की
संख्या
5,42,991
और
महिलाओं
की
संख्या
5,64,250
थी।
कल्लकुरिची,
परिचय-प्रमुख
बातें-
तमिलनाडु
के
खास
शहरों
मे
से
एक
कल्लकुरिची
पहले
तमिलनाडु
के
सबसे
बड़े
जिले
विल्लीपुरम
का
ही
भाग
था।
यह
जिला
धान
के
उत्पादन
के
लिए
काफी
मशहूर
है,
यहां
कपड़ों,
गहनों
का
बिजनेस
और
कृषि
मुख्य
आय
के
श्रोत
हैं।
इसके
अलावा
यह
मंदिरों
के
शहर
के
रूप
में
जाना
जाता
है,
यहां
बहुत
सारे
दर्शनीय
स्थल
है,
जिसे
देखने
के
लिए
लाखों
की
संख्या
में
यहां
लोग
आते
हैं।
बहुत
सारी
धार्मिक,
ऐतिहासिक
और
सांस्कृतिक
विरासत
को
खुद
में
समेटे
इस
शहर
की
आबादी
18,87,241
थी,
जिसमें
से
79
प्रतिशत
लोग
गांवों
में
और
20
प्रतिशत
लोग
शहरों
में
निवास
करते
हैं,
यहां
पर
27
प्रतिशत
लोग
एससी
और
7.62%
लोग
एसटी
वर्ग
के
हैं।
साल 2009 के चुनाव में यह सीट DMK के पास थी लेकिन साल 2014 के चुनाव में इस सीट पर कब्जा AIADMK का हो गया, जो कि डीएमके के लिए काफी बड़ा झटका था। आपको बता दें कि साल 2014 के चुनाव में जयललिता के नेतृत्व में AIADMK ने जोरदार प्रदर्शन किया था, राज्य की 39 सीटों में से 37 सीटें अकेले AIADMK ने जीती थी जबकि डीएमके का पत्ता गोल हो गया था लेकिन जयललिता के निधन के बाद AIADMK में बिखराव देखा गया है, पार्टी में फूट पड़ गई, नेतृत्व को लेकर भी विवाद बढ़ा, जिसके चलते AIADMK को काफी संघर्ष से जूझना पड़ा तो वहीं डीएमके ने अपने पितामह यानी कि करूणानिधि को खोया है, जिसकी वजह से ये पार्टी भी गम के साए में हैं, ऐसे में क्या इन बातों का दोनों पार्टियों की जीत या हार पर असर पड़ेगा, ये एक बड़ा सवाल है, जिसका जवाब चुनावी नतीजे देंगे, इसमें कोई शक नहीं कि इस सीट पर जहां DMK अपनी हार का बदला लेने की कोशिश करेगा, वहीं दूसरी ओर AIADMK का पूरा प्रयास अपनी सीट को अपने पास बचाकर रखना होगा, फिलहाल यह कहा जा सकता है कि इस सीट पर मुकाबला जबरदस्त होगा, देखते हैं जीत का सेहरा किसके सिर सजता है।
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