लोकसभा चुनाव 2019: जबलपुर लोकसभा सीट के बारे में जानिए
नई दिल्ली: मध्यप्रदेश की जबलपुर लोकसभा सीट से मौजूदा सांसद भाजपा के राकेश सिंह हैं। साल 2014 के चुनाव में इस सीट पर नंबर 2 पर कांग्रेस और नंबर 3 पर बसपा थी, उस साल यहां कुल वोटरों की संख्या 17 लाख 11 हजार 683 थी, जिसमें से मात्र 10 लाख 2 हजार 184 लोगों ने अपने मतों का प्रयोग किया, जिनमें से पुरुषों की संख्या 5,58,617 और महिलाओं की संख्या 4,43,567 थी। जबलपुर की 87 प्रतिशत आबादी हिंदू धर्म में और 8 प्रतिशत लोग इस्लाम धर्म में भरोसा रखते हैं।
जबलपुर लोकसभा सीट का इतिहास
जबलपुर लोकसभा सीट में 1957 से लेकर 1971 तक कांग्रेस का राज रहा तो वहीं 1974 में यहां पर भारतीय लोकदल को जीत मिली और शरद यादव यहां से सांसद चुने गए, वो लगातार दो बार इस सीट पर सांसद रहे लेकिन साल 1980 के चुनाव में एक बार फिर से यहां कांग्रेस जीती लेकिन 1984 के चुनाव में यहां पर भाजपा की जीत के साथ एंट्री हुई और बाबूराव परांजपे यहां की सांसद की कुर्सी पर बैठे लेकिन 1991 के चुनाव में एक बार फिर से यहां कांग्रेस को सफलता मिली लेकिन इसके बाद के चुनाव में भाजपा ने यहां पर कांग्रेस के हरा दिया और साल 1996 से लेकर अब तक यहां केवल बीजेपी का ही राज है। साल 2004 से यहां पर मौजूदा सांसद राकेश सिंह जीतते आ रहे हैं।
जबलपुर, परिचय प्रमुख बातें-
मध्य प्रदेश के प्रमुख शहरों में से एक जबलपुर को 'संस्कारधानी' भी कहा जाता है। पुराणों और किंवदंतियों के अनुसार इस शहर का नाम पहले 'जबालिपुरम' था, क्योंकि इसका सम्बंध महर्षि जाबालि से जोड़ा जाता है। 1781 के बाद ही मराठों के मुख्यालय के रूप में चुने जाने पर इस नगर की सत्ता बढ़ी, बाद में यह सागर और नर्मदा क्षेत्रों के ब्रिटिश कमीशन का मुख्यालय बन गया। यह नगर सामरिक दृष्टि से भी काफी महत्त्वपूर्ण है, यहां शस्त्र निर्माण कारखाना भी है, प्राकृतिक दृष्टिकोण से भी अहम स्थान रखने वाले जबलपुर जिले की कुल जनसंख्या 25,41,797 है, जिनमें से 40 प्रतिशत लोग गांवों में और 59 प्रतिशत लोग शहरों में निवास करते हैं।
राकेश सिंह का लोकसभा में प्रदर्शन
जबलपुर सीट पर जीत की हैट्रिक करने वाले राकेश सिंह संसद की कई महत्वपूर्ण कमेटियों के सदस्य भी हैं। राकेश सिंह 2.78 करोड़ की संपत्ति के मालिक हैं और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष की भी जिम्मेदारी भी वो इस वक्त संभाल रहे हैं । दिसंबर 2018 की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 5 सालों के दौरान लोकसभा में इनकी उपस्थिति 90 प्रतिशत रही है और इस दौरान उन्होंने 38 डिबेट में हिस्सा लिया और 265 प्रश्न पूछे हैं।
साल 1996 से यहां पर भाजपा का कब्जा है और उसे हराना यहां पर आसान नहीं है लेकिन इस बार राज्य की सियासी सूरत बदली हुई है, लंबे वक्त से मध्य प्रदेश पर राज कर रही भाजपा इस वक्त राज्य की सत्ता से गायब है, ऐसे में क्या इस बार कांग्रेस को इस सीट पर विजयश्री हासिल होगी, तो वहीं भाजपा की रणनीति इस सीट पर वापसी की क्या होगी इस पर भी सबकी निगाहें लगी हुई हैं लेकिन होगा वही जो जनता चाहेगी और उसके मन में क्या है, ये तो चुनावी नतीजे ही बताएंगे।