लोकसभा चुनाव 2019: गोपालगंज लोकसभा सीट के बारे में जानिए
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नई दिल्ली: बिहार की गोपालगंज लोकसभा सीट से वर्तमान सांसद भाजपा के जनक राम हैं। साल 2014 के लोकसभा चुनाव में जनक राम ने कांग्रेस उम्मीदवार को पटखनी देकर बीजेपी का खाता खोला। इस सीट पर हुए त्रिकोणीय मुकाबले में जेडीयू तीसरे नम्बर पर रहा। खास बात ये है कि एससी के लिए सुरक्षित इस सीट पर बीजेपी प्रत्याशी जनक राम को 52.98 फीसदी वोट मिले। गोपालगंज संसदीय सीट की एक और खासियत पर गौर करें तो यहां 2014 के चुनाव में महिलाओं ने पुरुषों के मुकाबले अधिक मतदान किया था। जबकि महिला मतदाताओं की संख्या पुरुषों के मुकाबले लगभग 70 हज़ार कम है। कुल 55 फीसदी मतदान हुआ था। आम तौर पर बीजेपी को शहरी इलाकों में अच्छा प्रदर्शन करने वाली पार्टी के तौर पर देखा जाता है मगर गोपालगंज इसका अपवाद है। एससी यानी अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित होकर भी गोपालगंज में एससी की आबादी महज 12.49 फीसदी है। शहरी आबादी भी महज 6.35 फीसदी है। ऐसे में सामान्य 55 फीसदी मतदान के बावजूद बीजेपी का प्रदर्शन इस सीट पर जोरदार माना है।
जनक राम का लोकसभा में प्रदर्शन
जनकराम के लोकसभा में प्रदर्शन की बात की जाए तो पिछले पांच सालों में उन्होंने 21 बार उन्होंने सदन की कार्यवाही के दौरान बहस में हिस्सा लिया। वो सदन में 7 बार विशेष चर्चा में शरीक हुए। 163 सवाल उन्होंने सदन में पूछे और दो पूरक प्रश्न पूछने का उन्हें मौका मिला। उन्होंने पांच सालों में 97 फीसदी उपस्थिति संसद में दर्ज करायी है।
गोपालगंज लोकसभा सीट का इतिहास
गोपालगंज के संसदीय इतिहास पर नज़र डालें तो बाहुबली काली प्रसाद पांडे 1984 में यहीं से सांसद चुने गये थे। इंदिरा लहर में भी कांग्रेस से बगावत कर उन्होंने गोपालगंज में निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर जीत का परचम लहराया था। पूर्व मुख्यमंत्री अब्दूल गफूर गोपालगंज से 1991 और 1998 में गोपालगंज से सांसद चुने गये थे, जबकि रघुनाथ झा भी 1999 में यहीं से सांसद रहे। गोपालंज में 6 विधानसभा की सीटें हैं। इनमें बीजेपी और जेडीयू के पास 2-2 सीटें हैं और एक-एक सीट पर आरजेडी और कांग्रेस का कब्जा है। बैकुंठपुर और गोपालगंज की सीट बीजेपी के पास है तो जेडीयू के पास कुछाईकोटे और हथुआ की सीटें हैं। बरौली की सीट आरजेडी के पास है तो भोरे सुरक्षित सीट कांग्रेस ने जीती है।
1989 के बाद से ही गोपालगंज की सीट पर जनता दल, राष्ट्रीय जनता पार्टी, समता पार्टी या जेडीयू का कब्जा रहा है। मगर, जिस मजबूती के साथ बीजेपी इस सीट पर कब्जा जमाया उससे यहां उसका दावा मजबूत हो जाता है। फिर एनडीए के तौर पर जेडीयू भी अब उसके साथ है जो विगत चुनाव में तीसरे नम्बर पर रहा था। गोपालगंज को बीजेपी का गढ़ तो नहीं कहा जा सकता, लेकिन जेडीयू के साथ आ जाने से गोपालगंज की सीट पर एनडीए उम्मीदवार मजबूत हो जाता है। चाहे इस सीट से बीजेपी चुनाव लड़े या जेडीयू, एनडीए का दावा बहुत मजबूत है। 2019 में निश्चित रूप से गोपालगंज में बीजेपी का पलड़ा भारी दिख रहा है।