लोकसभा चुनाव 2019: दुमका लोकसभा सीट के बारे में जानिए
नई दिल्ली: झारखण्ड की दुमका लोकसभा सीट से मौजूदा सांसद झारखंड मुक्ति मोर्चा के शिबू सोरेन हैं। उन्होंने साल 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के सुनील सोरेन को 39030 मतों के अंतर से हराया था। शिबू सोरेन ने आठवीं बार इस सीट पर अपना कब्जा किया | 2014 के लोकसभा चुनावों में झारखण्ड की दुमका सीट पर कुल 903060 लोगों ने मतदान किया। इस सीट पर 2014 में 72 प्रतिशत मतदान हुआ |
दुमका लोकसभा सीट का इतिहास
दुमका लोकसभा सीट अनुसूचित जनजाति के लिए अरक्षित है| इस निर्वाचन क्षेत्र में जम्तारा जिले का पूरा भाग और दुमका तथा देवघर जिले के कुछ हिस्से आते हैं | साल 2000 में बिहार के एक हिस्से से बने दुमका जिले का मुख्यालय दुमका शहर में हैं | 2006 में केंद्र सरकार द्वारा घोषित 640 जिलों में से 250 सबसे पिछड़े जिलों में इसका नाम आता है। दुमका जिला झारखंड प्रदेश के उन 21 पिछड़े जिलों में से है जिसे बैकवर्ड रीजन ग्रांट फण्ड प्रोग्राम के तहत अनुदान प्राप्त होता है | दुमका निर्वाचन क्षेत्र के डेमोग्राफिक्स में झाँका जाये तो मालूम चलता है की यहाँ की 92.78 प्रतिशत जनता ग्रामीण है जबकि 7.22 प्रतिशत जनता ही शहरी इलाकों से ताल्लुक रखती है| यहाँ पर 7.84 प्रतिशत अनुसूचित जाति एवं 37.39 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या है |
दुमका लोकसभा निर्वाचन सीट के अंतर्गत 6 विधान सभा सीटें हैं | इनमे से सिकैपारा, दुमका और जामा डुम्का जिले में आती है जो पूरी तरह से अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं वहीँ नाला , जम्तारा और सारथ जम्तारा और देवघर जिले में आते हैं जो किसी भी विशेष वर्ग के लिए आरक्षित नहीं हैं | दुमका सीट का प्रतिनिधित्व वर्ष 2002 से जन मुक्ति मोर्चा के पास ही है | यहाँ के वर्तमान सांसद झारखंड मुक्ति मोर्चा के शिबू सोरेन हैं |
शिबू सोरेन का लोकसभा में प्रदर्शन
74 वर्ष आयु के शिबू सोरेन ने संसद में कुछ खास कमाल नहीं दिखाया | संसद में प्रश्न पूछने के मामले में इनका औसत शून्य रहा है | इन्होने न ही किसी डिबेट में हिस्सा लिया है और न ही कोई प्राइवेट मेम्बर बिल ले कर आये हैं | डिबेट में भागीदारी का राष्ट्रीय औसत 63.8 प्रतिशत और राज्य औसत 81.4 प्रतिशत है वहीँ प्रश्न पूछने का राष्ट्रिय औसत जहाँ 273 और राज्य औसत 409 है| उपस्थिति के सम्बन्ध में जहाँ राज्य औसत 86 प्रतिशत रहा है वहीँ इनका व्यक्तिगत औसत मात्र 37 प्रतिशत ही रहा है |
गौरतलब है कि साल 1952 से 2014 तक इस सीट पर आठ बार जनमुक्ति मोर्चा ने जीत दर्ज की है |अब तक के चुनावी गठजोड़ देखे जाएँ तो इस सीट पर झारखंड मुक्ति मोर्चा का एकाधिकार रहा है। इस बार देखना दिलचस्प होगा कि जनता किसे मौका देती है।