लोकसभा चुनाव 2019: दार्जिलिंग लोकसभा सीट के बारे में जानिए
नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल की दार्जिलिंग लोकसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी के एस एस आहलूवालिया सांसद है। 67 साल के आहलूवालिया फिलहाल मोदी सरकार में मंत्री भी हैं। केंद्रीय पेयजल राज्य मंत्री और दार्जिलिंग के बीजेपी सांसद एस एस अहलूवालिया जब दार्जिलिंग से जीत कर लोकसभा में पहुंचे तो एक इतिहास लिखा गया। यह दो बार था जब दार्जिलिंग से भारतीय जनता पार्टी का नेता चुन कर लोकसभा पहुंचा हो। जनता को काफी उम्मीदें थी इस सांसद से। लेकिन क्या आहलूवालिया साहब जनता की उम्मीदों पर खरे उतर पाए। यह तो जनता ही बताएगी लेकिन उनके समर्थक तो उन से खासे नाराज नजर आते हैं। आप सोच रहे होंगे मैंने "समर्थक" शब्द का इस्तेमाल किसके लिए किया है। इसका भी जिक्र करेंगे और पूरी इतिहास के साथ आपको बताएंगे आखिर ऐसा क्या हुआ कि दूसरी बार लगातार भारतीय जनता पार्टी का कोई नेता यहां से जीत पाया।
एस एस आहलूवालिया की लोकसभा में उनकी उपस्थिति 87 फ़ीसदी रही हालांकि दिसंबर 2018 तक उन्होंने जनता के लिए एक भी सवाल नहीं पूछा। ना ही कोई प्राइवेट मेंबर बिल लोकसभा के पटल पर रखा। जनता ने उन्हें 488257 वोट दिए थे। वहीं, नंबर दो पर रहे थे। ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस के भाईचुंग भुटिया, जिन्हें 291018 वोट ही मिले और भारतीय जनता पार्टी यहां से 172000 ज्यादा वोटों से जीत गई।
दार्जिलिंग का इतिहास भी गजब है इस जगह को अंग्रेज काफी पसंद करते थे। क्योंकि गर्मी के दिनों में वो यहां अपने परिवार के साथ छुट्टी मनाने के लिए आते थे। लेकिन उससे पहले यह जगह कई बार नेपाल के पास रही तो कई बार भूटान ने इस पर कब्जा कर लिया। फिर दार्जिलिंग अलग हो गया और फिर भारत का एक हिस्सा बन गया। साल 1957 से लेकर 1962 तक यहां इंडियन नेशनल कांग्रेस के Theodore Manaen लगातार दो बार सांसद रहे। 1967 में एम बासु यहां से निर्दलीय चुनाव जीते। साल 1971 में सीपीआई (एम) के रतनलाल ब्राह्मण को यहां से जीत मिली। 1977 में कांग्रेस की यहां पक दोबारा वापसी हुई और कृष्णा बहादुर छेत्री को यहां से जीत मिली। 1980 में चुनाव हुए तो आनंद पाठक, जो सीपीआई(एम) पार्टी के नेता थे उन्हें जीत मिली और वो लगातार दो बार सांसद रहे। 1989 से लेकर 1996 तक इंद्रजीत कांग्रेस की सीट पर सांसद रहे। 1996 से 98 तक आर.बी रॉय CPI (M) की सीट से जीते। 2004 तक यहां सीपीआईएम के सांसद ही जीते रहे 1998 से 1999 तक आनंद पाठक यहां से सांसद रहे तो 1999 में एसपी लेपचा को जीत मिली। गोरखा नेशनल लिबरेशन फ्रंट की सीट पर चुनाव जीते। हालांकि 1991 में 1996 तक वो कांग्रेस की सीट पर जीते। साल 2004 में कांग्रेस की सीट पर डावा नारबुला। 2009 से 2014 तक यहां से जसवंत सिंह सांसद थे।
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