लोकसभा चुनाव 2019: दरभंगा लोकसभा सीट के बारे में जानिए
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नई दिल्ली: बिहार में दरभंगा लोकसभा सीट से सांसद कीर्ति आजाद हैं। वनडे क्रिकेट में वर्ल्ड कप विजेता टीम के सदस्य रहे कीर्ति आज़ाद का एक और परिचय है। वे बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री भागवत झा आज़ाद के बेटे हैं। दरभंगा की सीट पर बीजेपी के लिए कीर्ति आज़ाद ने ही खाता खोला था जब 1999 में वे यहां से पहली बार सांसद बने। कीर्ति आज़ाद ने लगातार तीन बार सांसद रहे मोहम्मद अली अशरफ फातमी को शिकस्त दी थी। हालांकि 2004 में एक बार फिर अली अशरफ फातमी ने वापसी की और कीर्ति आज़ाद को हरा दिया। मगर, अगले ही चुनाव में यानी 2009 में कीर्ति आज़ाद ने बदला ले लिया। और तब से वो लगातार लोकसभा के लिए चुने जाते रहे हैं।
दरभंगा लोकसभा सीट का इतिहास
दरभंगा लोकसभा सीट कांग्रेस का गढ़ हुआ करती थी। साल 1952 से लेकर 1972 तक कांग्रेस यहां से जीतती रही है। ललित नारायण मिश्र और सत्य नारायण सिन्हा के नाम से भी इस सीट की पहचान है। ललित नारायण इंदिरा गांधी के बहुत करीबी थे और उनके अनुज डॉ जगन्नाथ मिश्र हैं जो बाद में बिहार के मुख्यमंत्री बने। सत्यनारायण सिन्हा ने भी आगे चलकर बिहार के मुख्यमंत्री का पद सम्भाला। 1977 के जनता लहर में भारतीय लोकदल के सुरेंद्र झा सुमन ने यह सीट पहली बार कांग्रेस से छीनी थी। 1980 में तो कांग्रेस ने वापसी कर ली, मगर उसके बाद उसे कभी दरभंगा में तिरंगा फहराने का मौका नहीं मिला। 1989 के बाद से लगातार यह सीट जनता दल या फिर राष्ट्रीय जनता दल के पास रही। इस सिलसले को कीर्ति आज़ाद ने 1999 में तोड़ा।
दरभंगा लोकसभा सीट के अंतर्गत 6 विधानसभा क्षेत्र हैं। इनमें गौरा बौरम और बेनीपुर विधानसभा की सीटें जेडीयू के पास है तो अलीनगर, दरभंगा ग्रामीण और बहादुरपुर पर आरजेडी का कब्जा है। बीजेपी के पास दरभंगा की सीट है। इस तरह एनडीए और महागठबंधन के पास 3-3 सीटें हैं। बराबरी का मुकाबला है।
कीर्ति आज़ाद का लोकसभा में प्रदर्शन
कीर्ति आज़ाद ने संसद में कुल 31 बार डिबेट में हिस्सा लिया है। उन्होंने सदन में 449 सवाल पूछे और चार बार प्राइवेट मेम्बर बिल पेश किये। उन्होंने तीन बार पूरक प्रश्न भी किए। कीर्ति आज़ाद ने अलग मिथिला राज्य की मांग भी संसद में उठायी। इसके अलावा धाना घोटाला, मिथिलांचल में रेल की सम्भावना जैसे सवाल संसद में रखे। कीर्ति आज़ाद ने पिछली लोकसभा में भी बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने का सवाल, भोजपुरी भाषा को आठवीं अनुसूची में डालने और यूपीएससी की परीक्षा में भारतीय भाषाओं का विकल्प देने की ओर संसद का ध्यान खींचा था। पहले भी वे 59 बार बहस में हिस्सा ले चुके हैं। संसद में उपस्थिति के मामले में कीर्ति आज़ाद आदर्श सांसद हैं। सभी सत्र में उनकी मौजूदगी तकरीबन शत प्रतिशत रही है। सिर्फ एक कार्यदिवस ऐसा रहा, जब वे गैर हाजिर रहे।
दरभंगा की सीट 2019 में इसलिए दिलचस्प हो गयी है क्योंकि कीर्ति आज़ाद ने बीजेपी से बगावत कर दी है। उन्होंने यहीं से चुनाव लड़ने का एलान भी कर रखा है। उनकी कोशिश कांग्रेस से टिकट पाकर महागठबंन का उम्मीदवार बनने की है। मगर, 6 में से तीन विधानसभा सीटें अपने पास रखने वाली पार्टी आरजेडी इस सीट पर दावेदारी छोड़ने को तैयार नहीं है।
इतना तय है कि इस सीट पर अगर कीर्ति आज़ाद निर्दलीय भी लड़ते हैं तो वे गम्भीर उम्मीदवार रहेंगे। ख़बर ये भी महत्वपूर्ण है कि बीजेपी ने गठबंधन में यह सीट जेडीयू को दे दी है। ऐसे में अगर कीर्ति आज़ाद को महागठबंधन अपना उम्मीदवार बनाता है तो उनके लिए जीत बहुत आसान हो जाएगी।