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लोकसभा चुनाव 2019: छिंदवाड़ा लोकसभा सीट के बारे में जानिए

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नई दिल्ली: मध्यप्रदेश की छिंदवाड़ा लोकसभा सीट से मौजूदा सांसद मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ हैं। मध्यप्रदेश की VVIPसीट छिंदवाड़ा कमलनाथ का गढ़ है। यहां से कमलनाथ एक-दो बार नहीं नहीं बल्कि 9 बार अजेय सांसद रहे हैं। इसी छिंदवाड़ा की बदौलत आज कांग्रेस का 'कमल' मध्य प्रदेश का 'नाथ' बन पाया है। इक्का-दुक्का अपवादों को छोड़कर छिंदवाड़ावासियों ने हमेशा यहां कांग्रेस को जीत का सेहरा पहनाया है और जिसकी वजह कोई और नहीं बल्कि कमलनाथ ही रहे हैं।

profile of Chhindwara lok sabha constituency

छिंदवाड़ा में छिन्द (ताड़) के पेड़ बहुत ज्यादा हैं इसीलिये इसका नाम छिंदवाड़ा पड़ा। एक समय यहां शेरों की बहुतायत थी, इसलिए इसे पहले 'सिंहवाडा' भी कहा जाता था। आज से कुछ वक्त पहले ये इलाका काफी पिछड़ा हुआ था और यहां विकास लगभग शून्य था लेकिन कमलनाथ के सांसद बनने के बाद इस इलाके ने ना केवल गति पकड़ी बल्कि यह राज्य की मुख्य धारा से भी जुड़ गया, अब इससे होकर तीन राष्ट्रीय राजमार्ग गुजरते हैं और यहां से दिल्ली के लिए सीधी रेल सेवा है, कमलनाथ ने यहां पर विशाल हनुमान की मूर्ति, स्किल ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट, 56 किमी लंबा रिंग रोड, कॉल सेंटर और रेलवे स्टेशन बनवाया है। यही वजह रही कि राज्य में भले ही कांग्रेस की हालत खस्ता रही हो लेकिन छिंदवाड़ा में कमलनाथ की पोजिशन में कोई फर्क नहीं पड़ा।

छिंदवाड़ा की कुल जनसंख्या 20 लाख 90 हजार 922 है, जिसमें से 75 प्रतिशत आबादी गांवों में और 24 प्रतिशत जनसंख्या शहरों में रहती है। देश में यह एक मात्र संसदीय क्षेत्र है जो बड़े उद्योगों के बिना भी विकास के लिए जाना जाता है। छिंदवाड़ा के 92 प्रतिशत लोग हिंदू धर्म में और 4 प्रतिशत लोग इस्लाम में आस्था रखते हैं। कमलनाथ महज 34 साल के थे जब वे छिंदवाड़ा से चुनाव लड़ने के लिए मध्य प्रदेश आए थे। ये बात 1980 की है, जब उन्होंने अपने पहले चुनाव में यहां पर जनता पार्टी के प्रतुल चंद्र द्विवेदी को 70,141 वोटों से हराया था, साल 1996 के चुनाव से पहले उनका नाम हवाला कांड मे उछला जिसकी वजह से पार्टी ने उनकी जगह उनकी पत्नी अलका नाथ को छिंदवाड़ा का टिकट दिया और वो यहां से सांसद बनीं , इसके बाद जब कमलनाथ को हवालाकांड में क्लीन चिट मिल गई तो पत्नी अल्का ने उनके लिए सीट छोड़ दी और उसके बाद यहां उप चुनाव हुए जिसमें कमलनाथ को भाजपा के सुंदरलाल पटवा से हार झेलनी पड़ी लेकिन साल 1998 के चुनाव में कमलनाथ ने बीजेपी से अपनी हार का बदला ले लिया और तब से लेकर साल 2014 तक वो ही इस सीट पर सांसद रहे।

महाराष्ट्र के नागपुर से छिंदवाड़ा की जीवनरेखा जुड़ी है जो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का मुख्यालय है। लेकिन छिंदवाड़ा पर संघ की सबसे कमजोर पकड़ है और बीजेपी यहां लंबे वक्त से जीत के लिए तरस रही है। अब जब कमलनाथ मध्य प्रदेश के सीएम बन गए हैं तो उन्हें अपनी संसदीय सीट से इस्तीफा देना पड़ा है, चुनावी साल होने की वजह से यहां उपचुनाव नहीं हुए इसलिए ये सीट रिक्त है इसलिए अब जहां कांग्रेस अपनी इस मजबूत सीट को बचाने के लिए पुरजोर कोशिश करेगी वहीं भाजपा के भी पास छिंदवाड़ा को जीतने का बढ़िया मौका है, देखते हैं अपनी-अपनी कोशिशों में कौन यहां इस बार सफल होता है और छिंदवाड़ावासी किसे अपनी सत्ता सौंपते हैं।

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English summary
profile of Chhindwara lok sabha constituency
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