लोकसभा चुनाव 2019: बक्सर लोकसभा सीट के बारे में जानिए
नई दिल्ली: बिहार की बक्सर लोकसभा सीट से भाजपा के अश्विनी चौबे सांसद हैं। उन्होंने साल 2014 के लोकसभा चुनाव में राजद के कद्दावर नेता जगदांनद सिंह को हराकर ये सीट अपने नाम की थी। साल 2014 के चुनाव में इस सीट पर दूसरे नंबर पर आरजेडी, तीसरे नंबर पर बीएसपी और चौथे नंबर पर जेडीयू थी। बिहार के पश्चिम भाग में गंगा नदी के तट पर स्थित ऐतिहासिक शहर बक्सर का सियासी और धार्मिक महत्व है, यहां की अर्थ-व्यवस्था मुख्य रूप से खेतीबारी पर आधारित है। प्राचीन काल में इसका नाम 'व्याघ्रसर' था क्योंकि उस समय यहां पर बाघों का निवास हुआ करता था, बक्सर में गुरु विश्वामित्र का आश्रम था। यहीं पर राम और लक्ष्मण का प्रारम्भिक शिक्षण-प्रशिक्षण हुआ था। प्रसिद्ध ताड़का राक्षसी का वध राम द्वारा यहीं पर किया गया था। साल 2011 की जनगणना के मुताबिक बक्सर की जनसंख्या 24 लाख 73 हजार 959 है , जिसमें से 92 प्रतिशत जनसंख्या गांवों में निवास करती है और 7 प्रतिशत आबादी शहरों में।
बक्सर लोकसभा सीट का इतिहास
इस लोकसभा सीट के अंतर्गत 6 विधानसभा सीट आती है। कमल सिंह यहां से पहले सांसद थे, जिन्होंने साल 1952 का पहला आम चुनाव निर्दलीय रूप से लड़ा था। साल 1962 , 1967 और 1971 के चुनाव में यहां पर कांग्रेस का दब-दबा रहा लेकिन 1971 के चुनाव में कांग्रेस के विजय रथ को भारतीय लोकदल ने रोका और रामानंद तिवारी यहां से सांसद बने। लेकिन 1980 के चुनाव में कांग्रेस ने भारतीय लोकदल से अपनी हार का बदला ले लिया और कमलाकांत तिवारी यहां से सांसद चुने गए। वो साल 1984 में भी बक्सर सीट से सांसद बने लेकिन 1989 के चुनाव में यहां पर कांग्रेस को हार का मुंह देखना पड़ा और यहां सीपीआई ने जीत के साथ खाता खोला और तेज नारायण सिंह यहां से एमपी बने। साल 1991 में भी यहां सीपीआई का ही राज रहा और तेज नारायण सिंह दोबारा यहां से संसद पहुंचे लेकिन 1996 के चुनाव में यहां पहली बार कमल खिला और लाल मुनि चौबे यहां के सांसद चुने गए और वो लगातार चार बार यहां से एमपी रहे यानी कि 1996 से लेकर 2004 तक इस सीट पर बीजेपी का ही राज रहा लेकिन साल 2009 के चुनाव में भाजपा से ये सीट राष्ट्रीय जनता दल के जगदांनद सिंह ने छीन ली और वो यहां से एमपी बने लेकिन साल 2014 के चुनाव में एक बार फिर से बाजी पलटी और भाजपा ने यहां बड़ी जीत दर्ज की और अश्विनी चौबे यहां से जीतकर लोकसभा पहुंचे।
अश्विन चौबे का लोकसभा में प्रदर्शन
पटना विश्वविद्याालय से जूलॉजी में स्नातकोत्तर करने बाद सक्रिय राजनीति में कूदे अश्विन चौबे छात्र जीवन से ही राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ(आरएसएस) के करीब रहे हैं। दिसंबर 2018 की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 5 सालों में लोकसभा में इनकी उपस्थिति 93 प्रतिशत रही है। इस दौरान उन्होंने 181 बहसों में हिस्सा लिया है और 151 प्रश्न पूछे है। वो इस वक्त केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री की भी जिम्मेदारी संभाल रहे हैं।
बक्सर लोससभा सीट, परिचय प्रमुख बातें-
2014
में
इस
सीट
पर
कुल
वोटरों
की
संख्या
16
लाख
40
हजार
567
थी।
8
लाख
88
हजार
204
मतदाताओं
ने
अपने
मतों
का
प्रयोग
किया।
इसमें
पुरुषों
की
संख्या
4,93,930
और
महिलाओं
की
संख्या
3,94,274
थी।
बक्सर
को
सवर्ण
बाहुल्य
सीट
कहा
जाता
है
और
ब्राह्मण
वोटरों
की
अच्छी
संख्या
है।
लोकसभा
और
विधानसभा
के
चुनाव
में
लोगों
ने
अधिकांशत:
किसी
सवर्ण
या
ब्राह्मण
उम्मीदवार
को
जिताया
है
और
अश्विनी
चौबे
बाहरी
होने
के
बावजूद
इस
सीट
से
सांसद
बन
पाए।
इस
बार
के
हालात
पिछले
चुनाव
से
अलग
है,
इस
चुनाव
में
बीजेपी-जेडीयू
साथ-साथ
हैं
जिसकी
वजह
से
राजद
की
परेशानी
बढ़
गई
है
तो
वहीं
बीजेपी
की
जीत
इस
बार
केवल
जातीय
समीकरण
पर
नहीं
बल्कि
विकास
फैक्टर
भी
निर्भर
करेगी
क्योंकि
भाजपा
और
अश्निनी
चौबे
ने
विकास
के
ही
नाम
पर
यहां
की
जनता
से
वोट
मांगे
थे।
फिलहाल
चुनौती
कड़ी
है,
देखते
हैं
यहां
कि
जनता
किस
पार्टी
पर
भरोसा
करती
है।