लोकसभा चुनाव 2019: बिलासपुर लोकसभा सीट के बारे में जानिए
नई दिल्ली: छत्तीसगढ़ के बिलासपुर से मौजूदा सांसद भाजपा के लखन लाल साहू हैं। 2014 के आम चुनाव में बिलासपुर में 17 लाख 27 हज़ार से ज्यादा मतदाता थे। इनमें पुरुष मतदाताओं की तादाद 8 लाख 89 हज़ार से ज्यादा थी। 63 फीसदी मतदान हुआ था। यानी कुल 10 लाख 90 हज़ार से ज्यादा लोगों ने वोट डाले थे। इनमें लखन लाल साहू ने 5 लाख 61 हज़ार से ज्यादा वोट हासिल किए थे। यानी 50 फीसदी से ज्यादा वोट बीजेपी उम्मीदवार को मिले। बिलासपुर में आदिवासी मतदाताओँ का प्रतिशत 13.97 फीसदी है तो अनुसूचित जाति वर्ग के वोटरों के मतदाता यहां 22.22 प्रतिशत है।
बिलासपुर
लोकसभा
सीट
का
इतिहास
बिलासपुर
लोकसभा
सीट
बीजेपी
का
गढ़
रही
है।
मौजूदा
सांसद
लखन
लाल
साहू
से
पहले
यह
सीट
दिलीप
सिंह
जूदेव
ने
जीती
थी।
साल
2013
में
उनका
देहांत
हो
गया
था।
साल
1996
के
बाद
लगातार
बिलासपुर
से
चार
बार
बीजेपी
के
सांसद
रहे
पुन्नूलाल
मोहले।
उनसे
पहले
1989
में
रेशमलाल
जांगड़े
बीजेपी
के
टिकट
पर
चुने
गये
थे।
बाकी
समय
कांग्रेस
इस
सीट
पर
काबिज
रही
है।
सिर्फ
1962
को
छोड़कर,
जब
निर्दलीय
सत्य
प्रकाश
ने
बिलासपुर
से
जीत
दर्ज
की
थी।
बिलासपुर सीट से निर्दलीय जीतने वाले वे अब तक के इकलौते सांसद हैं। लखन लाल साहू ने बिलासपुर सीट से करुणा शुक्ला मात दी थी। करीब पौने दो लाख वोटों से उन्हें हराया था। करुणा शुक्ला पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की भतीजी हैं। पहले बीजेपी में हुआ करती थीं। अब कांग्रेस में हैं। माना जाता है कि बिलासपुर जैसी सीट पर किसी सवर्ण को उम्मीदवार बनाना कांग्रेस का गलत दांव साबित हुआ। इस लोकसभा क्षेत्र में ओबीसी वोटरों का दबदबा है। तकरीबन 50 फीसदी आबादी ओबीसी की है।
लखनलाल साहू का लोकसभा में प्रदर्शन
लखनलाल साहू ओबीसी सांसद हैं। पिछले पांच साल में संसद में 86 बार उन्होंने बहस में हिस्सा लिया है। वहीं 208 सवाल उन्होंने लोकसभा में पूछे हैं। संसद में उपस्थिति के मामले में उनका प्रदर्शन कहीं बेहतर है। 87 फीसदी उपस्थिति सांसद लखन लाल साहू के नाम दर्ज है। सांसद निधि के उपयोग के मामले में सांसद लखन लाल साहू का रिकॉर्ड बेहतर है। सांसद निधि से बिलासपुर में 25 करोड़ से ज्यादा की राशि जिलाधिकारी ने मंजूर की है। दिसम्बर 2018 तक केवल दो करोड़ की राशि खर्च होना बाकी था। यानी अधिकतम राशि इस्तेमाल की जा चुकी है।
बिलासपुर में 8 विधानसभा की सीटें हैं। यहां बीजेपी के चार विधायक हैं और कांग्रेस के सिर्फ दो। दो सीटें छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस के पास है। बीजेपी के पास जो चार सीटें हैं उनमें शामिल हैं मुंगेली, बिलहा, बिलासपुर, बेलतारा और मस्तुरी। कांग्रेस के पास जो दो सीटें हैं उनके नाम हैं तखतपुर और बेलतारा। जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के पास जो सीटे हैं वे हैं कोटा और लोरमी।
ये बात साफ है कि 2018 में भले ही पूरे प्रदेश में कांग्रेस की लहर देखने को मिली हो, लेकिन बिलासपुर उससे अछूता रहा। बीजेपी का प्रदर्शन पूरे प्रदेश में सबसे बेहतर बिलासपुर में ही रहा। इसलिए 2019 के आम चुनाव में बीजेपी एक बार फिर इस सीट पर सबसे मजबूत दावेदार है। कांग्रेस को यहां बेहतर प्रदर्शन करने के लिए कोई बड़ा दांव खेलना होगा। इस क्षेत्र में छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस का प्रदर्शन अच्छा है। उसका अगर साथ मिले तो फायदा हो सकता है।