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लोकसभा चुनाव 2019: भोपाल लोकसभा सीट के बारे में जानिए

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नई दिल्ली: मध्य प्रदेश की भोपाल लोकसभा सीट से मौजूदा सांसद भाजपा के आलोक संजर हैं। भोपाल सीट का इतिहास शुरुआत में कांग्रेस समर्थित रहा लेकिन करीब ढाई दशक से भारतीय जनता पार्टी का यहां कब्जा है। 1989 के बाद तो कांग्रेस इस सीट से गायब सी हो चुकी है और उसकी हार का अंतर भी लाख से नीचे कभी नहीं रहा। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल को झीलों का शहर कहा जाता है, खूबसूरत प्राकृतिक सुंदरता से नवाजे गए इस शहर से भोपाल गैस कांड की त्रासदी भी जुड़ी हुई है, जिसका कुप्रभाव आज तक वायु प्रदूषण, भूमि प्रदूषण, जल प्रदूषण के रूप में लोग झेल रहे हैं। यहां की जनसंख्या 26,79,574 है जिसमें से 23 प्रतिशत लोग गांवों में रहते हैं और 76 प्रतिशत लोग शहरों में निवास करते हैं।

profile of Bhopal lok sabha constituency

भोपाल लोकसभा सीट का इतिहास

भोपाल में पहले लोकसभा चुनाव में दो सीट थीं जिन्हें रायसेन और सीहोर के नाम से जाना जाता था। तब सीहोर सीट से कांग्रेस के सैयद उल्लाह राजमी ने उद्धवदास मेहता को शिकस्त दी थी तो रायसेन सीट से कांग्रेस के चतुरनारायण मालवीय ने निर्दलीय प्रत्याशी शंकर सिंह ठाकुर को मात देकर पहला लोकसभा चुनाव जीता था। इसके बाद 1957 भोपाल की एक सीट हो गई जिसमें पहली बार मैमूना सुल्तान ने कांग्रेस का प्रतिनिधित्व किया और वे हिंदू महासभा के हरदयाल देवगांव को हराकर सांसद बनी। इसके बाद वो 1962 में दोबारा हिंदू महासभा के ओमप्रकाश को हराकर लोकसभा पहुंची।1967 में भारतीय जनसंघ ने अपने प्रत्याशी उतारे और भोपाल सीट पर पहली बार में कब्जा जमा लिया। इस जीत को भारतीय जनसंघ 1971 के अगले चुनाव में बरकरार नहीं रख सकी और कांग्रेस नेता और देश के पूर्व राष्ट्रपति शंकरदयाल शर्मा ने यहां शानदार जीत दर्ज की। इसके बाद 1977 में यहां पर भारतीय लोकदल के नेता आरिफ बेग ने शंकरदयाल शर्मा को हरा दिया। 1980 में फिर से इस सीट पर शंकरदयाल शर्मा ने कब्जा किया और आरिफ बेग को हराया। 1984 में हुए चुनाव में कांग्रेस ने सीट पर कब्जा बनाए रखा और केएन प्रधान यहां से एमपी बने। साल 1989 में कांग्रेस की इस सीट को सबसे पहले पूर्व मुख्य सचिव रहे सुशीलचंद्र वर्मा ने भाजपा के कब्जे की। इसके बाद वे लगातार चार बार 1998 तक इस सीट से सांसद रहे। इसके बाद 1999 में भाजपा नेत्री उमा भारती और 2004 और 2009 में कैलाश जोशी ने यहां जीत दर्ज की और साल 2014 के चुनाव में यहां से आलोक संजर सांसद बने।

आलोक संजर का लोकसभा में प्रदर्शन

दिसंबर 2018 की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 5 सालों के दौरान आलोक संजर की लोकसभा में उपस्थिति 96 प्रतिशत रही और उन्होंने 121 डिबेट में हिस्सा लिया है और 392 प्रश्न पूछे हैं। साल 2014 के चुनावों में यहां कुल वोटरों की संख्या 19,56,936 थी जिसमें से केवल 11,30,182 लोगों ने अपने मतों का प्रयोग किया था, जिसमें पुरुषों की संख्या 6,39,683 और महिलाओं की संख्या 4,90,499 थी।

भोपाल में बीजेपी के किले को गिराना आसान काम नहीं है लेकिन इस वक्त सियासी हालात बदले हुए हैं, राज्य में लंबे शासन के बाद भाजपा का राज खत्म हो गया है तो वहीं कांग्रेस राज्य में सरकार बनाने के बाद आत्मविश्वास से भरी हुई है, ऐसे में क्या एक बार फिर से भोपाल की जनता कमल पर बटन दबाएगी या फिर कुछ चौंकाने वाले नतीजे हमें देखने को मिलेंगे, ये देखने वाली बात होगी।

English summary
profile of Bhopal lok sabha constituency
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