लोकसभा चुनाव 2019: आरा लोकसभा सीट के बारे में जानिए
नई दिल्ली: बिहार की आरा लोकसभा सीट से भाजपा के राजकुमार सिंह सांसद हैं। उन्होंने साल 2014 के लोकसभा चुनाव में राजद के दिग्गज नेता भगवान सिंह कुशवाहा को हराया था। साल 2014 के चुनाव में इस सीट पर दूसरे नंबर पर आरजेडी, तीसरे नंबर पर सीपीआई और चौथे नंबर पर जेडीयू रही थी। स्वतंत्रता संग्राम से लेकर सत्ता संग्राम तक आरा का बड़ा नाम है। संघर्ष और प्रयोग की इस भूमि में नक्सली आंदोलनों को भी खाद-पानी मिलता रहा है।
आरा लोकसभा सीट का इतिहास
आरा अति प्राचीन ऐतिहासिक नगर है जिसकी प्राचीनता का संबंध महाभारत काल से है। पांडवों ने भी अपना गुप्तवास काल यहां पर बिताया था। 1857 के प्रथम भारतीय स्वतंत्रतायुद्ध के प्रमुख सेनानी बाबू कुंवर सिंह की कार्यस्थली होने का गौरव भी इस नगर को प्राप्त है, आरा, पांचवीं लोकसभा चुनाव तक शाहाबाद संसदीय क्षेत्र के नाम से जाना जाता था। साल 1977 के दौरान आरा को अलग संसदीय क्षेत्र के रूप में मान्यता मिली और तब आरा अस्तित्व में आया। संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत विधानसभा की सात सीटें आती हैं। 1977 के आम चुनाव में यहां भारतीय लोकदल ने जीत दर्ज की तो वहीं 1980 में ये सीट जनता पार्टी सेक्यूलर के नाम रही।
1984 के चुनाव में यहां कांग्रेस के बलि राम भगत ने जीत का परचम लहराया तो वहीं 1989 में यहां इंडियन पीपुल फ्रंट के नेता रामेश्वर प्रसाद सांसद चुने गए, 1991 में ये सीट जनता दल ने जीती तो 1996 में भी उसका राज यहां पर रहा, जनता दल की जीत पर ब्रेक लगाया समता पार्टी के एच. पी सिंह ने, साल 1999 में यहां राजद की जीत हुई और राम प्रसाद सिंह यहां से सांसद बने, साल 2004 में भी यहां रालोद का साम्राज्य रहा लेकिन साल 2009 के चुनाव में ये सीट JDU ने जीत ली और मीना सिंह यहां से सांसद बनी लेकिन साल 2014 के चुनाव में इस सीट पर कमल खिला और राज कुमार सिंह सांसद बने।
राजकुमार सिंह का लोकसभा में प्रदर्शन
राजकुमार सिंह (आरके सिंह) 1975 बैच के बिहार कैडर के पूर्व आईएएस अधिकारी हैं, उन्होंने अपने प्रशासनिक करियर में कई महत्वपूर्ण पदों पर काम किया है, जिनमें केंद्रीय गृह सचिव का पद भी शामिल है। साल 1990 में रथयात्रा के दौरान लालकृष्ण आडवाणी की गिरफ्तारी में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, दिसंबर 2018 की रिपोर्ट के मुताबिक आर के सिंह की पिछले पांच सालों में लोकसभा में उपस्थिति 97% रही है तो वहीं इस दौरान उन्होंने 18 डिबेट में हिस्सा लिया और 47 प्रश्न पूछे।
आरा लोकसभा सीट, परिचय- प्रमुख बातें-
साल
2014
के
चुनाव
में
यहां
पर
कुल
मतदाताओं
की
संख्या
18,32,332
है।
8,93,213
लोगों
ने
अपने
मतों
का
प्रयोग
किया
था।
वोट
देने
वाले
पुरुषों
की
संख्या
5,16,366
और
महिलाओं
की
संख्या
3,76,847
थी।
आरा
की
83.26
प्रतिशत
आबादी
हिंदु
और
15.79
%
आबादी
मुस्लिम
है।
पिछली बार की तुलना में इस बार की सियासी तस्वीर यहां बदली हुई है, जेडीयू और भाजपा साथ है, ऐसे में राजद को यहां कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ सकता है तो वहीं भाजपा इस सीट पर दोबारा जीत हासिल करने के लिए एडी़-चोटी का दम लगाएगी, वैसे जातीय समीकरणों से इतर देखें तो ये जिला आज भी विकास को तरस रहा है, आज भी यहां मूलभूत जरूरतों का अभाव है, बिजली, पानी, शिक्षा और स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से आज भी इस जिले में काफी कमी है इसलिए विकास के नाम पर वोट मांगने वाली बीजेपी और सहयोगी दलों की जीत इस बात पर भी निर्भर करेगी कि उन्होंने यहां पर कितना विकास कार्य किया है। फिलहाल असली फैसला तो जनता को करना है और उसके दिमाग में क्या है ये तो हमें चुनावी नतीजे ही बताएंगे।